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क्रिकेट विश्व कप 2023 में भारत के लिए शर्मिंदगी वाले 10 विवाद

भारत क्रिकेट विश्व कप 2023 के फ़ाइनल में पहुँच चुका है और शायद फ़ाइनल भी जीत जाए लेकिन इस विश्व कप ने भारत के लिए जितना सम्मान बटोरा है शर्मिंदा भी उतना ही किया है।   

क्रिकेट विश्व कप 2023 में भारत के लिए शर्मिंदगी वाले 10 विवाद | News Hunters |
क्रिकेट विश्व कप शर्मिंदगी नम्बर 1: 

इस विश्व कप का पहला मैच इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड के बीच था, अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में, जिसकी क्षमता थी एक लाख तीस हज़ार दर्शकों की। इसी मैदान पर, इसी साल मार्च 2023 में आस्ट्रेलिया और इंडिया का मुक़ाबला हो चुका था जिसमें खुद नरेंद्र मोदी और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैच देखने आए थे। मैच से पहले मोदी जी ने वो सब कुछ किया जो वो किसी चुनाव प्रचार में किसी चुनावी रैली में करते हैं।

एक रथ नुमा गाड़ी पर पूरा ग्राउंड घूमकर हाथ हिलाए, मोदी मोदी के जयकारे लगे और मैच के दौरान कैमरा सबसे ज़्यादा मोदी जी पर टिका रहा। इस मैच का 80 हज़ार टिकट भाजपा कार्यकर्ताओं को मुफ़्त में बाँटा गया था। और वही हुआ जिसके लिए उन्हें फ़्री में टिकट बाँटा गया था। क्रिकेट मैच के दौरान स्टेडियम इंडिया इंडिया के नारों से कम और मोदी मोदी के नारे से ज़्यादा गूंजता रहा। 19 नवम्बर को इंडिया और आस्ट्रेलिया के बीच विश्व कप का फ़ाइनल गुजरात के अहमदाबाद के इसी नरेंद्र मोदी मैदान पर होगा। और इसमें कोई शक नहीं है कि मोदी जी भी ये मैच देखने आएँगे, और मोदी मोदी के नारे लगेंगे।

शर्मिंदगी नम्बर 2: 

जिस तरह से भारत में प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर भारत का सबसे बड़ा क्रिकेट ग्राउंड बनाया गया है उसी तरह जर्मनी में हिटलर ने भी साल 1936 में हुए बर्लिन ओलम्पिक के लिए एक स्टेडियम का निर्माण करवाया था जिसका नाम हिटलर के नाम पर रखा गया था। जिस तरह से हिटलर ने अपने नाम पर बने उस स्टेडियम और 1936 के ओलम्पिक गेम का जमकर राजनीतिक इस्तेमाल किया था, उसी तरह अभी तक नरेंद्र मोदी ने भी अपने नाम मोदी के नाम पर बने स्टेडियम का जमकर राजनीतिक इस्तेमाल किया है।

साल 2020 में बनकर तैयार हुए इस स्टेडियम के उद्घाटन में कोई क्रिकेट मैच नहीं हुआ था बल्कि मोदी जिस के तथाकथित दोस्त डॉनल्ड ट्रम्प के चुनावी प्रचार के लिए नमस्ते ट्रम्प कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसी साल हुए भारत आस्ट्रेलिया मैच का भी खूब राजनीतिक इस्तेमाल हुआ था जैसा कि हमने पहले भी बताया है।

हालाँकि यहाँ आप ये भी जान सकते हैं कि जिस स्टेडियम का नाम आज नरेंद्र मोदी स्टेडियम है उसका नाम कभी गुजरात स्टेडियम था और उसके बाद उसका नाम सरदार वल्लभ भई पटेल स्टेडियम भी था लेकिन उसके बाद उस सरदार वल्लभ भई पटेल स्टेडियम को तोड़कर उसी जगह पर नया स्टेडियम बनाया गया और नए स्टेडियम का नाम रखा गया नरेंद्र मोदी स्टेडियम। 

शर्मिंदगी नम्बर 3:

चेन्नई में खेले जा रहे पाकिस्तान बनाम आस्ट्रेलिया मैच के दौरान एक स्थानीय पुलिस ने एक पाकिस्तानी दर्शक को पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाने से मना करता है। एक अंतरराष्ट्रीय मैच में एक पाकिस्तानी दर्शक को अपनी टीम का सपोर्ट करने से मना किया जाता है। अभी तक उस पुलिस वाले के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं हुई है जबकि वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।  

