HomeBrand Bihariकर्पूरी चर्चा से परे Karpoori Thakur के 10 पहलू: गुमनाम नेताजी

कर्पूरी चर्चा से परे Karpoori Thakur के 10 पहलू: गुमनाम नेताजी

क्या Karpoori Thakur के जीवन से सम्बंधित दस ऐसे पहलू हो सकते हैं जिनके बारे में आम जनता तो दूर लालू-नीतीश जैसे उनके फ़ॉलोअर भी भूल चुके होंगे। कर्पूरी ठाकुर को लोग अक्सर बिहार तक सीमित रखते हैं लेकिन क्या आपको मालूम है Karpoori Thakur दो बार सांसद का चुनाव भी लड़े थे, और संसद की चर्चा में कई बार शामिल भी हुए थे। क्या आपको उस लोकसभा चुनाव के बारे में पता है जिसमें टक्कर सीधे Karpoori Thakur और इंदिरा गांधी के बीच हुई थी? आज पूरे देश में अंतयोदया योजना चल रहा है लेकिन क्या आपको पता है बिहार में पहली बार अंतयोदया योजना कर्पूरी ठाकुर ने ही शुरू किया था?  

कर्पूरी ठाकुर के जीवन के 10 अनछुए पहलू | News Hunters | 10 Forgotten Facts About Karpoori Thakur

अगले साल 24 जनवरी 2024 को बिहार Karpoori Thakur जी का 100वाँ जन्मदिवस माना रहा होगा। ज़न नायक कर्पूरी ठाकुर, देश में अति-पिछड़ों के पहले मुख्यमंत्री, इंदिरा गांधी से सीधे टक्कर लेने वाले कर्पूरी, बिहार में सबसे ज़्यादा जतिसूचक भद्दी भद्दी गालियाँ सुनने वाले और संसद में वाहवाही बटोरने वाले कर्पूरी, नीतीश और लालू दोनो के गुरु माने जाने वाले कर्पूरी।

लालू यादव जी या उनकी पार्टी RJD ने तो अभी तक कर्पूरी ठाकुर की 100वीं वर्षगाँठ के बारे में कोई चर्चा नहीं किया है लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी JDU बिहार के हर ज़िले में, हर प्रखंड में कर्पूरी चर्चा का आयोजन कर रही है। ये अच्छा मौक़ा था जब JDU Karpoori Thakur के जीवन से सम्बंधित और ख़ासकर उनके मुख्यमंत्री रहते हुए कुछ ऐसे कामों को बिहार की आम जनता के सामने रखने का प्रयास करती, प्रचारित करती जो बिहार कि आम जनता तो क्या बिहार के अच्छे ख़ासे पढ़े लिखे राजनीतिक वर्ग के लोग भी नहीं जानते हैं।

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लेकिन JDU के ज़्यादातर कर्पूरी चर्चा कार्यक्रम में कर्पूरी चर्चा कम और नीतीश चालीसा अधिक पढ़ा जा रहा है।  लेकिन हम चर्चा करेंगे कर्पूरी ठाकुर के जीवन के उन दस अनछुए पहलुओं की जिसे आपको जानना चाहिए। 

Karpoori Thakur और अंतयोदया योजना: 

क्या आपको मालूम है Karpoori Thakur बिहार के इतिहास के पहले और हिंदुस्तान के इतिहास में दूसरे मुख्यमंत्री थे जिन्होंने अंतयोदया योजना प्रारम्भ किया था? इंडिया टुडे के पत्रकार Arul B. Louis को दिसम्बर 1978 को दिए गए एक इंटर्व्यू में Karpoori Thakur ने दावा किया था कि बिहार में उनकी सरकार द्वारा अक्तूबर 1978 में प्रारम्भ किए गए अंतयोदया योजना के अंतर्गत दो महीने के भीतर 12,500 परिवारों को लगभग 75 लाख रुपए का मदद किया गया था। यानी प्रत्येक परिवार को औसतन 600 सौ रुपए वितरित किया गया था।

ये वो दौर था जब शिक्षकों की पूरे महीने की तनखा तीन सौ रुपए भी नहीं हुआ करती थी। कर्पूरी ठाकुर ने यह भी दावा किया था कि बिहार में उनकी सरकार ने दो महीने के भीतर अंतयोदया योजना के तहत वो कर दिखाया था जो राजस्थान सरकार पिछले छः महीने से नहीं कर पायी थी। दरअसल राजस्थान में भैरो सिंह शेखावत हिंदुस्तान के पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने अंतयोदया योजना प्रारम्भ किया था और उसके चार महीने के बाद बिहार में कर्पूरी ठाकुर ऐसा करने वाले हिंदुस्तान के दूसरे मुख्यमंत्री थे।

मोदी सरकार ने अंतयोदया योजना का नामकरण भले ही दीन दयाल उपाध्याय जी के नाम पर कर दिया हो लेकिन इस योजना के साथ अगर किसी व्यक्ति का नाम जुड़ना चाहिए तो थे कर्पूरी ठाकुर या भैरो सिंह शेखावत है। 

