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गुजरात से लापता महिलाओं से सम्बंधित NCRB और गुजरात पुलिस दोनों के आँकडें भ्रामक है

NCRB की रिपोर्ट के आधार द न्यू इंडीयन इक्स्प्रेस में बीते रविवार को एक खबर छपी कि गुजरात में पिछले पाँच वर्षों में 41,621 महिलाएँ लापता है। इसके बाद अलग अलग भाषाओं के कई अन्य मीडिया संस्थानों और अख़बारों ने इस खबर को प्रमुखता से छापी और रविश कुमार जैसे जाने माने पत्रकार ने भी इस खबर पर अपनी टिप्पणी सोशल मीडिया पर देते हुए मोदी और गुजरात मॉडल ओफ़ निशाना साधा।

कुछ लोग इस आँकड़े के सहारे ‘द केरला स्टोरी’ की भी आलोचना कर रहे हैं और बोल रहे हैं कि लड़कियाँ लापता हो रही है गुजरात से और इस मुद्दे पर फ़िल्म बनाकर केरल के बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। खबर के अनुसार यह आँकड़ा नैशनल क्राइम रेकर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक रिपोर्ट की सहायता से तैयार की गई एक रिपोर्ट के आधार पर दावा किया गया था। 

अगले दिन सोमवार को गुजरात पुलिस ने मीडिया में चल रही इस खबर की भर्त्सना की और NCRB का ही एक अन्य आँकड़ा ट्वीट किया और बताया कि गुजरात पुलिस ने वर्ष 2016 से 2020 के दौरान पाँच वर्ष में गुजरात से लापता महिलाओं में से 94.90 प्रतिशत अर्थात् 39,497 महिलाओं को पुलिस ने खोज लिया था। लेकिन गुजरात पुलिस का भी आँकड़ा ग़लत है।

जिस तरह से भारतीय मीडिया और रविश कुमार समेत अन्य भारतीय पत्रकारिता के स्तम्भों ने द न्यू इंडीयन इक्स्प्रेस द्वारा जारी आँकड़े की सत्यता जाँच किए बिना शुद्ध मान लिया उसी तरह अगले दिन गुजरात पुलिस द्वारा जारी आँकड़ों को भी भारतीय मीडिया और रविश कुमार जैसे प्रसिद्ध पत्रकारों ने शुद्ध मान लिया। सवाल उस पत्रकारिता पर है जिसमें बड़े से बड़े पत्रकार किसी भी आँकड़ों की बिना शुद्धता की जाँच किए उसे शुद्ध मानकर सोशल मीडिया पर शेयर कर देते हैं।

गुजरात पुलिस ने वर्ष 2020 के अंत तक 94.90 प्रतिशत नहीं बल्कि 87 प्रतिशत अर्थात् 36,212 महिलाओं को ढूँढ निकाला था। दरअसल गुजरात पुलिस ने अपने द्वारा 2022 तक ढूँढ निकाले महिलाओं को भी इस संख्या में जोड़ दिया। लेकिन दूसरी तरफ़ गुजरात पुलिस ने वर्ष 2021 और 2022 के दौरान लापता हुई महिलाओं को 41,621 की संख्या में नहीं जोड़ा है। NCRB ने अभी तक वर्ष 2021 या 2022 की रिपोर्ट जारी नहीं किया है।

लापता महिलाएँ:

आख़िर ये महिलाएँ लापता क्यूँ और कैसे होती है और फिर पुलिस उन्हें ढूँढकर क्या करती है। NCRB की रिपोर्ट में लापता होने वालों में सिर्फ़ महिलाएँ ही नहीं बल्कि पुरुष भी थे। उदाहरण के लिए NCRB के अनुसार वर्ष 2020 के दौरान गुजरात में 8290 महिलाओं के साथ साथ 3758 पुरुष भी लापता हुए थे। इसी तरह वर्ष 2019 के दौरान 9268 महिलाओं के साथ साथ 5003 पुरुष भी लापता हुए थे। हालाँकि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लापता होने का अनुपात अधिक है लेकिन पुरुष भी अलग अलग कारणों से लापता होते हैं।

