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1881 की जनगणना के दौरान यूवा पहाड़ियों ने अपनी उम्र कम क्यूँ बताया?

जनगणना:

1881 की जनगणना रिपोर्ट में यह बात सामने आइ कि पहाड़ों में 10-14 वर्ष के उम्र के लड़कों की संख्या इसी उम्र के लड़कियों के अनुपात में बहुत कम था। (Guha) वर्ष 1901 की जनगणना में इस उम्र का लिंग अनुपात 1000 लड़कों पर पर 1362 लड़कियाँ थे। (Walton) दूसरी तरफ़ पहाड़ की कुल जनसंख्या में प्रति 1000 पुरुष पर लगभग 970 ही महिला होती थी। अर्थात् 19वीं सदी के अंतिम दशकों के दौरान पहाड़ का कुल लिंग अनुपात 970 थी जबकि 10-14 वर्ष के पहाड़ी यूवाओं का लिंग अनुपात 1362 थी। 

जब मामले की जाँच की गई तो पता चला कि लोगों ने अपने वयस्क होते बेटों की उम्र जनगणना के दौरान जनगणना अधिकारियों को जानबूझकर कम लिखवाते थे क्यूँकि 16 वर्ष से अधिक उम्र के लड़कों को कुली बेगारी करनी पड़ती थी। इस तथ्य की पुष्टि आगे होने वाले कई सरकारी रिपोर्ट में दर्ज मिलती है। यूवा पहाड़ियों का यह अप्रत्याशित लिंग अनुपात वर्ष 1921 की जनगणनग तक जारी रहा जब अंततः पहाड़ों में कुली-बेगार आंदोलन के बाद बेगारी प्रथा को बंद किया गया। कुली बेगार से बचने का यह नायब तारिका सिर्फ़ पहाड़ों में ही देखने को मिलती है। 

इसे भी पढ़े: कुली-बेगार आंदोलन की 100वीं वर्षगाँठ

जनगणना
चित्र: जनगणना करते जनगणना कर्मी

कुली-बेगार व्यवस्था:

जब भी कोई ब्रिटिश सेना की टुकड़ी, गोरे शिकारी, शोधकर्ता, पर्वतारोही आदि पहाड़ में भ्रमण पर आते थे तो तो पुजारी, पधान, सेवानिवृत सैनिक और सरकारी सेवक को छोड़कर किसी से भी बेगारी करवाया जा सकता था। कुली के लिए अक्सर यूवा वर्ग के पहाड़ियों को अधिक महत्व दिया जाता था। 1860 के दशक से सरकार द्वारा बढ़ते शोध, सर्वे, शिकार यात्राएँ होने से कुली-बेगार की माँग बढ़ी और उसी के साथ कुलियों के ऊपर बोझ भी बढ़ी। गाँव के पधान, पटवारी आदि की यह ज़िम्मेदारी होती थी कि वो अपने क्षेत्र में ज़रूरत पड़ने पर कुली उपलब्ध करवाए।

उन्निसवी सदी के पहाड़ों में तीन प्रकार के कुली मिलते थे: कुली बेगार, कुली उतर और कुली बरदायश। कुली बेगार को किसी प्रकर की कोई मज़दूरी नहीं दी जाती थी जबकि कुली उतर को वास्तविक में मज़दूरी मिले या नहीं मिले पर उन्हें न्यूनतम मज़दूरी पाने  का अधिकार था। तीसरे तरह के कुली बरदायश से मुफ़्त में अनाज, फल-सब्ज़ी, दुध, इंधन आदि उत्पाद लिए बेगारी करने जाते थे।

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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