जम्मू-कश्मीर जनगणना:
वर्ष 1961 की जनगणना के अनुसार जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम की आबादी 24.32 लाख थी जो राज्य की कुल जनसंख्या का 68.31 प्रतिशत थी। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में मुस्लिम की कुल आबादी 85.67 लाख थी जो राज्य कि कुल जनसंख्या का 68.31 प्रतिशत हिस्सा है। अर्थात् पिछले पचास वर्षों के दौरान जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम आबादी के अनुपात में कोई परिवर्तन नहीं आया है।
वहीं दूसरी तरफ़ वर्ष 1961 की जनगणना के अनुसार जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं की आबादी 10.13 लाख थी जो राज्य की कुल जनसंख्या का 28.45 प्रतिशत थी। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में हिंदुओं की आबादी 35.67 लाख थी जो राज्य कि जनसंख्या का 28.44 प्रतिशत हिस्सा है। अर्थात् पिछले 50 वर्षों के दौरान जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं की आबादी के अनुपात में मात्र 0.01 प्रतिशत की मामूली गिरावट देखी गई है।
तीसरी तरफ़ जिस सिख धर्म के मानने वाले लोगों का जम्मू-कश्मीर में अनूपत वर्ष 1981 में 2.21 प्रतिशत था वो वर्ष 2011 में घटकर 1.87 प्रतिशत रह गया है जबकि बुद्ध धर्म के मानने वाले लोगों का जनसंख्या अनुपात इसी दौरान 1.17 प्रतिशत से घटकर 0.90 प्रतिशत रह गया है। इस दौरान अगर किसी एक सम्प्रदाय की जनसंख्या के अनुपात में सर्वाधिक वृद्धि हुई है तो वो है ईसाई धर्म की जनसंख्या का। वर्ष 1901 में जम्मू कश्मीर में मात्र 0.03 प्रतिशत ईसाई धर्म के मानने वाले लोग थे जो वर्ष 1961 में बढ़कर 0.08 प्रतिशत, 1981 म्मे 0.14 प्रतिशत और वर्ष 2011 में बढ़कर 0.28 प्रतिशत हो गया है।
वर्ष 1901 की तुलना में जम्मू कश्मीर में ईसाई धर्म के मानने वाले लोगों की जनसंख्या 800 से बढ़कर वर्ष 2011 में 35631 हो गई है जो कि लगभग 45 गुना की वृद्धि है। आज़ादी के बाद वर्ष 1961 की जनगणना से ही तुलना किया जाए तो वर्ष 1961 से 2011 के दौरान पचास वर्षों के दौरान जम्मू कश्मीर में ईसाई सम्प्रदाय की कुल जनसंख्या 2848 से बढ़कर 35631 हो गई है जो कि लगभग 13 गुना की वृद्धि है जबकि इसी दौरान मुस्लिम और हिंदू दोनो की आबादी में चार गुना की भी वृद्धि नहीं हुई थी।
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ब्रिटिश जनगणना:
वर्ष 1941 में ब्रिटिश सरकार द्वारा करवायी गई आख़री जनगणना के अनुसार उस वर्ष जम्मू-कश्मीर की कुल आबादी 39,45,000 थी जिसमें से 29,97,000 मुस्लिम और 8,08,000 हिंदू की आबादी थी। अर्थात् उस दौर में मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 75.97 प्रतिशत था और हिंदू का 20.48 प्रतिशत। आज यह अनुपात क्रमशः 68.31 प्रतिशत और 28.44 प्रतिशत है।
चुकी आज़ादी के बाद कश्मीर का एक छोटे हिस्से पर पाकिस्तान का क़ब्ज़ा है जहाँ आज़ाद हिंदुस्तान में जनगणना सम्भव नहीं हो पाया है इसलिए आज़ादी के पहले और आज़ादी के बाद की जनगणना का तुलनात्मक अध्ययन भ्रामक होगा। उदाहरण के लिए देश के विभाजन के समय बड़ी संख्या में पाकिस्तान से सिख जम्मू ज़िले में आकर बस गए थे। इसी तरह 1962 के युद्ध में पूर्वी लद्धाख के हिस्से पर क़ब्ज़े के कारण प्रदेश में बुद्ध धर्म के लोगों की जनसंख्या अनुपात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा क्यूँकि लद्दाख़ में बड़ी संख्या में बुद्ध धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं। इसलिय जनसंख्या के तुलनात्मक अध्ययन के लिए वर्ष 1981 की जनगणना का महत्व बढ़ जाता है।