पुलिस में लापता और गुमशुदगी की रिपोर्ट के अनुसार लोगों के लापता होने के कई कारण होते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख कारण होते हैं व्यक्ति का मानसिक रूप से असहज होना, प्रेम प्रसंग, मानव अंग की तस्करी, अपहरण, हत्या, दुर्घटना, आदि और ये सभी कारण महिला और पुरुष दोनो पर लागू होते हैं। लेकिन एक कारण जो सामान्यतः सिर्फ़ महिला पर लागू होता है वह है वेश्यावृति एक लिए महिलाओं का लापता होना। इसके अलावा प्रेम प्रसंग में भी अक्सर लापता या गुमशुदगी की पुलिस रिपोर्ट महिला का परिवार ही करता है।

ये उपरोक्त आख़री के दो कारण हैं जिसके कारण महिलाओं के लापता होने से सम्बंधित NCRB के आँकड़ों को हाल ही में आइ फ़िल्म ‘द केरल स्टोरी’ के साथ जोड़कर देखने का प्रयास किया गया। हालाँकि NCRB की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के लापता होने के मामले में न तो गुजरात अव्वल है और न ही केरल। इन दोनो राज्यों के अलावा एक दर्जन से अधिक राज्य हैं जहां महिला गुमशुदगी की संख्या और अनुपात दोनो अधिक है।

NCRB रिपोर्ट:

वर्ष 2016 से NCRB ने प्रत्येक राज्य से लापता होने वाले बच्चों और महिलाओं की संख्या सम्बन्धी रिपोर्ट जारी करना प्रारम्भ किया। 2016 से वर्ष 2020 तक NCRB पाँच वर्षों की अलग अलग रिपोर्ट जारी कर चुकी है। इस रिपोर्ट के अनुसार यह सही है कि गुजरात में पिछले पाँच वर्षों के दौरान 41,621 महिलाएँ ग़ायब हुई है लेकिन यह आँकड़ा उन लोगों का है जिनके ग़ायब होने की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज की गई थी। वर्ष 2020 के अंत में गुजरात से कुल मात्र 5409 महिलाएँ ग़ायब है न कि 41,621। 

इन्हीं पाँच वर्षों के दौरान अगर दूसरे राज्यों से ग़ायब हुए महिलाओं के आँकड़ों पर नज़र डालें तो गुजरात का आँकड़ा हिंदुस्तान के दस अन्य राज्यों से कम है। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में वर्ष 2016 से 2020 के दौरान महिला ग़ायब होने के 162348 मामले पुलिस में दर्ज किए गए जबकि पश्चिम बंगाल में 143102 मामले दर्ज किए गए। 

इसी तरह वर्ष 2020 के अंत तक महिला ग़ायब होने के उन मामलों की संख्या जिसे पुलिस हल नहीं कर पायी और वे महिलाएँ आज तक ग़ायब है उसमें भी हिंदुस्तान के दस राज्य गुजरात से आगे है। वर्ष 2020 के समाप्ति पर गुजरात में 5409 महिलाएँ लापता थी जबकि पश्चिम बंगाल में 33665, मध्य प्रदेश में 33100, और महाराष्ट्र में 23175 महिलाएँ लापता थी।  

जनसंख्या अनुपात:

इन आँकड़ों को हिंदुस्तान के अन्य प्रत्येक राज्य की जनसंख्या के अनुपात के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन करने से पता चलता है कि लापता होने वाली महिलाओं के मामले में गुजरात हिंदुस्तान के अन्य राज्यों से कहीं अधिक बेहतर है। भारतीय जनगणना 2011 के अनुसार गुजरात की जनसंख्या की तुलना में केरल की जनसंख्या लगभग आधी है जबकि पिछले पाँच वर्षों के दौरान ग़ायब होने वाली महिलाओं के पुलिस केस के अनुपात के मामले में गुजरात की संख्या केरल की संख्या से मात्र 18.10 प्रतिशत अधिक है। केरल में पिछले पाँच वर्षों के दौरान कुल 34079 प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

