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दलितों के लिए हरिजन शब्द का इस्तेमाल गांधी जी से पहले किसने किया था ?

दलितों के लिए हरिजन शब्द का इस्तेमाल उन्निसवी सदी से ही होता आ रहा है।

माना जाता है कि महात्मा गांधी ने सबसे पहले हरिजन शब्द का इस्तेमाल दलितों को सम्मान देने के लिए किया था। पर यह मान्यता ऐतिहासिक तौर पर असत्य है। गांधी जी से बहुत पहले पाकिस्तान में पक्के मकान बनाने वाले कारीगरों को पारम्परिक तौर पर ‘हरी’ बोला जाता था। इसी तरह वर्ष 1872 की भारतीय जनगणना में बिहार—बंगाल-ओड़िसा के मैला साफ़ करने वाले समाज के लिए भी ‘हरी’ शब्द का ही इस्तेमाल किया गया था।

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हरिजन और जातिगत जनगणना:

वर्ष 1875 में Henry Waterfield द्वारा लिखी और ब्रिटिश संसद में प्रस्तुत की गई ‘Memorandum on the Census of British India 1871-72’  के अनुसार पूरे बंगाल प्रांत में स्थानिये तौर पर ‘हरी’ नाम से प्रचलित मैला साफ़ करने वाले जाति की कुल जनसंख्या तक़रीबन 5,60,000 थी। वर्ष 1931 की जनगणना में सभी दलित जातियों के लिए समग्र रूप से हरिजन शब्द का प्रयोग किया गया है।

1931 की जनगणना के अनुसार देश में हरिजन जाति का सर्वाधिक अनुपात हिमाचल प्रदेश में था जहाँ कि कुल जनसंख्या का 23.5 प्रतिशत हिस्सा दलित था जबकि पंजाब में यह अनुपात 21.9 उत्तर प्रदेश में 20.9 प्रतिशत था। दूसरी तरफ़ उत्तर पूर्व भारत और जम्मू और कश्मीर को छोड़ दें तो सर्वाधिक कम अनुपात महाराष्ट्र (5.5 प्रतिशत) और गुजरात (6.5 प्रतिशत) में था।

हरिजन
चित्र: वर्ष 1931 की जनगणना के अनुसार हिंदुस्तान के विभिन्न हिस्सों में हरिजन (दलित) की आबादी का अनुपात।

दावा यह भी किया जाता है कि इतिहास में ‘हरी’ शब्द का इस्तेमाल दक्षिण भारत के मंदिर में बेगार करने वाली देवदासीयों के नाजायज़ बच्चों के लिए भी किया जाता था। हालाँकि हरिजन शब्द का इस्तेमाल तुलसीदास के रामायण में भी हुआ है लेकिन रामायण में हरिजन शब्द का इस्तेमाल हरी, अर्थात् राम व विष्णु के उपासकों के लिए किया गया था। पर यह भी सत्य है कि गांधी जी ने सर्वप्रथम वर्ष 1931 में दलितों के लिए हरिजन शब्द का इस्तेमाल उन्हें समाज में उचित सम्मान दिलाने के लिए किया था। 

महात्मा और हरिजन:

गांधी जी ने वर्ष 1933 में अंग्रेज़ी, हिंदी और गुजराती तीन भाषाओं में ’हरिजन’ नामक अख़बार भी निकाला था और वर्ष 1932 में हरिजन सेवक संघ की भी स्थापना किया था। 7 नवम्बर 1933 से 2 अगस्त 1934 तक गांधी जी ने वर्धा से वाराणसी तक ‘All India Harijan Tour’ का भी आयोजन किया। इस यात्रा के दौरान तक़रीबन छः सौ मंदिरों को दलितों के लिए खोल दिया गया। 

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हालाँकि उस दौर के सर्वोच्च दलित नेता बाबा साहेब अम्बेडकर ने दलितों के लिए हरिजन शब्द के इस्तेमाल पर बार बार आपत्ति जताई। 22 जनवरी. 1938 को अम्बेडकर दलितों के लिए हरिजन शब्द के इस्तेमाल होने पर बम्बई विधान परिषद से वॉक-आउट भी किया। 

Gandhi Cartoon
चित्र: शंकर द्वारा 17 फरवरी 1933 में हिंदुस्तान टाइम्स।  तेलगु पत्रिका कृष्ण पत्रिका में 4 मार्च 1933 को पुनः प्रकाशित। संदर्भ: इस कार्टून में गांधी वर्ण व्यवस्था को साफ़-सुथरा रखने का प्रयास कर रहे हैं जबकि अम्बेडकर उसे हथौड़े से तोड़ने का प्रयास प्रयास कर रहे हैं। ये वही दौर था जिसमें दलितों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली व आरक्षण की माँग की जा रही थी।

आज़ाद हिंदुस्तान और हरिजन:

भारत सरकार ने वर्ष 1982 में ही दलितों के लिए हरिजन शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा चुकी थी लेकिन सार्वजनिक जीवन में इस शब्द का इस्तेमाल आज भी दलितों के लिए होता रहा। धनी और सामंती वर्ग बिना सरकार और सत्ता के मदद के भी सफलपूर्वक अपने सरनेम बदलकर अपनी जाति की पहचान बदलते आए हैं और दलितों, पिछड़ों व गरीब समाज को अपने हिसाब से सरनेम और बदनामी देते आए हैं।

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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