HomeCurrent Affairsभारतीय राजनीति में रावण का पोस्टर: 10 उदाहरण  

भारतीय राजनीति में रावण का पोस्टर: 10 उदाहरण  

राजनीति में रावण के व्यक्तित्व का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को दानव के रूप में दिखाने के लिए इस्तेमाल आख़री बार 25 अक्तूबर को बिहार भाजपा ने किया जब एक ऐनिमेशन विडीओ में लालू यादव को रावण, नीतीश कुमार को कुंभकरन और तेजस्वी यादव को मेघनाथ के रूप में दिखाया गया। इसके बाद JDU की तरफ़ से एक पोस्टर और एक ऐनिमेशन विडीओ से पलटवार हुआ। लेकिन भारतीय राजनीति में अपने विरोधियों को रावण के रूप में दिखाने का प्रचलन बहुत पुराना है।

इसी साल 5 अक्तूबर को भाजपा ने अपने अफ़िशल सोशल मीडिया प्लाट्फ़ोर्म ट्वीटर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को रावण रूपी पोस्टर जारी किया। इससे पहले कुछ लोगों ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार  के दौरान प्रधानमंत्री मोदी जी का भी एक पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल किया था जिसमें मोदी जी को दस सिर वाले रावण की तरह दिखाया गया था, लेकिन कांग्रेस ने उस समय इस घटना का मोदी जी के इस पोस्टर का विरोध किया था और पोस्टर लगाने वालों की आलोचना किया था।  

भारतीय राजनीति में रावण का पोस्टर: महात्मा गांधी से राहुल गांधी तक

रावण नम्बर 1: 

किसी प्रसिद्ध नेता को किसी पोस्टर में रावण के रूप में दिखाए जाने का पहला उदाहरण साल 1945 में मिलता है जब RSS और हिंदू महासभा के सदस्य नारायण आप्टे और नाथूराम गोडसे द्वारा सम्पादित ‘अग्रणी’ नाम की मराठी पत्रिका में गांधी जी को दशानन के रूप में दिखाया गया था। इस पोस्टर में एक तरफ़ सावरकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी को राम और लक्ष्मन के रूप में दिखाया गया था और दूसरी तरफ़ महात्मा गांधी जी को दस सिर वाले दशानन की तरह दिखाया गया था।

इस पोस्टर में राम रूपी सावरकर जो तीर रावण रूपी महात्मा गांधी पर चला रहे हैं उस तीर का नाम था अखंड भारत। मतलब सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, RSS और हिंदू महसभा के अनुसार महात्मा गांधी अखंड भारत के निर्माण में सबसे बड़ा रोड़ा थे जिसका वो राम बनकर वध कर रहे थे। लेकिन क्यूँ?

साल था 1945, द्वितीय विश्व युद्ध ख़त्म हो चुका था और ब्रिटिश भारत को आज़ाद बनाने का मन बना चुके थे। भारत के स्वतंत्र होने से पहले ही लोग बंदर-बाट शुरू कर चुके थे। जिन्ना अलग पाकिस्तान पर अड़ चुके थे, अम्बेडकर दलितों के लिए आरक्षण ले चुके थे, सरोजनी नायडू, अमृत कौर जैसे महिला आंदोलनकारी नए स्वतंत्र भारत में महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ रहे थे, राजा-रजवाड़े रियासत छिनने के डर से परेशान थे।

इसे भी पढ़े: 10 मौक़े जब रावण पुतला दहन का विरोध हुआ

और इन सब परेशानियों के बीच RSS और हिंदू महासभा गांधी और नेहरू के बढ़ते व्यक्तित्व से परेशान थे। गांधी नेहरू और अम्बेडकर के समाजवादी मॉडल से परेशान थे, और गांधी-नेहरू के मुस्लिम नीति से परेशान थे। इसी बीच अग्रणी पत्रिका में यह पोस्टर छापा जिसमें गांधी जी के दस सरों में से एक सर नेहरू का था, एक सरदार पटेल का, एक सुभाष चंद्रा बोस का, एक मौलाना आज़ाद का, और एक राजगोपालाचारी का था।

