HomeHimalayasजिम कोर्बेट पार्क का नामकरण: इतिहास के राजनीतिक पन्नो से

जिम कोर्बेट पार्क का नामकरण: इतिहास के राजनीतिक पन्नो से

हिंदुस्तान में नाम बदलने की राजनीति उत्तर प्रदेश या योगी-मोदी जोड़ी से परे दक्षिण भारत में केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में कहीं अधिक प्रखर रह चुकी है। पाकिस्तान में आज भी कई गली, चौराहे और स्थानो के नाम ग़ैर-इस्लामिक हैं।

खबर आ रही है कि नामकरण की राजनीति योगी आदित्यानाथ की कर्मभूमि से जन्मभूमि की तरफ़ रुख़ कर चुका है। योगी जी की जन्मभूमि उत्तराखंड में स्थित जिम कोर्बेट पार्क का नाम फिर से बदलकर रामगंगा नैशनल पार्क करने की खबर आ रही है। (स्त्रोत) नामकरण दोहराने का इतिहास योगी जी की दुश्मन नगरी पाकिस्तान में भी काफ़ी सुनहरा है।

पाकिस्तान की कहानी:

पाकिस्तान के कई मोहल्लों और स्थानो के नामकरण में इस्लाम का हस्त्क्शेप क़ायदे आज़म जिन्ना की मृत्यु के बाद से होता आ रहा है। कृष्णा नगर का नाम बदलकर इस्लाम पूरा किया गया, कुम्हारपुर को ग़ाज़ियाबाद, संत नगर का सुन्नत नगर, राम गली को रहमान गली, और जैन मंदिर सड़क बाबरी मस्जिद चौक में बदल गई। इस राजनीति में अंग्रेज़ी नाम को बदलने का भी समय आया। 

Our Fall रोड का नामकरण ज़ीलनी रोड किया गया, Branthon रोड का निस्तार सड़क, Queen’s रोड को फ़ातिमा जिन्ना रोड, Tempbell रोड को हमीद निज़ामी सड़क, लॉरेन्स गार्डेन को बाग़-ए-जिन्ना, Montgomery हॉल को क़ायदे आज़म लाइब्रेरी, Munto पार्क को इक़बाल पार्क, रेस कोर्स पार्क को ग़ुलाम ज़ीलनी खान रोड, और जेल रोड कों अल्लामा इक़बाल रोड में बदल दिया गया। डेविस रोड को भी सर आगा खान रोड बनाया गया पर अंग्रेजों द्वारा आगा खान को दी गई सर की उपाधि नहीं छोड़ पाए इस्लाम के रक्षक। (स्त्रोत)

साभार ट्विटर नायला इनायत
चित्र: लाहौर में स्थित भगत सिंह चौक, फोट साभार: ट्विटर/नायला इनायत

हिंदुस्तान की कहानी:

इन बदलते नामकरण के पीछे की राजनीति पर हल्ला आज जितना हिंदुस्तान में हो रहा है उतना न सही पर हल्ला तो पाकिस्तान के सेक्युलर लोग भी किए थे। पर इस मुद्दे को आप धर्म, हिंदुत्व, और इस्लामीकरन के परे भी समझ सकते हैं। और इसके लिए आँकड़े भी उपलब्ध है। वर्ष 2017 में पंजाब की कांग्रेस की सरकार ने विधानसभा सदन में Punjab’s Law of Historical Memory’ बिल पास करवाया जिसके तहत ब्रिटिश इतिहास के हिस्से का नाम बदलना तय किया गया। (स्त्रोत)

धर्म से परे नामकरण:

आज़ादी के बाद हिंदुस्तान के इतिहास में अगर सर्वाधिक नाम किसी राज्य में बदले गए हैं तो वो है तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश। वहीं बिहार, जम्मू कश्मीर, समेत उत्तर पूर्व के लगभग सभी राज्यों में आज तक किसी भी शहर या गली का नाम नहीं बदला गया है। 

