वर्ष 1918-19 में आइ इनफ़्लुएंज़ा महामारी के तीसरे चरण (वेव) के दौरान हिंदुस्तान में कितनी मौतें हुई इसका आँकड़ा उप्लब्ध नहीं है पर अमेरिका, ब्रिटेन आदि युरोपीय देशों समेत हिंदुस्तान के कुछ प्रमुख शहरों के आँकड़े बताते हैं कि महामारी के दूसरे चरण की तुलना में तीसरे चरण में मौतें कम हुई थी पर आँकड़े यह भी बताते हैं कि महामारी के तीसरे चरण के दौरान मौतें पहले चरण से अधिक हुई थी। (स्त्रोत लिंक) एक अन्य आँकड़े के अनुसार वर्ष 1889-90 के दौरान आए महामारी के दूसरे चरण की तुलना में तीसरे चरण के दौरान मौतें अधिक हुई थी। (स्त्रोत लिंक)
6 जुलाई 1918 को जब इनफ़्लुएंज़ा महामारी का पहला चरण जब अपने चरम पर था तब मुम्बई शहर में प्रतिदिन औसतन शहर में 80 मौतें हो रही थी जो 12 अक्टूबर को 255 पहुँच गई जब महामारी का दूसरा चरण अपने चरम पर पहुँच गया था। 11 हफ़्ते बाद जब मुम्बई शहर में इनफ़्लुएंज़ा महामारी का तीसरा चरण अपने चरम पर पहुँचा तो शहर में प्रतिदिन औसतन 90 मौतें हो रही थी जो की पहले चरन से अधिक था। (स्त्रोत लिंक)
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इनफ़्लुएंज़ा बनाम कोविड:
मार्च 2020 में कोविड महामारी प्रारम्भ होने के बाद से मीडिया, इतिहासकारों, स्वस्थ्य विशेषज्ञों आदि ने कोविड महामारी की तुलना वर्ष 1918-19 के दौरान आइ इनफ़्लुएंज़ा महामारी के साथ इस कदर करते आ रहे हैं मानो इतिहास में इनफ़्लुएंज़ा महामारी के अलावा कभी कोई दूसरी महामारी हुई ही नहीं थी और जो भी कुछ वर्ष 1919-20 (इनफ़्लुएंज़ा) के दौरान हुआ था वही 2020-22 (कोविड) के दौरान दोहराया जाएगा। (स्त्रोत लिंक)
सरकार और समाज ऐसा मान चुकी है कि वर्तमान कोविड महामारी के इस तीसरे चरण के दौरान मौतें बहुत कम होगी और शायद यही कारण है कि जब अगले कुछ हफ़्तों में कोविड महामारी का तीसरा चरण अपने चरम पर रहेगा तो देश के पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहा होगा।
कोविड महामारी के पहले चरण के पहले 60 दिनों में प्रतिदिन औसत मृत्यु 150 भी नहीं पहुँच पाई थी जबकि पिछले हफ़्ते कोविड के तीसरे चरण में प्रतिदिन औसत मृत्यु 250 को पार कर चुकी है और हिंदुस्तान के किसी राज्य ने पुरी तरह लाकडाउन नहीं प्रारम्भ किया है। विपरीत इसके देश के पाँच राज्यों में चुनाव की घोषणा कर दी गई।
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चौथा चरण:
एक भ्रम यह भी फैलाया जा रहा है कि कोविड का यह तीसरा और आख़री चरण (वेव) है जबकि कुछ देशों में वर्ष 1920 के दौरान इनफ़्लुएंज़ा महामारी का चौथा चरण भी आया था। अकेले अमेरिका के न्यूयार्क शहर में इनफ़्लुएंज़ा महामारी के चौथे चरण (दिसम्बर 1919 से अप्रैल 1920) के दौरान छः हज़ार से अधिक मौतें हुई जो उसी शहर में इनफ़्लुएंज़ा महामारी के पहले चरण के दौरान हुई मौतों की संख्या का दो गुना से भी अधिक था। (स्त्रोत लिंक)
ऐसे समय में जब कोविड-19 महामारी का वायरस अपना रूप-रंग रोज़ बदल रहा है, वर्तमान में चल रहे कोविड महामारी के तीसरे चरण को इस महामारी का आख़री चरण समझने या तीसरे चरण को ख़तरनाक नहीं समझने की भूल हिंदुस्तान की सरकार और समाज दोनो पर भारी पड़ सकता है।
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