मुफ़स्सिल शब्द भारतीय उपनिवेश का प्रतीक है। जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने कलकत्ता, बम्बई और मद्रास पर अपना एकाधिकार स्थापित कर लिए तो कम्पनी के अधिकार क्षेत्र से बाहर के क्षेत्र को मुफ़स्सिल बोला जाता था। ब्रिटिश काल के दौरान इस शब्द की पहचान ग्रामीण, ग़रीबी, पिछड़ेपन, अज्ञानता, असभ्यता और भारतीयता से जोड़ा जाता था।
जिस तरह हिंदुस्तान में यूरोपियन ने अपनी पहचान भारतीयों से अलग करने के लिए यूरोपीय बसावट से बाहर के क्षेत्र को मुफ़स्सिल कहते थे उसी तरह अमेरिका और अफ़्रीका में यूरोपीय बसावट को स्थानीय श्वेतों (नीग्रो) की बसावट से अलग करने के लिए स्थानीय श्वेतों की बसावट को डाउन टाउन बोलते थे। आज भी यूरोप के अमरीका और अफ़्रीका में यूरोपीयों द्वारा बसाए गए लगभग सभी शहरी केंद्रों के एक हिस्से का नाम ‘डाउन टाउन’ बोला जाता है।
हिंदुस्तान में आज भी लगभग सभी नगरी थाना क्षेत्र के बाहर एक मुफ़स्सिल थाना होता है जहाँ अक्सर नगर से बाहर घाटी घटनाओं का मामला दर्ज किया जाता है। इस थाना में ज़्यादातर मामले दिवानी अदालत से सम्बंधित होते हैं जिसमें भूमि विवाद सर्वाधिक होता है।
मुफ़स्सिल का इतिहास:
इतिहास में अलग अलग भाषाओं में मुफ़स्सिल शब्द का अर्थ भिन्न भिन्न रहा है। ‘मुफ़स्सिल’ शब्द फ़ारसी शब्द मुफ़स्सल का अंग्रेज़ी तर्जुमा है जिसका फ़ारसी में अर्थ होता है विस्तृत और अरबी में अर्थ होता है विभाजन। 18वीं सदी के दौरान मुफ़स्सल शब्द का अर्थ होता था कुल संग्रहित कर जिसका विपरीत होता था सदर जमा, अर्थात् सरकार का हिस्सा। मुफ़स्सल शब्द का अर्थ परगना स्तर (ज़िला से छोटा) पर प्रशासन देखने वाले मुग़ल अधिकारी ‘मुफ़स्सल कानूनगो’ के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था।
18वीं सदी के आख़री वर्षों के दौरान जब ब्रिटिश ने बंगाल पर अधिकार कर लिया तो कलकत्ता से बाहर कार्यरत अधिकारियों और क्षेत्र को मुफ़स्सल कहते थे। अर्थात् प्रारम्भ में मुफ़स्सल शब्द का अर्थ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के प्रत्यक्ष अधिकार क्षेत्र को अप्रत्यक्ष अधिकार क्षेत्र से पृथक करने के लिए किया गया था न कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्र या विकसित या ग़ैर-विकसित क्षेत्र को पृथक करने के लिए। 19वीं सदी के दौरान जब प्रत्यक्ष ब्रिटिश शासन का दायरा कलकत्ता शहर के बाहर भी फैला तो मुफ़स्सिल क्षेत्र में रहने और कार्य करने वाले यूरोपीय लोगों को भी ग़ैर-मुफ़स्सिल पहचान के साथ रखा गया न कि ‘मुफ़स्सिल’ के साथ।
इसे भी पढ़े: दलितों के लिए हरिजन शब्द का इस्तेमाल गांधी जी से पहले किसने किया था ?