हिंदू का बढ़ता अनुपात:
मुस्लिम द्वारा जनसंख्या जिहाद सम्बन्धी आरोपों के बावजूद जम्मू और कश्मीर में पिछले 50 वर्षों के दौरान न मुस्लिम की आबादी अनुपात में कोई वृद्धि नही हुई और न ही कश्मीर से हिंदुओं के पलायन के बावजूद वहाँ हिंदुओं की आबादी अनुपात में कोई कमी नहीं आइ है। वर्ष 1961 में भी जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं का अनुपात 28.45 प्रतिशत थी और 2011 में भी हिंदुओं का अनूपत 28.44 प्रतिशत है।
हालाँकि गौर करने वाली बात यह है कि वर्ष 1961 से 1981 के दौरान जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं का अनूपत 28.45 प्रतिशत से बढ़कर 32.24 प्रतिशत हो गया था जो तक़रीबन चार प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इसी दौरान प्रदेश में मुस्लिम का अनूपत 68.30 प्रतिशत से घटकर 64.19 प्रतिशत रह गया, अर्थात् लगभग चार प्रतिशत की कमी। वर्ष 1961 से 1981 के दौरान बीस वर्षों के दौरान राज्य में हिंदुओं की आबदी में लगभग 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी जबकि मुस्लिम की आबादी में मात्र 58 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली थी। हिंदू और मुस्लिम की जनसंख्या वृद्धि दर में यह अंतर राज्य का एक कभी नहीं सुलझ पाने वाला पहलू है।
हेरा-फेरी:
इस अनसुलझे पहलू का एक जवाब यह हो सकता है कि जम्मू-कश्मीर की मुस्लिम आबादी और अलगाववादी नेता भारतीय जनगणना का विरोध करते थे। यह मत मुस्लिम की कम जनसंख्या वृद्धि दर के पहलू का जवाब तो दे सकता है लेकिन यह मत हिंदू की अधिक जनसंख्या वृद्धि दर का पहलू समझने में असमर्थ है।
2011 की जनगणना के दौरान पहली बार कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने वहाँ की जनता से जनगणना में शामिल होने का आग्रह किया और उसके बावजूद जनगणना के आँकड़ों में कोई ख़ास परिवर्तन देखने को नहीं मिला। इससे पूर्व के लगभग सभी जनगणनाओं के दौरान अलगाववादी नेताओं ने जनता से हिस्सा नहीं लेने का अपील किया था और भारत सरकार पर आँकड़ों में हेराफेरी करने का आरोप लगाते रहते थे।
पलायन का पंडित:
अलग अलग आँकड़ों के अनुसार वर्ष 1990 में जम्मू-कश्मीर से लगभग 1.50 से लेकर 3.00 लाख हिंदू लोगों को पलायन करने पर मजबूर किया गया था। यह वर्ष 1981 की जनगणना के अनुसार जम्मू-कश्मीर की कुल हिंदू आबादी का लगभग 8 से 12 प्रतिशत है। अगर इतना पलायन हुआ है तो फिर वर्ष की जनगणना में जम्मू कश्मीर में हिंदुओं के अनुपात में कम से कम 0.8 से 1.2 प्रतिशत की कमी होनी चाहिए थी लेकिन इस दौरान हिंदुओं का अनुपात में मात्र 0.01 प्रतिशत की कमी आयी है। अर्थात् या तो इतना पलायन हुआ ही नहीं था या फिर ज़्यादातर पलायन करने वाले हिंदू कश्मीरी फिर से वापस कश्मीर चले गए थे।

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