Karpoori Thakur और शिक्षा:

कर्पूरी ठाकुर उत्तर भारत के पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने अपने राज्य में मेट्रिक तक शिक्षा पूरी तरह मुफ़्त कर दिया था। पूरे देश में ऐसा करने वाला पहला राज्य केरल जिसने साल 1958 में शिक्षा मुफ़्त कर दिया था और उसके बाद तमिलनाडु ने साल 1973 में 11वीं कक्षा तक शिक्षा पूरी तरह मुफ़्त कर दिया था। और उसके बाद कर्पूरी ठाकुर ऐसा करने वाले भारत के तीसरे और उत्तर भारत के पहले मुख्यमंत्री थे। इसी तरह से बिहार तमिलनाडु और केरल के बाद भारत का तीसरा और उत्तर भारत का पहला राज्य था जिसने कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में साल 1978 में स्कूल के छात्रों को मुफ़्त किताबें दिया था। 

Karpoori Thakur और विधवा-दिव्यांग:

कर्पूरी ठाकुर हिंदुस्तान के पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने दिव्यंगों और विधवाओं को तीस रुपए प्रतिमाह पेन्शन योजना प्रारम्भ किया था। इसके साथ साथ प्रदेश के बुजुर्गों के लिए पेन्शन सुविधा का प्रारम्भ करने वाले भी कर्पूरी ठाकुर ही थे। 24 जून 1977 को  बिहार के मुख्यमंत्री बनने से पहले कर्पूरी ठाकुर ने 20 जून 1977 को संसद में भी केंद्र सरकार से यह पूछा था कि क्या केंद्र सरकार बुजुर्गों को पेन्शन देने की कोई योजना बना रही है लेकिन जब केंद्र सरकार ने ऐसी किसी भी योजना से इंकार किया तो बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के बुजुर्गों के लिए पेन्शन योजना शुरू किया था। 

Karpoori Thakur और पंचायत चुनाव : 

बिहार में साल 2001 में पंचायत चुनाव होने से पहले पंचायत चुनाव कर्पूरी ठाकुर जी के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान ही साल 1978-79 में हुआ था और इसके लिए कर्पूरी ठाकुर जी ने खुद अपनी अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन भी किया था जिसने एक विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार की थी और उसी रिपोर्ट के आधार पर बिहार में पंचायत चुनाव करवाए गए थे। 

सांसद Karpoori Thakur

सभी लोग कर्पूरी ठाकुर को एक मुख्यमंत्री, एक शिक्षा मंत्री या एक विधायक के रूप में जानते हैं लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं कि कर्पूरी ठाकुर एक सांसद भी थे। कर्पूरी ठाकुर दो बार लोकसभा चुनाव लड़े थे जिसमें से एक बार जीते और एक बार हारे थे। 1977 के लोकसभा चुनाव में कर्पूरी ठाकुर समस्तिपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए थे और 1984 के लोकसभा चुनाव में हार गए थे। 

Karpoori Thakur का वर्ल्ड रिकॉर्ड

उस 1977 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान को खूब प्रसिद्धि मिली थी क्यूँकि उन्होंने उस चुनाव में सबसे ज़्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जितने का गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उसी चुनाव में कर्पूरी ठाकुर भी पूरे हिंदुस्तान में पाँच सबसे ज़्यादा वोट लाने वाले सांसद थे और छठा सबसे ज़्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जितने वाले सांसद थे।

उस चुनाव में राम विलास पासवान को 469007 वोट मिले थे जबकि Karpoori Thakur को 401935 वोट मिले थे। यानी कि कर्पूरी ठाकुर को राम विलास पासवान से मात्र 67072 वोट कम मिले थे। लेकिन ये भी ध्यान रखना चाहिए की रामविलास पासवान का संसदीय क्षेत्र हाजीपुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था जबकि कर्पूरी ठाकुर का संसदीय क्षेत्र समस्तिपुर आरक्षित नहीं था। कर्पूरी ठाकुर बिना आरक्षण के चुनाव लड़े थे और राम विलास पासवान आरक्षण वाले आरक्षित सीट से चुनाव लड़े थे। 

Karpoori Thakur और इंदिरा गांधी : 

समस्तिपुर से सांसद बनने के एक वर्ष के भीतर Karpoori Thakur ने संसद से इस्तीफ़ा दे दिया और 1978 में बिहार के मुख्यमंत्री बन गए। समस्तिपुर लोकसभा क्षेत्र में मध्यवती चुनाव हुआ। इस चुनाव में घोषित उम्मीदवार भले ही कांग्रेस की तरफ़ से तारकेश्वरी सिन्हा और कर्पूरी ठाकुर की पार्टी की तरफ़ से A K मेहता था लेकिन ये चुनाव ऐसे लड़ा गया था जैसे मानों यह चुनाव कर्पूरी ठाकुर और इंदिरा गांधी के बीच लड़ा गया हो।