भारत पाकिस्तान मैच के दौरान पाकिस्तान के विकेट कीपर मोहम्मद रिज़वान जब आउट होकर वापस पवेलियन जा रहे थे तो कुछ दर्शकों ने धार्मिक नारे लगाए। PCB ने इसके ख़िलाफ़ शिकायत भी किया लेकिन जवाब में ICC ने कहा कि भिड़ के ऊपर ICC को कार्यवाही करने का कोई अधिकार नहीं है।

हालाँकि हाल ही में जब स्पेन में भी ऐसी एक घटना घाटी जिसमें दर्शकों ने ब्राज़ील के एक खिलाड़ी के ख़िलाफ़ उनके काले रंग को लेकर टिप्पणी किया तो प्रशासन ने उस स्टेडियम के उस स्टैंड को अगले पाँच मैच के लिए रद्द कर दिया जिससे ये आवाज़ आइ थी और क्लब के ऊपर 45 हज़ार युरो का जुर्माना भी कर दिया। इस मामले में स्पेन पुलिस ने सात लोगों को गिरफ़्तार भी किया और उन्हें स्टेडियम घुसने से अगले तीन सालों के लिए प्रतिबंधित कर दिया। 

शर्मिंदगी नम्बर 4:

टीम इंडिया की विश्व कप 2023 में लगातार जीत में कुछ लोग OBC जाति के खिलाड़ियों की संख्या ढूँढने लगे तो कुछ लोग इस सफलता के लिए टीम इंडिया में आरक्षण लागू नहीं होने को ज़िम्मेदार बताने लगे। टीम इंडिया की जीत का श्रेय कोई OBC खिलाड़ियों को दे रहा है तो कोई इस जीत के सहारे आरक्षण नीति पर हमला कर रहा है। अगर टीम इंडिया इसलिए जीत रही है क्यूँकि टीम इंडिया के खिलाड़ियों के चयन में आरक्षण लागू नहीं है तो फिर फ़ुट्बॉल या फिर किसी किसी अन्य खेल में जिसमें भारत की हालत दयनीय है क्या उन खेलों में आरक्षण लागू है?

खेल में हार जीत के लिए आरक्षण ढूँढने वाले तो दक्षिण अफ़्रीका के कप्तान को आरक्षण-जीवी बता दिया और दक्षिण अफ़्रीका की हार के लिए दक्षिण अफ़्रीका की सरकार की अश्वेत आरक्षण नीति को ज़िम्मेदार ठहरा दिया। अगर आरक्षण नीति ही किसी टीम के हार और जीत के पीछे कारण था तो फिर ब्रिटेन, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान या न्यूजीलैंड में कौन सा आरक्षण है जिसके कारण वो विश्व कप के फ़ाइनल में नहीं पहुँच पायी ?

शर्मिंदगी नम्बर 5: 

जब से पाकिस्तान की टीम विश्व कप खेलने भारत पहुँची है तब से पाकिस्तानी टीम को किसी न किसी कारण से ट्रोल किया गया। कभी उनके खाना खाते हुए वीडियो को शेयर किया गया कि पाकिस्तान में ग़रीबी इतनी है कि पाकिस्तानी खिलाड़ी भारत में भुक्खड़ की तरह सिर्फ़ खा पी और मस्ती कर रहे हैं जैसे पाकिस्तान में उन्हें न तो इतना आलीशान होटेल मिलता था और न ही इतना आलीशान खाना।

इसे कहते हैं किसी मेहमान को अपने घर पर बुलाकर उसकी ग़रीबी का मज़ाक़ उड़ाना। ग़रीबी में तो पाकिस्तान से ज़्यादा गरीब मुल्क आज अफ़ग़ानिस्तान है लेकिन किसी ने अफ़ग़ानिस्तान का तो मज़ाक़ नहीं उड़ाया, अभी एक साल पहले श्रीलंका का आर्थिक दिवलियापन हो चुका था फिर भी किसी ने उसका मज़ाक़ नहीं उड़ाया। 

शर्मिंदगी नम्बर 6: 

हिंदुस्तान को नहीं भूलना चाहिए कि साल 2025 में भारत को पाकिस्तान जाना है चैंपियन ट्रोफ़ी खेलने के लिए। भारत तब शर्मिंदा नहीं होगा अगर पाकिस्तान के लोग भी भारत की तरह पाकिस्तानियों के ख़िलाफ़ कोई द्वेष की भावना या बदले की भावना ज़ाहिर करेंगे बल्कि पाकिस्तान हमें तब शर्मिंदा कर देगा जब वो भारत के खिलाड़ियों और भारत के दर्शकों के साथ मोहब्बत का पैग़ाम दे देंगे।

