गया के महंत रामधन पूरी के पुत्र, डॉक्टर सूर्या प्रकाश पूरी का जन्म 1938 में गया के दियारा गाँव के एक भूमिहर परिवार में हुआ था। वर्ष 1967 में नवादा लोकसभा क्षेत्र से जीतकर संसद पहुँचने वाले यह नवादा पहले और एकमात्र निर्दलीय सांसद हैं। नवादा के गांधी हाई स्कूल, गया के मॉडल हाई स्कूल, गया कालेज और पटना विश्विधलाय के बाद ब्रिटेन के लंदन स्कूल ओफ़ ईकनामिक्स से PhD की पढ़ाई करने वाले सूर्यप्रकाश पूरी आज तक नवादा के इतिहास में जितने भी सांसद बने उनमें से सबसे अधिक पढ़े लिखे सांसद थे।
सामाजिक जीवन:
सूर्या प्रकाश पूरी नवादा ज़िला में स्थित पकरीबरमा ब्लॉक के बुधौली के महंत थे। इन्होंने बुधौली में 52 कोठी 53 द्वार नामक अपना महल भी बनवाया था। इनके द्वारा निर्मित बुधौली मठ में आज भी दशहरा के समय भव्य पूजा होती है। आज़ादी की लड़ाई के दौरान इस मठ में देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद, महात्मा गाँधी और अब्दुल गफार खां प्रसिद्ध क्रांतिकारी यहाँ आकर रहे थे।
इसे भी पढ़े: स्वतंत्रता सेनानी और बिहार के दिग्गज नेता मुंगेरीलाल, कैसे बन गए हास्य के पात्र ?
बुधौली में उन्होंने महंत रामधन पूरी हाई स्कूल की स्थापना किया और मगध विश्वविद्यालय के लिए 250 एकड़ ज़मीन (351 बीघा) दान दिया था। इसके अलावा इन्होंने गया में कई विद्यालय और पुस्तकालय का भी निर्माण करवाया जिसमें ग़रीबों को निशुल्क शिक्षा दिया जाता था।
इसके अलावा उन्होंने बुधौली में 20 किमी लम्बा बुधौली अहार (नहर) का भी निर्माण करवाया था जिसमें सकरी नदी से पानी आता था। इसके अलावा इस क्षेत्र में कई छोटे बड़े अन्य नहर, तालाब और पैन भी थे। अंग्रेज़ी काल के दौरान यह क्षेत्र में लगभग 60 प्रतिशत भूमि सिंचित थी जो कि बिहार के अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक था।

राजनीतिक जीवन:
अपने राजनीतिक जीवन के प्रारम्भिक दौर में वो कांग्रेस के सदस्य बने। अपनी पढ़ाई के दौरान वो गया कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष भी बने, दो बार मगध विश्वविद्यालय के सेनेट के दो बार सदस्य रहे और नवादा के KLS कालेज के दो बार सचिव भी रहे। आज़ादी के बाद ये गया ज़िले का न्यायिक दंडाधिकारी भी बने। इसके अलावा ये गया में DDC, DIC, BDC के भी सदस्य रहे।
1967 के चुनाव में इन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी G P सिन्हा को 20220 मतों से हराया। पूरी को कुल 110766 मत मिले थे जबकि सिन्हा को मात्र 90546 मत मिला था। वर्ष 1971 में हुए अगले लोकसभा चुनाव में सूर्या प्रकाश पूरी कांग्रेस के सुखदेव प्रसाद वर्मा से 53281 मतों से हार गए। इन्हें 99288 मत मिले जबकि विजयी सुखदेव प्रसाद वर्मा को 152569 मत मिले थे। इसके बाद सूर्या प्रकाश शर्मा ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा।
अपनी हार के बाद सूर्या प्रकाश पूरी अपने परिवार के साथ स्थाई रूप से दिल्ली में रहने लगे। उनका एक पुत्र था जो उनके साथ दिल्ली में रहता था। वर्ष 2018 में इनके पुत्र अंशुमन पूरी की दिल्ली में रोड ऐक्सिडेंट में हत्या हो गई जिसका शरीर भी नहीं मिल पाया।
विचित्र नवादा:
नवादा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की एक अन्य विशेषता थी कि वर्ष 1952 में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में इसका नाम नवादा नहीं बल्कि ‘गया पूर्वी’ था। दरअसल उस समय नवादा अलग ज़िला नहीं बना था और गया ज़िला का हिस्सा था इसलिए चुकी नवादा गया ज़िला के पूर्वी हिस्से को बोला जाता था इसलिए इस लोकसभा सीट का नाम गया पूर्वी था। इस तरह से गया ज़िला में तीन लोक सभा सीट थी। गया पूर्वी के अलवा गया पश्चिमी और गया उत्तरी लोकसभा क्षेत्र हुआ करती थी। हालाँकि गया पूर्वी में कुल मतदाताओं की संख्या गया के अन्य दो संसदीय क्षेत्रों की की कुल मतदाताओं के योग के बराबर था।
गया पश्चिमी और गया उत्तरी कि तुलना में गया पूर्वी क्षेत्र अधिक पिछड़ा माना जाता था जिसके कारण यहाँ मतदान प्रतिशत भी कम था। वर्ष 1952 के चुनाव में नवादा में मात्र 36.3 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि राष्ट्रीय औसत 67.8 प्रतिशत था। इसी तरह वर्ष 1957 में सम्पन्न हुए अगले चुनाव में भी नवादा में मतदान का प्रतिशत बिहार के अन्य भागों से कम था।

Hunt The Haunted के Facebook पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें (लिंक)
[…] इसे भी पढ़े: “गुमनाम नेताजी: नवादा का एकमात्र निर… […]
Excellent article. I certainly love this website. Keep writing!