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Rural Tourism Series 2: क्या उत्तराखंड सरकार को गढ़वाली वास्तुविद् नहीं मिले थे जो गुजराती वास्तुविद् से बनवाया खिर्शु में BASA Homestay?

श्रीनगर और पौड़ी शहर से तक़रीबन 18-20 किलो मीटर दूर स्थित खिर्शु का BASA Homestay उत्तराखंड के त्रिवेंद्र सरकार द्वारा Rural Tourism को बढ़ावा देने के क्रम में नवीनतम उपलब्धियों में से एक माना जाता है। ग्रामीण औरतों को रोज़गार के नए अवसर उपलब्ध करवाने के लिए निर्मित इस होमस्टे में काम करने वाली इंदू देवी बताती है कि उन्हें हर तीन से चार महीने में औसतन पाँच हज़ार रुपए मिलते हैं इस होमस्टे में पर्यटकों के लिए खाना बनाने का काम करने के एवज़ में। ये महिलाएँ उन्नति स्वयं सहायता समूह के सदस्य हैं। 

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BASA Pauri
चित्र: Rural Tourism का प्रतीक के रूप में BASA का Home Stay.

Rural Tourism को बढ़ावा देने के लिए इस होमस्टे के बनने से लेकर उसे संचालित करने तक के सभी निर्णय सरकार और उनके मुलज़िमों ने लिया। पहाड़ी घर बनाने के लिए गुजरात से वस्तुविद आए, बिहार और यूपी के मज़दूर, और देहरादून से पैसे। इनके द्वारा बनाए गए घर किसी भी नज़रिए से पहाड़ी कम और क्लासिकल और विक्टोरीयन वास्तुकला के बीच झूलता थोड़ा पहाड़ीपन का तड़का लगाए इमारत का एक नायाब उदाहरण ज़्यादा प्रतीति होता है। 

घर के छत को बनाने में न पहाड़ी पठाल का इस्तेमाल किया गया है न दीवारें पतली और चौड़ी पत्थरों से बनी हुई है। पारम्परिक पहाड़ी घर में दिवार बनाने के लिए आज भी सिमेंट का इस्तेमाल नहीं होता है पर BASA होमस्टे में तो पत्थरों को पोलिश तक किया गया है। दरवाज़ों की लकड़ी में जो नक्कासी कि गई है उसके विषय भी गढ़वाली नहीं है। कमरे के अंदर आपको शायद ही ढोल, दमाउ, कंडी या सोल्टा जैसी कोई पहाड़ी कला का प्रतीत दिखेगा। दीवारों पर जो चित्रकारी की गई है वो छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की है। 

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चित्र: Rural Tourism का प्रतीक के रूप में BASA का Home Stay.

होमस्टे और होटेल/रिज़ॉर्ट/कॉटिज में अंतर:

होम-स्टे में आप किसी स्थानीय परिवार के साथ रहते हैं। आप घरवालों के साथ रहते हैं, गप्पें लड़ाते हैं, उनके जैसा खाते हैं, और मर्ज़ी हो तो उनके साथ घूम भी लेते हैं। पर यहाँ जो आपको खाने को मिलेगा वो बनाने वाली महिलाओं को कभी कभी ही नसीब होता है।

BASA होमस्टे में काम करने कई महिलाएँ इस होमस्टे के बनने से पहले से ही कई वर्षों से अपने निजी घरों में होमस्टे चलती आ रही थी। BASA में एक कमरे का एक दिन का किराया तीन हज़ार है और इन महिलाओं के निजी होमस्टे में रहने का किराया 1000 रुपए है। BASA में आपको पॉकेट वाली दूध का चाय मिलेगा, और महिलाओं के निजी होमस्टे गाय/भैंस के दूध की चाय। BASA में आपको ग्राहक होने का अहसास मिलेगा और महिलाओं के निजी होमस्टे में मेहमान होने का। 

इन निजी होमस्टे का कुछ कमरा मिट्टी की लीपाई वाली भी मिल जाएगी और उसमें ढोल, दमाउ, मंजीर, कंडी या सोल्टा आदि किसी कोने में रखे हुए मिल जाएँगे। BASA होमस्टे में आपको कुछ पहाड़ी उत्पाद बिकते हुए दिख जाएँगे जिसके बारे में स्थानीय महिलाओं को कुछ पता नहीं है। इन पहाड़ी उत्पादों की क़ीमत पहाड़ी गाँव में इनकी क़ीमत का 3 से 5 गुना होगा। 

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थोड़ा पहाड़ी—थोड़ा मैदानी 

एक ही चीज़ जो आपको पहाड़ी होने का अहसास करा सकती है BASA में वो है यहाँ का खाना। यहाँ मिलने वाले ज़्यादातर व्यंजन पहाड़ी हैं। पारम्परिक चूल्हा तो रसोईघर में बना हुआ है पर उसी के बग़ल में 14.2 किलोग्राम का एक गैस सिलेंडर और दो बर्नर वाला चूल्हा भी आग की लपटें छोड़ता दिख जाएगा। रिंगाल की टोकरी, कंडी, सोल्टा और पीतल/कांसे के बर्तन की जगह प्लास्टिक/चीनी मिट्टी से बनी प्लेट/कटोरी और हाटकेस में रखी रोटी आपको देहरादून से दिल्ली तक का याद दिला देगी। 

1700 मीटर की ऊँचाई पर बसा पौड़ी ज़िले का खिर्शु कालांतर से ही पर्यटन का एक केंद्र रहा है। यहाँ से पंचाचुली, नंदादेवी, नंदाकोट, और त्रिशूल पर्वत ऋंखला के दर्शन किए जा सकते हैं। बांज, देवदार और चिड़ के पेड़ के साथ साथ यहाँ का चिल्ड्रन पार्क आपके यात्रा को पारिवारिक बना सकता है। यहाँ पहुँचने के दो रास्ते हैं: 

Route 1: Rishikesh—Srinagar(110 KM: Bus)—Khirsu (19 KM: Shared Taxi)

Route 2: Delhi—Kotdwar(Train or Bus)—Buakhal (100KM: Bus towards Pauri)—Khirsu (15 KM: Shared Taxi)

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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