19वीं सदी के प्रारम्भिक वर्षों तक बंगाली भाषा में ‘मुफ़स्सिल’ शब्द को विक्टिम (सताया हुआ) की तरह प्रस्तुत किया गया जिसका कभी एक स्वर्णिम इतिहास हुआ करता था। 19वीं सदी के आख़री वर्षों तक बंगाली भाषा में भी इस शब्द की पहचान पिछड़ा और ग्रामीण के साथ हो गया। 20वीं सदी आते आते बंगाल में भद्रलोक ब्राह्मण द्वारा लिखे गए साहित्य में ‘मुफ़स्सिल’ शब्द को पूर्व बंगाल के मुस्लिम क्षेत्र से जोड़ा जाने लगा जो मूलतः पिछड़ा, अशिक्षित और ग्रामीण हुआ करता था।
उर्दू और हिन्दी साहित्य में ‘मुफ़स्सिल’ शब्द को 19वीं और 20वीं सदी के दौरान जिस पर्याय के साथ इस्तेमाल किया गया है उसमें घृणा या द्वेष का बहुत कम स्थान है। हिंदी और उर्दू साहित्य में इस शब्द का अर्थ ज़िले के उन क्षेत्रों से लगाया जाता था जो ज़िला, प्रखंड या अनुमंडल मुख्यालय के बाहर बसा हुआ करता था। यह दूरस्त क्षेत्र होता जो कई गाँव से घिरा क़स्बा हो सकता था या क़स्बे के बाहर का क्षेत्र।
उर्दू में ‘मुफ़स्सिल’ और ‘देहात’ शब्द का इस्तेमाल कई बार एक दूसरे के लिए बराबर ढंग से किया जाता था। उदाहरण के लिए आज भी मुख्य कानपुर शहर के बाहर बसी शहरी आबादी को ‘कानपुर देहात’ बोलते हैं जो आज एक पृथक ज़िला बन चुका है। दक्षिण भारत और ख़ासकर तमिलनाडु में इस तरह क्षेत्रों के विभाजन के लिए ‘मुफ़स्सिल’ की जगह ‘ब्लैक टाउन’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता था जबकि क़स्बों व ग्रामीण क्षेत्र के लिए पेठ व पुरम शब्द का इस्तेमाल किया जाता था।
20वीं सदी के दौरान ‘मुफ़स्सिल’ और अन्य क्षेत्रों में बिकने वाले अख़बारों का मूल्य अलग अलग होता था। इस क्षेत्र में बिकने वाला अख़बार अधिक महँगा होता था क्यूँकि इस क्षेत्र में अख़बार पहुँचने के लिए यातायात पर होने वाला खर्च अधिक होता था और उस क्षेत्र में अख़बारों की बिक्री भी कम होती थी।

Hunt The Haunted के Facebook पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें (लिंक)
Awesome! Its genuinely remarkable post, I have got much clear idea regarding from this post
thanks
Awesome! Its genuinely remarkable post, I have got much clear idea regarding from this post
thanks
Very informative article
thanks
I’m often to blogging and i really appreciate your content. The article has actually peaks my interest. I’m going to bookmark your web site and maintain checking for brand spanking new information.
Very well presented. Every quote was awesome and thanks for sharing the content. Keep sharing and keep motivating others.
I’m often to blogging and i really appreciate your content. The article has actually peaks my interest. I’m going to bookmark your web site and maintain checking for brand spanking new information.
very informative articles or reviews at this time.
very informative articles or reviews at this time.
Very well presented. Every quote was awesome and thanks for sharing the content. Keep sharing and keep motivating others.
This was beautiful Admin. Thank you for your reflections.
Thanks for appreciating
I like the efforts you have put in this, regards for all the great content.
I do not even understand how I ended up here, but I assumed this publish used to be great
I appreciate you sharing this blog post. Thanks Again. Cool.
Pretty! This has been a really wonderful post. Many thanks for providing these details.
This is really interesting, You’re a very skilled blogger. I’ve joined your feed and look forward to seeking more of your magnificent post. Also, I’ve shared your site in my social networks!
Very well presented. Every quote was awesome and thanks for sharing the content. Keep sharing and keep motivating others.
Great information shared.. really enjoyed reading this post thank you author for sharing this post .. appreciated
Pretty! This has been a really wonderful post. Many thanks for providing these details.
You’re so awesome! I don’t believe I have read a single thing like that before. So great to find someone with some original thoughts on this topic. Really.. thank you for starting this up. This website is something that is needed on the internet, someone with a little originality!
Hi there to all, for the reason that I am genuinely keen of reading this website’s post to be updated on a regular basis. It carries pleasant stuff.
This is really interesting, You’re a very skilled blogger. I’ve joined your feed and look forward to seeking more of your magnificent post. Also, I’ve shared your site in my social networks!
I’m amazed by the depth of research put into this article. It’s well-referenced and reliable.