कुछ ही महीने चिकमंगलूर में “एक शेरनी दो लंगूर, चिकमंगलूर चिकमंगलूर नारे” के साथ चुनाव जितने के बाद कांग्रेस और इंदिरा गांधी आत्मविश्वास से लबालब थी लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने समस्तिपुर में इंदिरा गांधी को धूल चटा दिया था। इंदिरा गांधी इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान लगातार तीन दिन समस्तिपुर क्षेत्र में रुकी लेकिन अंततः जीत कर्पूरी ठाकुर की हुई थी। इस चुनाव में हार के बाद इंदिरा गांधी ने कर्पूरी ठाकुर के ऊपर बूथ लूटने तक का आरोप लगा दिया गया था। 

संसद में Karpoori Thakur

सांसद के तौर पर Karpoori Thakur जी का कार्यकाल एक साल का भी नहीं रहा लेकिन उस छोटे से कार्यकाल के दौरान भी कर्पूरी ठाकुर जी ने संसद में दो बार राष्ट्रपति का धन्यवाद अभिवादन पेश किया, कई विषयों पर संसद में सवाल उठाए, और चर्चा किया। इस दौरान कर्पूरी ठाकुर संसद में 48 बार बोले और इसमें से 90 प्रतिशत मौक़ों पर बिहार से सम्बंधित मुद्दे पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों पर सवाल उठाया था। कर्पूरी ठाकुर सिर्फ़ बिहार के नहीं बल्कि देश के भी नेता थे। 

अपने ही पार्टी के नेता की आलोचना : 

Karpoori Thakur उन सांसदों में से थे जो अगर विपक्ष के साथ अन्याय हो रहा है तो अपने पार्टी के ख़िलाफ़ ही मोर्चा खोल देते थे। 6 अप्रैल 1977 को जब संसद में मीडिया के ऊपर चर्चा हो रहा था तब जनसंघ के नेता हुकम चंद कछवाय ने कांग्रेस नेता संजय गांधी को बेहूदा और मूर्ख बोल दिया था जिसपर कर्पूरी ठाकुर ने कड़ी आपत्ति जताया था। 

Karpoori Thakur और मैथिल भाश :

कर्पूरी ठाकुर ने मैथिली भाषा को सेकंडेरी शिक्षा में ऑप्शनल विषय घोषित कर दिया था। कर्पूरी ठाकुर के इस फ़ैसले से मिथलंचल क्षेत्र के लोग कर्पूरी ठाकुर की सरकार और उनकी जनता पार्टी से नाराज़ हो गए थे। हालाँकि कर्पूरी ठाकुर ने अंग्रेज़ी विषय को भी ऑप्शनल विषय घोषित कर दिया था और उसका भी विरोध हाँ था। 

वैसे तो कर्पूरी ठाकुर के जीवन से सम्बन्धी अनछुए पक्षों के इस सूची में और भी कई पक्ष जोड़े जा सकते हैं जो आपमें से ज़्यादातर लोग सम्भवतः जानते होंगे लेकिन शायद कुछ लोग नहीं भी जानते होंगे। उदाहरण के लिए

  1. कर्पूरी ठाकुर देश और बिहार के दूसरे पिछड़ा और पहले अति-पिछड़ा मुख्यमंत्री थे।
  2. देश में पहली बार OBC आरक्षण कर्पूरी ठाकुर ने ही लागू किया था।
  3. देश में पहली बार पिछड़ों को अति-पिछड़ों से अलग कर्पूरी ठाकुर ने ही किया था।
  4. देश में पहली बार ग़रीबों और महिलाओं को आरक्षण कर्पूरी ठाकुर ने ही दिया था।
  5. नीतीश कुमार से पहले बिहार में शराबबंदी कर्पूरी ठाकुर ने ही किया था, बिहार में अंग्रेज़ी की पढ़ाई की अनिवार्यता को हटा दिया था जिसके कारण उस दौरा में मेट्रिक पास करने वाले छात्रों को कर्पूरी डिविज़न से पास होने वाले छात्र बोला जाता था।
  6. कर्पूरी ठाकुर की मौत भी रहस्यमय ढंग से हुई थी और उनकी मौत पर बिहार सरकार ने एक जाँच समिति का भी गठन किया था लेकिन आजतक कर्पूरी ठाकुर के मौत के बारे में जाँच पूरा नहीं हो पाया है।  

ऐसे कई पक्ष है कर्पूरी ठाकुर के जीवन के जिसपर चर्चा होनी चाहिए थी कर्पूरी चर्चा में, पर अफ़सोस नहीं हो पायी, कर्पूरी चर्चा में बस नीतीश चालीसा चलता रहा है अभी तक।

अगर आपको लगता है कि कर्पूरी ठाकुर के जीवन का कोई और पक्ष है जिसे इस सूची में शामिल किया जाना चाहिए तो हमें कॉमेंट करके बताइए, या अगर आपको लगता है कि कर्पूरी ठाकुर के जीवन से सम्बंधित इन पक्षों में से किसी एक पक्ष के बारे में आप विस्तृत जानकारी चाहते हैं तो भी हमें बताइए।

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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