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2017 के चुनाव परिणाम के बाद गुड्डु लाल पूरे उत्तराखंड में चर्चा का विषय बन गए थे

गुड्डु लाल:

चुनाव से बमुश्किल तीन हफ़्ते पहले घाट ब्लॉक की जनता को न जाने क्या सूझी और मज़ाक़-मज़ाक़ में उन्होंने अपने क्षेत्र से ग्राम प्रधान और ज़िला पंचायत सदस्य रह चुके गरीब गुड्डु लाल को थराली विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतार दिया। आज़ाद हिंदुस्तान के इतिहास में आज तक घाट ब्लॉक क्षेत्र को अपने क्षेत्र से एक भी विधायक, मंत्री या सांसद बना पाने का मौक़ा नहीं मिला था। 

क्षेत्र के लोगों द्वारा इस कसक का भड़ास निकालने मात्र से ही प्रेरित क्षेत्र के लोगों द्वारा गुड्डु लाल को मैदान में उतारने की पहल देखते ही देखते रंग लाने लगी। पूरा घाट ब्लॉक के लोग एक होने लगे। गुड्डु लाल के चुनाव प्रचार के लिए धन-बल से मदद लगे। अपने होटल, ढाबा, दुकानें, गाड़ी आदि से प्रचारकों के लिए मुफ़्त सेवा देने लगी, और चादर पर चंदे की रक़म गिरने लगी। 

चित्र: गुड्डु लाल द्वारा जारी पर्चा और जनता से अपील।

घाट ब्लॉक:

चार ब्लॉक से मिलकर बना थराली विधानसभा में सर्वाधिक मतदाता घाट ब्लॉक से ही होते हैं और इसी ने क्षेत्र के कुछ लोगों के मन में क्षेत्र से पहला विधायक बनवाने की उम्मीद दिलाई। घाट ब्लॉक के बहुत लोग अभी भी भाजपा और कांग्रेस के कट्टर समर्थक थे जिनपर क्षेत्रवाद का कोई जादू नहीं चलने वाला था। दूसरी तरफ़ घाट ब्लॉक कुछ लोग गुड्डु के चुनाव मैदान में उतरने के निर्णय को हास्यास्पद मानकर गुड्डु को अपना वोट नहीं देने वाले थे क्यूँकि उन्हें लगता था कि गुड्डु को वोट देने से उनका मतदान बर्बाद हो जाएगा। 

पर 11 मार्च 2017 को जब मतगणना की मशीने खुलनी शुरू हुई तो पहले घंटे में गुड्डु लाल भाजपा-कांग्रेस समेत सभी उम्मीदवारों से आगे चलने लगे। मतगणना केंद्र के बाहर हड़कम्प सी मच गई। लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि एक मज़ाक़ में लिया गया निर्णय भाजपा-कांग्रेस को कैसे पछाड़ सकती है। पर जैसे जैसे देवाल और थराली ब्लॉक की वोटिंग मशीने खुलनी शुरू हुई, गुड्डु और गुड्डु के साथ घाट ब्लॉक पीछे होने लगी और नारायणबगड ब्लॉक की पेटी खुलते खुलते गुड्डु की हार पक्की हो चुकी थी। 

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चित्र: बर्फ़बारी के बिच थराली ब्लॉक के रतगाँव में चुनाव प्रचार करते गुड्डु लाल और उनके समर्थक

इतिहास लिखा जा चुका था:

इतिहास लिखा जा चुका था। इस हार में भी एक जीत थी। गुड्डु लाल आज़ाद हिंदुस्तान में घाट क्षेत्र का सर्वाधिक मत लाने वाला विधायक प्रत्याशी बन चुका था। पूरे उत्तराखंड में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों में से गुड्डु लाल तीसरा सर्वाधिक मत लाने वाला विधायक प्रत्याशी बन चुका था। 186 मतदान केंद्रों में से मात्र 12 ही ऐसे मतदान केंद्र थे जहाँ गुड्डु को एक भी मत नहीं मिला था। गुड्डु लाल को उनके गाँव से अधिक बुरा, जाखनी, लवानी आदि घाट के अन्य गाँव से वोट मिले।

गुड्डु लाल को 85 प्रतिशत वोट अकेले घाट ब्लॉक से मिली थी। देवाल, थराली और नारायणबगड ब्लॉक में गुड्डु लाल ने मात्र दो दिनों चुनावी प्रचार किया था जहां से उन्हें न के बराबर वोट मिली। गुड्डु लाल के चुनावी रणनीतीकारों की यह सबसे बड़ी भूल थी। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद आज तक देवाल ब्लॉक से भी एक विधायक नहीं बन पाया था। देवाल ब्लॉक के लोगों का घाट ब्लॉक के लोगों के साथ रोटी-बेटी का रिस्ता है और शायद यही कारण था कि देवाल ब्लॉक के मतदाता भी गुड्डु लाल को अपना मतदान देने के निर्णय पर पछता रहे थे।

कसक:

घाट के वो लोग जो कुछ दिन पहले तक गुड्डु लाल द्वारा चुनावी मैदान में उतरने के निर्णय को मज़ाक़ समझ रहे थे वो अब पछता रहे थे। घाट ब्लॉक से भाजपा-कांग्रेस के कट्टर समर्थकों के मन में भी कसक झलक रही थी। घाट ब्लॉक के लोगों ने आज़ाद हिंदुस्तान के इतिहास में क्षेत्र से पहला विधायक चुनने का मौक़ा खो चुकी थी। पर घाट ब्लॉक के इतिहास में एक एतिहासिक पन्ना जोड़ा जा चुका था। 

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