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विश्व होम्योपैथी दिवस: हिंदुओं की तुलना में मुस्लिम के बीच होम्योपैथी का प्रचलन दुगुना से अधिक है।

प्रत्येक वर्ष 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। आज दुनियाँ के लगभग 85 देशों में इस उपचार विधि का प्रचलन है। भारत सरकार द्वारा आयुष योजना के तहत होम्योपैथी के साथ साथ आयुर्वेद, योग, यूनानी, आदि इलाज पद्धति को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन भारत में होम्योपैथी इलाज पद्धति का इतिहास 19वीं सदी तक जाता है जब हिंदुस्तान में पहली बार इस उपचार विधि से इलाज प्रारम्भ हुआ था। आज होम्योपैथी हिंदुस्तान में ऐलोपैथी के बाद दूसरा सर्वाधिक प्रसिद्ध इलाज पद्धति है। हिंदुस्तानी समाज के अलग वर्ग होम्योपैथी इलाज व्यवस्था के प्रति अलग अलग नज़रिया रखते हैं जो पिछले डेढ़ सौ वर्षों के इतिहास के दौरान बदला भी है।

लेकिन इसके बावजूद आज भी हिंदुस्तान में होम्योपैथी का प्रचलन बहुत कम है। आज भी हिंदुस्तान के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में क्रमशः 93.5 और 93.4 प्रतिशत इलाज ऐलोपैथी विधि से होता है। बाक़ी बचे 6.5 प्रतिशत लोग योग, आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी आदि उपचार विधि से अपना इलाज करवाते हैं। इन ग़ैर-ऐलोपैथी उपचार विधियों में से होम्योपैथी विधि सर्वाधिक प्रचलित विधि है जिससे हिंदुस्तान में लगभग 3 प्रतिशत लोग इलाज करवाते हैं। 

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इतिहास में होम्योपैथी इलाज विधि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में अधिक प्रचलित हुआ करता था। लेकिन पिछले कुछ दशकों से ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में इस इलाज विधि का प्रचलन बढ़ रहा है और ख़ासकर बच्चों के इलाज में यह प्रचलन सर्वाधिक है। दूसरी तरफ़ बुजुर्गों के इलाज में योग और आयुर्वेद जैसे इलाज पद्धति का इस्तेमाल बढ़ा है। भारत सरकार ने इस सम्बंध में वर्ष 2014 में एक रिपोर्ट जारी किया जिसने कई चौकाने वाले तथ्य सामने लाए।

इसी तरह पुरुषों की तुलना में महिलाओं के बीच होम्योपैथी इलाज का प्रचलन अधिक है। ग्रामीण भारत में 1.9 प्रतिशत पुरुष इस उपचार विधि से इलाज करवाते हैं जबकि महिलाओं के बीच यह प्रतिशत 3.7 प्रतिशत है। शहरी जीवन में भी पुरुषों की तुलना में महिलाएँ इस उपचार विधि पर अधिक भरोसा करती है। शहरों में 2.4 प्रतिशत पुरुष इस उपचार विधि से इलाज करवाते हैं जबकि महिलाओं का अनुपात 3.7 प्रतिशत है।

होम्योपैथी की धर्म-जाति:

धर्म के आधार पर देखे तो हिंदू की तुलना में मुस्लिम के के बीच होम्योपैथी इलाज का प्रचलन दो गुना से भी अधिक है। हिंदू धर्म में मात्र 2.6 प्रतिशत ग्रामीण लोग इस उपचार विधि से इलाज करवाते हैं जबकि मुस्लिम में यह अनुपात 5.6 प्रतिशत है। यह अंतर शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के बीच कम है जहाँ हिंदू धर्म के 3.1 प्रतिशत लोग इस उपचार विधि से इलाज करवाते हैं जबकि इस्लाम धर्म के 3.9 प्रतिशत इस उपचार विधि से इलाज करवाते हैं। ॰

जाति के आधार पर देखें तो सामान्य वर्ग के लोगों के बीच होम्योपैथी इलाज सर्वाधिक प्रसिद्ध है जबकि आदिवासी समाज के बीच इसका प्रचलन सर्वाधिक कम है। सामान्य वर्ग के 4.1 प्रतिशत ग्रामीण लोग इस उपचार विधि से इलाज करवाते हैं जबकि आदिवासियों के बीच यह प्रचलन मात्र 0.6 प्रतिशत है और दलित के बीच 2.2 प्रतिशत है। शहरी क्षेत्रों में भी आदिवासी समाज के 1.7 प्रतिशत लोग ही इस उपचार विधि से इलाज करवाते हैं जबकि सामान्य वर्ग (उच्च जाति) के लोगों के बीच यह अनुपात 3.7 प्रतिशत है और दलित के बीच मात्र 2.0 प्रतिशत है। 

रोग-बीमारी:

होम्योपैथी इलाज से कान और चर्मरोग से सम्बंधित इलाज सर्वाधिक होता है। पिछले कुछ वर्षों से हिंदुस्तान के शहरी क्षेत्रों में कैंसर के इलाज के लिए होम्योपैथी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। इस मामले में ग्रामीण की तुलना में शहरी क्षेत्रों में इस उपचार विधि का प्रचलन अधिक है। जहाँ मात्र 2.7 प्रतिशत ग्रामीण लोग इस उपचार विधि से इलाज करवाते हैं वहीं ये प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में 2.9 प्रतिशत है। 

एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में लगभग 8.8 प्रतिशत शहरी कैंसर मरीज़ होम्योपैथी इलाज करवा रहे थे जबकि ग्रामीण हिंदुस्तान में कैंसर के इलाज के लिए मात्र 0.6 प्रतिशत लोग इस उपचार विधि की मदद ले रहे थे। दूसरी तरफ़ गुप्त रोग सम्बंधित इलाज में इस उपचार विधि का इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में दो गुना है।

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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