इस पोस्टर पर जब विवाद बढ़ा तो पहले पत्रिका से उस पोस्टर से हटा दिया गया और बाद में सावरकर, RSS और हिंदू महसभा ने अपने आप को उस पोस्टर और पत्रिका दोनो से अलग कर लिया। हालाँकि इसी ‘अग्रणी’ पत्रिका को सावरकर ने साल 1944 में पंद्रह हज़ार रुपए का अनुदान दिया था। उस समय पंद्रह हज़ार की क़ीमत क्या होगी इसका अंदाज़ा आप लगा सकते हैं। 

रावण नम्बर 2: 

1980 के दशक के आख़री वर्षों और 1990 के दशक के शुरुआती वर्षों के दौरान चल रहे राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान कई ऐसे पोस्टर बनाए गए थे जिसमें भारत के अलग अलग मुस्लिम शासकों को रावण के दस सिर के रूप में दिखाया गया था जबकि मुख्य सिर बाबर का था और कांग्रेस को रावण की सेना के रूप में दिखाया जाता था। इनमे से ज़्यादातर पोस्टर विश्व हिंदू परिषद द्वारा बनवाए और प्रचारित किए गए थे।

इस आंदोलन के दौरान पोस्टर में राम कौन होगा इसको लेकर खूब विवाद हुआ, लाल कृष्ण आडवाणी और वी पी सिंह के बीच खूब प्रतिस्पर्धा हुई थी। वी पी सिंह अपने चुनावी भाषणों में राम और रावण का खूब ज़िक्र किया करते थे। लेकिन अंततः जीत हुई लाल कृष्ण आडवाणी की। और वो भाजपा के राम बनकर उभरे। इसी तरह से जब सभ्रमण्यम स्वामी ने देवी लाल को अफिमचि, और पागल बोला तो बदले में देवी लाल ने सभ्रमण्यम स्वामी को रावण के साथ तुलना किया था।

रावण नम्बर तीन: 

साल 2018 में नीतीश कुमार जब महगठबँधन को छोड़कर बिहार में भाजपा के साथ सरकार बना लिए थे तब एक पोस्टर बिहार में भी लगा था जिसमें  तेजस्वी यादव को राम और नीतीश कुमार को रावण के रूप में दिखाया गया था। अगस्त 2018 में ही  RJD नेता जय प्रकाश नारायण यादव ने बिहार में नीतीश सरकार के शासन को रावण राज बोला था। यानी की जंगल राज के जुमले का जवाब रावण राज से दिया जा रहा था। प्रचंड धर्म-निरपेक्ष RJD भी राम के सहारे सत्ता पाना चाह रहे थे। 

रावण नम्बर चार: 

अभी कुछ महीने पहले ही मार्च 2023 में भारत राष्ट्र समिति यानी की (BRS) के कुछ स्थानीय नेताओं ने तेलंगाना में प्रधानमंत्री मोदी का एक पोस्टर लगाया जिसमें मोदी जी को रावण के रूप में दिखाया गया था। बाद में भाजपा के यूवा मोर्चा BJYM यानी की भारतीय जनता यूवा मोर्चा ने उस पोस्टर को जगह जगह पर फाड़ दिया था। BRS KCR की पार्टी है मतलब K चंद्रशेखर राउ की जिसने तेलंगाना राज्य आंदोलन में अहम भूमिका भी निभाई थी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री भी बने थे। आज भी तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR ही हैं। 

रावण नम्बर पाँच: 

इसके बाद 27 अप्रैल 2023 को राजस्थान के चित्तोरगढ़ में ज़न आक्रोश रैली के दौरान भाजपा नेता और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को रावण बोला था जिसके ख़िलाफ़ कांग्रेस के पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह जड़वात के FIR भी किया था। 

53

रावण नम्बर छः

उसके बाद जुलाई 2023 में भी जब INDIA गाँठबँधन की घोषणा हुई थी तब भाजपा ने एक विडीओ जारी किया था जिसमें INDIA गठबंधन और उसके घटक दलों को रावण और उसके दस सिर के रूप में दिखाया था। 

रावण नम्बर सात:

पिछले साल 2022 में गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकाअर्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना रावण से करते हुए पूछा था कि भाजपा वाले  हर जगह जाकर मोदी जी के चेहरे पर वोट माँगते हैं, क्या मोदी जी के 100 सिर है जो हर जगह लोग मोदी जी के चेहरे पर ही लोग वोट करें? इसके बाद मोदी जी ने पूरे गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान खरगे जी के इस बात का बार बार ज़िक्र किया और बोला कि कैसे कांग्रेस उन्हें गालियाँ देती है, उन्हें रावण बोलती है और इस बात को गुजरात और गुजरातियों के अपमान से जोड़ा। 