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि नाम बदलने की इस होड़ में तथाकथित ‘काउ बेल्ट’ का प्रतिनिधित्व करने वाला उत्तर प्रदेश सर्वाधिक पीछे है। जबकि साम्यवाद का ठेका लेने वाले केरल कुछ शीर्ष राज्यों की सूची में शामिल है। उत्तर प्रदेश में बदले गए सात नामों में से चार नाम वर्ष 2017 से पहले हो चुके थे। कानपुर देहात का नाम बदलकर रमाबाई नगर रखने का प्रयास वर्ष 2010 में ही किया जा चुका था। 

तमिलनाडु में धर्मपुरी का नाम बदलकर थरमापूरी भी किया और अलियाबाद का नाम बदलकर कलमबूर भी किया गया। वहीं तेलंगाना में एलगंडल (Elagandla) का नाम बदलकर करीमनगर व इंदूर का नाम निज़ामबाद भी इसी हिंदुस्तान में हुआ है। 

Corbet with Mahaseer
चित्र: महसीर मछली के साथ जिम कॉर्बेट

नामकरण पर सवाल

सवाल उठता है कि जितना हल्ला औरंजेब रोड का नाम अब्दुल कलाम रोड करने पर हुआ उतना ही हल्ला व्हीलेर आयलैंड का नामकरण अब्दुल कलाम आयलैंड बदलने पर क्यूँ नहीं हुआ? हल्ला तो तब भी हुआ था जब पाकिस्तान के शादमान चौक का नाम जब बदलकर भगत सिंह चौक नामकरण किया गया था पर भगत सिंह चौक आज भी वहीं इतिहास और संस्कृति को आइना दिखा रहा है।

इतिहास हमें एक और तथ्य से रूबरू करवाता है। अंग्रेजों ने हिंदुस्तान पर लगभग दो सौ वर्षों तक राज किया लेकिन इस दौरान शायद ही कोई शहर या गली या चौराहा होगा जिसका नाम बदलने में उन्होंने अपनी दिलचस्पी दिखाई हो। ब्रिटिश साम्राज्य नाम बदलने में कम और नाम पैदा करने में अधिक विश्वास रखते थे। सम्भवतः ब्रिटिश सरकार के लिए संस्कृति सृजन करने का विषय है और हमारी आज़ाद सरकार के लिए संस्कृति और इतिहास नामकरण करने का विषय है।

अंग्रेजों ने जब बंगाल पर क़ब्ज़ा किया तो कलकत्ता शहर बसा दिया, मराठा पर क़ब्ज़ा करने के बाद बॉम्बे, उत्तरी सरकार पर क़ब्ज़ा करने के बाद मद्रास, उत्तराखंड पर क़ब्ज़ा करने के बाद मसूरी आदि कई ग्रीष्मकालीन राजधानियाँ बसवा दी। कितना अच्छा होता कि नाम बदलने (नामकरण) की जगह ऐसी ही कुछ नई खूबसूरत नगरी बस्ती राम, रहीम और हिंदुस्तान की संस्कृति व इतिहास के नाम पर।

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सत्ता में बैठे लोग चाहे जितना नाम बदलने की राजनीति करें लेकिन हालाँकि आज भी इन शहरों और गलियों पर वो सारी ऐतिहासिक दुकानों का नाम वही है जो कल भी था। आज भी पाकिस्तान के लाहौर की गलियों में गुलाब देवी हॉस्पिटल, गंगा राम हॉस्पिटल, मायो हॉस्पिटल के साथ दयाल सिंह कॉलेज, क्वीन मैरी कॉलेज उसी शान और नाम के साथ से खड़ी है जैसे पुरानी दिल्ली में करीम की दुकान और पराठे वाली गली। सत्ता का इतिहास और संस्कृति राम या रहीम के ऊपर नामकरण तक सिमटता होगा पर लोगों का इतिहास और संस्कृति पराठे और करीम के मुर्ग़ा कबाब तक सिमट जाता है।

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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