नफ़रत का जवाब नफ़रत नहीं मोहब्बत होती है और ये बात राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी दिखी। जब तक कांग्रेस मोदी का जवाब नफ़रत से देते रही तब तक मोदी मज़बूत होते रहे लेकिन जैसे ही कांग्रेस नफ़रत का जवाब मोहब्बत से देने लगी कांग्रेस और राहुल गांधी ने अपनी एक अलग पहचान बना ली। वो पहचान आगे आने वाले चुनाव में कांग्रेस और राहुल गांधी को कितना फ़ायदा पहुँचाएगी ये तो समय ही बताएगा लेकिन कांग्रेस और राहुल गांधी की पहचान बन चुकी है।

शर्मिंदगी नम्बर 7: 

जैसे भारत का विपक्ष अब मोदी सरकार के सभी कामों का विरोध करने लगी है तो फिर विश्व कप क्यूँ इससे अछूता रहता। भारत का विपक्ष ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि इस विश्व कप के दौरान कांग्रेस शासित प्रदेशों में न के बराबर मैच खेला गया है क्यूँकि मोदी सरकार सिर्फ़ विपक्ष या सिर्फ़ गांधी परिवार से नफ़रत नहीं करती है बल्कि उन राज्यों से भी नफ़रत करती है जहां कि जनता ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया था।

उदाहरण के लिए पंजाब राज्य के प्रसिद्ध मोहाली स्टेडियम में एक भी मैच नहीं करने के फ़ैसले को भी आलोचना हुई क्यूँकि पंजाब में भाजपा राजनीतिक रूप से नगण्य है। इस क्रिकेट विश्व कप के दौरान कांग्रेस शासित राजस्थान में एक भी मैच नहीं हुआ, आप पार्टी वाले दिल्ली में मैच रखा गया क्यूँकि उस स्टेडियम का नाम भाजपा नेता अरुण जेटली के नाम पर है। 

दूसरी तरफ़ कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ का रायपुर स्टेडियम हिंदुस्तान का तीसरा सबसे बड़ा स्टेडियम है जिसमें 65 हज़ार लोग बैठ सकते हैं लेकिन इस मैदान पर इस विश्व कप के दौरान एक भी मैच नहीं खेला गया। केरल राजधानी त्रिवेंद्रम के स्टेडियम में भी विश्व कप का एक भी मैच नहीं खेला गया जो भारत का छठा सबसे बड़ा क्रिकेट ग्राउंड है और जिसमें 55 हज़ार लोग बैठ सकते हैं जबकि जिस वनखड़े स्टेडियम में इस विश्व कप का पहला सेमी फ़ाइनल हुआ उसकी क्षमता 35 हज़ार लोगों को बैठने की भी नहीं है।

इसे भी पढ़े: पाकिस्तान में कब, क्यूँ और कैसे हुआ था ‘बिहारी रोको अभियान’?

झारखंड मुक्ति मोर्चा शासित झारखंड के राँची के क्रिकेट स्टेडियम में पचास हज़ार लोगों के बैठने की क्षमता है, भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का घर भी राँची है लेकिन उसके बावजूद राँची में इस विश्व कप के दौरान एक भी मैच नहीं खेला गया। हमारे आपके लिए या आम भारतवासियों के लिए क्रिकेट जुनून होगा लेकिन BCCI के लिए क्रिकेट धंधा है। BCCI को जिस क्रिकेट ग्राउंड में मैच करवाने के ज़्यादा पैसे मिलते हैं BCCI सिर्फ़ वहीं मैच करवाती है।

जिस क्रिकेट ग्राउंड का मैनेजमेंट कोई क्रिकेट बोर्ड करती है उसमें घपला करना आसान होता है इसलिए BCCI सिर्फ़ ऐसे मैदानों को ही मैच के लिए चुनती है जिसका मैनेजमेंट कोई न कोई क्रिकेट बोर्ड कर रहा हो न कि राज्य सरकार या राज्य सरकार का क्रिकेट बोर्ड। लेकिन रायपुर और राँची दोनो स्टेडियम और कलकत्ता का ईडन गार्डन भी राज्य सरकार का है किसी प्राइवेट बोर्ड का नहीं, इसीलिए यहाँ या तो बिल्कुल मैच नहीं होता है या फिर बहुत कम मैच होता है। 