रावण नम्बर आठ:

पिछले साल अक्टूबर 2022 में एकनाथ शिंदे ने उधव ठाकरे की पार्टी शिवसेना को तोड़कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी तब उधव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को चालीस सिर वाला रावण बोला था जो उनकी पार्टी  शिवसेना के चालीस विधायकों को उड़ा ले गए थे। 

रावण नम्बर नौ: 

दक्षिण भारत में तो दशानन की पूजा भी की जाती है, राम का पुतला दहन भी किया जाता है और श्रीलंका में तो रावण वहाँ के लोगों के लिए सबसे बड़े हीरो हैं। श्रीलंका ने जब अपना पहला सैटलायट बनाया था तब श्रीलंका ने उस सैटलायट का नाम रावण 1 रखा था।

2016 के दशहरा के दौरान जब प्रधानमंत्री मोदी ने लखनऊ में अपने एक भाषण में रावण को आतंकवादी बोला था तब श्रीलंका ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई थी। रावण को अपना हीरो मानने वालों में सिर्फ़ तमिलनाडु या श्रीलंका के ही लोग नहीं है बल्कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में भी दशानन को पूजा जाता है। छतीसगढ़ के जंगलों में राम से अधिक दशानन की मूर्ति दिखती है। 

आख़री रावण नम्बर दस: जाते जाते थोड़ी फ़िल्म बात। 

मोहम्मद रफ़ी के एक गाने “भूख ही भूख है” में भारत में कालाबाज़ारी और भ्रष्टाचार करने वालों को रावण बोला और भारत को राम राज्य बोला था। इस गाने का बोल था। “भारत देश में सब कुछ है, हो दौलत भी, है अनाज भी, और दूध की नदियाँ बहती है, हो इस धरती पे आज भी, मगर ये सब कुछ छुपा हुआ है चोरों के तहख़ानों में, जो महंगाई फैला कर, खुद ऐस करें मयखानों में, लानत है इन ग़द्दारों पर, हो यही तो देश के दुश्मन हैं, राम राज को लूटने वाले, आज भी कितने रावण हैं। 

अब वापस राजनीति। अब सवाल उठता है कि जब भारतीय राजनीति में सभी पार्टियाँ और सभी विचारधारा के लोग समय समय पर विपक्ष की पार्टी के नेता की तुलना दशानन से करते आए हैं, वो भी आज़ादी के पहले से ही तो फिर इस बार कांग्रेस भाजपा द्वारा राहुल गांधी को दशानन के रूप में दिखाए जाने के ख़िलाफ़ भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष JP नड्डा और IT सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय के ख़िलाफ़ FIR क्यूँ कर दी?

क्यूँकि शायद कांग्रेस अब यह संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस अब मज़बूत हो चुकी है, कांग्रेस अब भाजपा के सभी आरोपों का जवाब देगी और हर आरोप पर भाजपा को घेरने का प्रयास करेगी। सम्भवतः यही संदेश JDU भी देना चाहती है कि अब भाजपा जिस भाषा में मुद्दे खड़ा करेगी जवाब भी उन्हें उसी भाषा में मिलेगा या हूँ कहें कि उससे भी अधिक उग्र भाषा में। ।

Hunt The Haunted Logo,
WhatsApp Group Of News Hunters: (यहाँ क्लिक करें) https://chat.whatsapp.com/DTg25NqidKE… 
Facebook Page of News Hunters: (यहाँ क्लिक करें) https://www.facebook.com/newshunterss/ 
Tweeter of News Hunters: (यहाँ क्लिक करें) https://twitter.com/NewsHunterssss 
YouTube Channel: (यहाँ क्लिक करें)
 https://www.youtube.com/@NewsHunters
Hunt The Haunted Team
Hunt The Haunted Teamhttp://huntthehaunted.com
The Team of Hunt The Haunted consist of both native people from Himalayas as well as plains of north India. One this which is common in all of them and that is the intuition they feel in the hills of Himalayas.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Current Affairs