यूँ तो नंदा देवी पर्वत शिखर तक पहुँचने का प्रथम दो प्रयास वर्ष 1883 में ऐल्पायन क्लब के W. W. Graham के नेतृत्व में Emile Boss और Ulrich Kauffmann के साथ किया गया। लेकिन ये दोनो प्रयास विफल हुए। दोनो प्रयास में टीम ऋषि गंगा वैली से आगे नहीं बढ़ पाए। इन्होंने ऋषि गंगा नदी के जार्ज (Gorge) के सहारे शिखर तक पहुँचने का प्रयास किया जो असम्भव रास्ता था। स्थानीय कूली (भारवाहक) इन्हें छोड़कर भाग गए क्यूँकि उन्हें लगता था कि ऋषि गंगा वैली में प्रेतों का निवास है।
“नंदा देवी की तुलना ताज महल, स्लीपिंग ब्यूटी और औरत के स्तन से किया गया है”

नंदा पर्वत शिखर तक पहुँचने का दूसरा महत्वपूर्ण प्रयास वर्ष 1905 में महान पर्वतारोही लॉंग्स्टैफ़ (Longstaff) ने किया (चित्र:1)। ये ऋषि गंगा जार्ज के समानांतर पूर्व दिशा में एक खाल (Col) के सहारे ऋषि गंगा वैली से आगे तक सफ़र किया पर खाल (Col) से आगे नहीं बढ़ पाए और हार मान लिया। इस खाल से उन्हें नंदा देवी अभ्यारण्य के दर्शन तो हुए पर उसमें प्रवेश नहीं कर पाए। आज भी इस कोल का नाम इनके नाम पर Longstaff Col है।

शिखर तक पहुँचने का असफल पर तीसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रयास वर्ष 1934 में Shipton और Tilman करते हैं। (चित्र: 2 & 3) आध्यात्मिक मान्यताओं के कारण स्थानीय लोग ऋषि गंगा वैली आगे टीम के साथ पर्वतारोहण करने से इंकार कर देते थे। इस समस्या के समाधान के रूप में टीम अपने साथ सिक्किम से तीन शेरपा समुदाय (जनजाति) के लोगों (Angtharkay, Pasang and Kusang) को साथ में लाए पर चोटी तक नहीं पहुँच पाए। लेकिन दक्षिणी खाल (Col) के सहारे पहली बार ऋषि गंगा जार्ज के रास्ते नंदा देवी अभ्यारण्य के भीतर प्रवेश करने में सफल हो गए।

नंदा देवी अभ्यारण्य, नंदा देवी पर्वत और वैली ओफ़ फ़्लावर के बीच का हिस्सा है। वर्ष 2005 में नंदा देवी अभ्यारण्य और वैली ओफ़ फ़्लावर को मिलाकर इसका नाम Nanda Devi and Valley of Flowers National Parks कर दिया गया। आज ये दुनियाँ के प्रमुख वर्ल्ड हेरिटिज में से एक है।

नंदा देवी शिखर तक पहुँचने का पहला सफल प्रयास 1936 में हुआ।(चित्र 4-6) H. W. Tilman, Noel Odell, और Charles Houston की टीम ने यह कारनामा कर दिखाया। इस टीम ने 1934 में टिल्मन और शिप्टोन द्वारा खोजे गए दक्षिणी खाल (Col) के रास्ते यह सफ़र तय किया। वापस आते समय Tilman और Houston, लॉंग्स्टैफ़ द्वारा खोजे गए पूर्वी खाल (Col) के रास्ते मिलम होते हुए रानीखेत के रास्ते नीचे उतरे।

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टिल्मन की टीम के साथ संलग्न होने के उद्देश्य से शिप्टोन भी नंदा देवी की चढ़ाई करने ऋषि गंगा पहुँचे पर वहाँ पहुँचकर उन्हें पता चला कि टिल्मन की टीम चोटी पर पहुँच गई थी। इसके बाद शिप्टोन दूनागिरी पर्वत पर चढ़ने का असफल प्रयास किया। अगले 28 वर्षों तक कोई दूसरा व्यक्ति नंदा देवी शिखर तक की चढ़ाई नहीं कर पाई। वर्ष 1964 में भारतीय मूल के एन॰ कुमार के नेतृत्व में नंदा देवी शिखर पर फिर से सफल पर्वतारोहण किया गया।

- स्त्रोत:
- “To Kiss High Heaven” By Languepin S
- “The Ascent of Nanda Devi” By Tilman
- “Nanda Davi Exploration and Ascent” By Shipton
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