शर्मिंदगी नम्बर 8: 

इस विश्व कप में जितनी बार मैदान के पिच के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया है उतनी बार इस तरह का आरोप शायद ही किसी और विश्व कप में लगा होगा। और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस तरह का आरोप लगाने में सिर्फ़ पाकिस्तान ही नहीं है बल्कि अभी ख़त्म हुए भारत न्यूजीलैंड मैच में भी न्यूजीलैंड के कप्तान ने आरोप लगाया कि मैदान के पिच के साथ छेड़छाड़ किया गया था ताकि उससे भारत को फ़ायदा हो।

इसके पहले पाकिस्तान के पूर्व खिलाड़ी मोहम्मद हफ़ीज़ ने भी पिच के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए बोला था कि ऐसा लगता है कि विश्व कप ICC नहीं बल्कि BCCI करवा रही है।  पाकिस्तान ने तो यहाँ तक आरोप लगा दिया था कि भारत पाकिस्तान मैच के दौरान दिल दिल पाकिस्तान गाना एक बार भी नहीं बजाया गया था जबकि बार बार सिर्फ़ चक दे इंडिया और बंदे मातरम गाना ही बजता रहा। 

शर्मिंदगी नम्बर 09: 

इस विश्व कप में भारत जीते या हारे लेकिन इस विश्व कप का भारत के लिए सबसे बड़ा शर्मिंदगी रहा मोहम्मद शमी का पहले तो शुरुआती चार मैच में नहीं खिलाना, और फिर जब उन्हें टीम इंडिया में खेलने के लिए जगह दी गई तो उन्हें कभी कैच नहीं पकड़ने तो कभी मैदान पर सजदा करने के लिए ट्रोल किया गया। इस विश्व कप 2023 के दौरान मोहम्मद शमी को पहली बार टीम इंडिया में जगह भारत न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ खिलाया गया जब हार्दिक पण्ड्या चोटिल हो गए थे।

पहले मैच में ही मोहम्मद शमी ने पाँच विकेट लेकर सनसनी फैला दिया था लेकिन उसी मैच में जब मैच के शुरुआत में ही मोहम्मद शमी ने न्यूजीलैंड के कप्तान Kane Williamson का कैच छोड़ा तो उन्हें बुरी तरह ट्रोल किया गया, कुछ लोगों ने तो उन्हें ग़द्दार तक बोल दिया। इसी मैच में पाँच विकेट लेने के बाद मोहम्मद शमी जब अपने घुटनों पर बैठ गए तो कुछ लोग उन्हें इस बात के लिए ट्रोल किए कि वो क्रिकेट मैदान पर सजदा क्यूँ कर रहे हैं तो दूसरी तरफ़ पाकिस्तनियों ने इस बहाने इंडीयन टीम और इंडिया को ट्रोल करने का प्रयास किया कि भारत में खिलाड़ियों को मैदान पर सजदा करने नहीं दिया जाता है।

ये सब कोई पहली बार नहीं हो रहा है। साल 2021 के एक मैच में पाकिस्तान के हाथों भारत की हार के बाद कश्मीरी छात्रों के साथ बदसलूकी किया गया था और हार का ठीकरा मोहम्मद शमी के ऊपर फोड़ दिया गया था।

शर्मिंदगी नम्बर 10:

लेकिन इससे भी बड़ी और 10वीं शर्मिंदगी है इस पूरे मामले में भारतीय समाज का महिला विरोधी चेहरा का फिर से उभरना। मोहम्मदी शमी ने जब से इस विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया है तब से उनकी पत्नी को सोशल मीडिया पर इस बात के लिए ट्रोल किया जा रहा है कि जैसे उन्होंने मोहम्मद शमी से तलाक़ लेकर कोई गुनाह किया हो।

नरेंद्र मोदी एक सफल प्रधानमंत्री हो या न हो लेकिन इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए कि वो एक सफल भाजपा कार्यकर्ता हैं, और एक सफल नेता ज़रूर हैं लेकिन इतनी सफलता के बावजूद उन्हें एक सफल पति कभी नहीं कहा जा सकता है। मोहम्मद शमी अगर क्रिकेट में अच्छा कर रहे हैं तो इसका मतलब ये ज़रूरी नहीं है कि वो एक अच्छा पति या एक अच्छा बाप भी होंगे। 

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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