HomeCurrent Affairsक्या सम्बंध है पहाड़, पलायन और जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के बीच ?

क्या सम्बंध है पहाड़, पलायन और जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के बीच ?

जनसंख्या नियंत्रण का सीधा अर्थ जनसंख्या वृद्धि को कम करने से लगाया जाता है। यह क़ानून किस क्षेत्र, समाज या वर्ग के लिए कितना कारगर हो सकता है ये निष्कर्ष निकालने से पहले दुनियाँ के विभिन्न हिस्सों में लाए गए ऐसे क़ानूनों की समीक्षा करना आवश्यक है।

“ज़्यादातर देशों में असफल हो चुका है जनसंख्या नियंत्रण क़ानून”

१) जनसंख्या नियंत्रण का सवाल उत्तराखंड के पहाड़ों के लिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि पहाड़ों में लगातार घटती जनसंख्या के कारण खेती की तबाही के साथ साथ परिसीमन में पहाड़ों से आने वाले विधायकों की संख्या भी कम हो रही है और राजनीतिक प्रतिनिधित्व भी। अर्थात् पहाड़ों में जनसंख्या वृद्धि नहीं बल्कि घटती जनसंख्या समस्या है।

२) इस क़ानून के सम्बंध में मुस्लिम को ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे पूरे हिंदुस्तान की जनसंख्या मुस्लिम लोग ही बढ़ा रहे हैं। विश्व के उन सभी देशों, ख़ासकर चीन, में जहां जनसख्यं नियंत्रण क़ानून लागू किए गए हैं वहाँ मुस्लिम की जनसख्या न के बराबर है। वही दूसरी तरफ़ इस्लामिक देश ईरान घटती जनसख्या से परेशान है और ईरान की जनसंख्या बढ़ाना चाहता है।

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Image Source: The Guardian, 25 September 1956

३) हिंदुस्तान के अंदर ही पाँच राज्य जहां मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात सर्वाधिक है (लक्षदीप, जम्मू और कश्मीर, असाम, वेस्ट बंगाल, और केरल) वहाँ जनसख्या वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत के कहीं कम है। इनमे से केरल जहां मुस्लिम आबादी प्रदेश की कुल आबादी का एक चौथाई से अधिक है वहाँ का जनसख्या वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत का एक चौथाई और पूरे देश में सबसे कम है। अर्थात् जनसंख्या वृद्धि को किसी भी धर्म के साथ जोड़कर देखना सिर्फ़ भ्रमकता और अंधविश्वास बाधा रहा है।

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४) इस मुद्दे पर हिंदुस्तान से ज़्यादा लोग चीन में रुचि रख रहे है। चीन में वर्ष 1979 में जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बनाया गया जब वहाँ की जनसख्या वृद्धि दर पहले से ही तेज़ी से घट रही थी। वर्ष 1990 आते आते चीन का प्रजनन दर इतना कम हो गया कि कालांतर में देश की जनसख्या घटने का ख़तरा मंडराने लगा। वर्ष 2002 में चीन सरकार ने इस क़ानून में ढील देनी शुरू कर दी और वर्ष 2015 आते आते उक्त क़ानून को ही ख़त्म कर दिया गया।

पिछले साल (2020) से चीन अपने देश के नागरिकों को तीन बच्चे पैदा करने की न सिर्फ़ इजाज़त दे चुका है बल्कि प्रोत्साहित भी कर रहा है। जनसंख्या नियंत्रण क़ानून लागू करने के बाद चीन में बालिका भ्रूण हत्या और महिला अनुपात ख़तरनाक रूप से घटा था। क्या ऐसा ही क़ानून लाकर हिंदुस्तान सरकार चीन की तरह ऐसा ही कुछ गलती दोहराना चाहती है?

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Image Source: The Guardian, 15 March 1952 (चीन में जनसंख्या क़ानून लागू होने पर छपी एक रिपोर्ट)

५) तय हमें करना है। आज एकाएक क़ानून लाकर पहले से ही घटती जनसंख्या वृद्धि दर को थोड़ा और अधिक तेज़ी से कम करने के दो तीन दशक के भीतर आर्थिक मंदी से जूझना चाहते हैं या शिक्षा, जागरूकता, ग़रीबी उन्मूलन के सहारे जनसंख्या नियंत्रण का सर्वांगिक आधार रखना है।

६) आज चीन समेत जापान, इटली, स्पेन आदि देशों में ज़रूरत से अधिक जनसंख्या वृद्धि दर घटने से वृद्ध लोगों की संख्या बढ़ रही है और काम करने वाले लोगों की संख्या लगातार घट रही है जिसके कारण अर्थव्यवस्था चलाना मुश्किल पड़ रहा है। पहाड़ों की अर्थव्यवस्था की भी हालत कुछ ऐसी ही है जहां सिर्फ़ बूढ़े बुजुर्ग बचे हैं।

७) विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि दर Nigeria का है लेकिन वहाँ की सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए क़ानून बनाने के बजाए लोगों की शिक्षा, ग़रीबी और जागरूकता पर अधिक ध्यान दे रही है! क्या जनसंख्या वृद्धि पर हिंदुस्तान की समझ Nigeria से भी बेकार है?

Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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