अगर जनसंख्या नियंत्रण क़ानून देश के नेताओं पर लागू हो जाता है तो भाजपा के 95 सांसद चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित हो जाएँगे क्यूँकि भाजपा के 95 सांसदों के तीन या तीन से अधिक बच्चे हैं जबकि कई सांसदों ने अपने नामांकन पत्र में अपने बच्चों का कोई विवरण दिया ही नहीं है।
ख़तरे में मोदी सरकार:
वर्ष 2019 में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के कुल 301 सांसद चुनकर संसद तक पहुँचे। इन 301 भाजपा सांसदों में से 95 भाजपा सांसदों के दो से अधिक बच्चे हैं। दो से अधिक बच्चों वाले नेताओं को सांसद बनाने में भाजपा अव्वल स्थान पर है। भाजपा के कुल 301 सांसदों में से 31.56 प्रतिशत सांसद के दो से अधिक बच्चे हैं। इन 95 दो से अधिक बच्चों वाले भाजपा सांसदों में से 31 सांसद ऐसे हैं जिनके चार बच्चे हैं जबकि 12 सांसदों के पाँच बच्चे हैं। भाजपा के समर्थक और एनडीए सरकार का हिस्सा अपना दल के सांसद पकौरी लाल और भाजपा के विरोधी AIUDUF के सांसद बदरूद्दीन अजमल के सात-सात बच्चे हैं।
अर्थात् अगर देश में जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के तहत दो से अधिक बच्चे वाले नेताओं को चुनाव लड़ने और सांसद बनने से वंचित कर दिया जाय तो संसद में भाजपा के मात्र 206 सांसद रह जाएँगे और मोदी सरकार अल्पमत में आकर गिर जाएगी। अगर भाजपा के सहयोगी दलों के सांसदों की संख्या भी जोड़ दी जाए तब भी मोदी सरकार के लिए ज़रूरी 272 सांसदों की जगह एनडीए के पास मात्र 218 सांसद भी नहीं बचेंगे और देश को मध्यावती चुनाव करवाना पड़ेगा।
वर्तमान में कुल 34 अन्य सांसद भाजपा के सहयोगी दल के रूप में एनडीए का हिस्सा हैं। इनमे से तीन सांसद निर्दलीय हैं जबकि अन्य 31 सांसद अन्य 19 सहयोगी दलों से हैं। इन 31 सांसदों में से 5 सांसद अविवाहित हैं, 7 सांसदों के दो या दो से कम बच्चे हैं जबकि अन्य 19 सांसद के तीन या तीन से अधिक बच्चे हैं। अर्थात् पूरी एनडीए के पास मात्र 208 सांसद बच जाएँगे जो जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के तहत योग्य सांसद होंगे।

जनसंख्या नियंत्रण क़ानून:
ग़ौरतलब यह भी है कि दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्ति को सांसद, विधायक या अन्य चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने सम्बंधित जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बिल भी भाजपा के ही सांसद राकेश सिन्हा ने राज्य सभा में जुलाई 2019 में प्रेसित किया था। अगर यह जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बिल संसद में पास हो जाता और क़ानून बन जाता तो नितिन गड़करी, राजनाथ सिंह, रेणुका सिंह सरुता जैसे भाजपा के कई दिग्गज नेता चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिए जाते।
इन 95 भाजपा सांसदों के अलावा संसद में अन्य पार्टियों के 51 अन्य सांसद भी हैं जिनके तीन या तीन से अधिक बच्चे हैं जबकि 32 सांसद अभी तक अविवाहित हैं। इन अविवाहित सांसदों में से लगभग आधे सांसद भाजपा के सांसद हैं। अर्थात् संसद में चुनकर पहुँचे कुल 543 सांसदों में से 147 सांसदों के तीन या तीन से अधिक बच्चे हैं जिन्हें जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के तहत चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जा सकता है। इस मामले में दो से अधिक बच्चे वाले सांसदों की संख्या सर्वाधिक कम कांग्रेस पार्टी में हैं जिसमें 53 में से मात्र 8 सांसद के ही दो से अधिक बच्चे हैं। (स्त्रोत)

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दो से अधिक बच्चे वाले सांसदों को अगर धर्म के आधार पर भी वर्गीकृत करें तो लोक सभा में पहुँचे कुल 27 सांसदों में से मात्र 9 मुस्लिम सांसद के ही दो से अधिक बच्चे हैं। यह अनुपात भाजपा के दो से अधिक बच्चे वाले सांसदों के अनुपात के लगभग बराबर है। जबकि इस जनसंख्या नियंत्रण क़ानून से सर्वाधिक नुक़सान दलित और आदिवासी समाज के सांसदों को होगा।
इसके अलावा वर्ष 2019 में निर्वाचित होकर सांसद पहुँचे सभी 543 सांसदों में से 190 सांसदों ने अपने नामांकन पत्र में अपने बच्चों का कोई विवरण नहीं दिया है। जबकि कई ऐसे सांसद हैं जिनके तीन या तीन से अधिक बच्चे हैं लेकिन उनके द्वारा चुनाव नामांकन में सभी बच्चों का विवरण नहीं दिया गया है क्यूँकि नामांकन पत्र में नामांकन कर्ता से उनके बच्चों की संख्या पूछने के बजाय उक्त नामांकन कर्ता के ऊपर निर्भर बच्चों की संख्या पूछी जाती है। अर्थात् अगर किसी सांसद के कुछ बच्चे अपने पिता पर निर्भर नहीं होते हैं तो उनका नामांकन पत्र विवरण नहीं दिया जाता है।

यूपी में जनसंख्या नियंत्रण क़ानून:
पिछले वर्ष यह भी खबर आइ थी कि उत्तर प्रदेश की पिछली सरकार में लगभग आधे विधायक के तीन या तीन से अधिक बच्चे थे। उत्तर प्रदेश की वर्ष 2022 में बनी नई सरकार में बने विधायकों के विवरण अभी तक उप्लब्ध नहीं हैं। ग़ौरतलब यह भी है कि उत्तर प्रदेश सरकार जनसंख्या नियंत्रण क़ानून (अधिनियम) उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद से पारित किया लेकिन इस विधयक में विधायकों को जनसंख्या नियंत्रण क़ानून से बाहर रखा गया है। अर्थात् उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित यह जनसंख्या नियंत्रण क़ानून सिर्फ़ आम लोगों के लिए लाया गया है जो सरकार की नौकरी करना चाहते हैं या सरकारी योजनाओं का लाभ लेना चाहते हैं।
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