पिछले पाँच वर्षों के दौरान प्रत्येक दस हज़ार महिलाओं की जनसंख्या में से गुजरात में 14.38 महिलाओं के ग़ायब होने की पुलिस प्राथमिकी दर्ज हुई थी जबकि गुजरात का यह अनुपात हिंदुस्तान के सोलह अन्य राज्यों से कम है। इन राज्यों में दिल्ली, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, तमिलनाडु, सिक्किम, राजस्थान, उड़ीसा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गोवा, और चंडीगढ़ शामिल है। इस मामले में सर्वाधिक अनुपात दिल्ली का है जहां प्रत्येक 10,000 महिला जनसंख्या पर पिछले पाँच वर्षों के दौरान 79.13 महिला लापता की पुलिस प्राथमिकी दर्ज हुई थी गुजरात कि तुलना में सात गुना से भी अधिक है। 

इसे भी पढ़े: “गुजरात मॉडल: फ़र्ज़ी केस में कांग्रेस नेता को 12 वर्ष जेल और फिर बाइज़्ज़त बरी

इसी तरह वर्ष 2020 के अंत तक ग़ायब महिलाओं का कोई सुराख़ नहीं लग पाने की संख्या के मामले में भी गुजरात का अनुपात हिंदुस्तान के  सोलह अन्य राज्यों की तुलना में कम है। गुजरात में प्रत्येक दस हज़ार महिलाओं पर वर्ष 2020 के अंत में 1.87 महिलाएँ ग़ायब थी जबकि चंडीगढ़, दिल्ली, उड़ीसा, और छत्तीसगढ़ में यह अनुपात क्रमशः 24.26, 21.29, 11.07 और 7.87 था। 

अर्थात् लापता होने वाले महिलाओं के मामले के किसी भी पक्ष में गुजरात हिंदुस्तान का सर्वाधिक बदतर राज्य नहीं है फिर चाहे वो लापता महिलाओं के एवज़ में दर्ज होने वाले पुलिस मामलों की संख्या हो या, उन मामलों कार्यवाही होने के बाद लापता महिलाओं का कोई सुराख़ नहीं मिलने का मामला हो। सच्चाई तो यह है कि गुजरात उन चुनिंदा राज्यों में से एक है जहां वर्ष 2020 के दौरान लापता होने वाले महिलाओं की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में कमी आइ है। 

गुजरात की तुलना में हिंदुस्तान के कम से कम तीन ऐसे राज्य हैं जहां महिला लापता के दर्ज पुलिस मामले वर्ष 2020 के दौरान पिछले वर्षों की तुलना में बढ़े हैं। आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पांडुचेरी जैसे राज्यों में वर्ष 2020 के दौरान महिला लापता के एवं में दर्ज पुलिस मामलों में वृद्धि देखने को मिली है।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया और लापता महिलाएँ:   

अंतरराष्ट्रीय मीडिया भारत में लापता महिलाओं (missing women) के आँकड़ों का बिल्कुल भिन्न विश्लेषण देती है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया मिसिंग विमन का मतलब लिंगानुपात में कमीं के कारण देश की कुल जनसंख्या में महिलाओं की कमी को समझती है। इस विषय पर द न्यू यॉर्क पोस्ट, द गर्दीयन जैसे कई बड़े अंतरराष्ट्रीय मीडिया, शिक्षणशोध संस्थानों में खबरें छपी है और सभी का विश्लेषण एक जैसा है। कुछ भारतीय मीडिया ने भी इस खबर को इसी विश्लेषण के साथ प्रस्तुत किया है।

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Raavan Kumar
Raavan Kumar
Raavan Kumar is based in Uttarakhand and do business only in writing.
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