वर्ष 2020-21 में एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र और गुजरात में वहाँ की पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए गए और वहाँ के जेलों में बंद देश के अन्य राज्यों से आए प्रवासियों का अनुपात बढ़ा है जो उन दोनो प्रदेशों में प्रवासियों के प्रति बढ़ते नफ़रत को दर्शाता है।
वर्ष 2008 के दौरान महाराष्ट्र के राज ठाकरे की नव निर्माण सेना द्वारा मुंबई और महाराष्ट्र के कुछ अन्य शहरों में बिहार और यूपी से रोज़गार के लिए पलायन कर आए प्रवासियों पर हमले किए गए थे और उन्हें महाराष्ट्र से खदेड़ने का प्रयास किया गया था। इसी तरह वर्ष 2016 में राजस्थान और वर्ष 2018 के दौरान गुजरात में बिहार और यूपी से आए प्रवासियों पर हमले किए गए थे। इन प्रवासियों पर यह आरोप लगाया गया था कि ये प्रवासी उक्त प्रदेशों में बढ़ते अपराध के लिए ज़िम्मेदार हैं।
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एनसीआरबी-2021
पिछले वर्ष 2021 में 31 दिसम्बर 2020 तक के एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में कुल अंडर-ट्राइयल (परीक्षणाधीन) अपराध आरोपियों की कुल संख्या का 20.11 प्रतिशत हिस्सा बिहार समेत देश के अन्य भागों से आए प्रवासियों का है जबकि इसी दौरान अदालत द्वारा अपराधी घोषित हो चुके और महाराष्ट्र के विभिन्न जेलों में सजा भुगत रहे अपराधियों की कुल संख्या में ग़ैर-महाराष्ट्री प्रवासियों का अनुपात मात्र 11.06 प्रतिशत है। अर्थात् महाराष्ट्र में अपराध आरोपित प्रवासियों के मुक़ाबले अपराध साबित हो चुके प्रवासियों का अनुपात लगभग आधा है। इसका यह मतलब है कि महाराष्ट्र में प्रवासियों को अपराध के झूठे मामलों में फ़साने का प्रयास महाराष्ट्र के मूल निवासियों की तुलना में दो गुना है। (Source)

इसी तरह एनसीआरबी द्वारा जारी गुजरात के अपराध सम्बंधित आँकडें भी देश के अन्य भाग से गुजरात में रोज़गार के लिए आए प्रवासियों के प्रति नफ़रत और ईर्ष्या के भाव को दर्शाता है। एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार गुजरात में कुल अंडर-ट्राइयल (परीक्षणाधीन) अपराध आरोपियों की कुल संख्या का 07.33 प्रतिशत हिस्सा बिहार समेत देश के अन्य भागों से आए प्रवासियों का है जबकि इसी दौरान अदालत द्वारा अपराधी घोषित हो चुके और गुजरात के विभिन्न जेलों में सजा भुगत रहे अपराधियों की कुल संख्या में ग़ैर-गुजराती प्रवासियों का अनुपात मात्र 04.13 प्रतिशत है। (Source)
एनसीआरबी-2006
लेकिन महाराष्ट्र में प्रदेश के बाहर से आए प्रवासियों के प्रति यह नफ़रत और द्वेष का भाव हमेशा नहीं था। एनसीआरबी द्वारा वर्ष 2006 में जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में कुल अंडर-ट्राइयल (परीक्षणाधीन) अपराध आरोपियों की कुल संख्या का 13.78 प्रतिशत हिस्सा बिहार समेत देश के अन्य भागों से आए प्रवासियों का था (Source) जबकि इसी दौरान अदालत द्वारा अपराधी घोषित हो चुके और महाराष्ट्र के विभिन्न जेलों में सजा भुगत रहे अपराधियों की कुल संख्या में ग़ैर-महाराष्ट्री प्रवासियों का अनुपात मात्र 12.41 प्रतिशत था। (Source) अर्थात् महाराष्ट्र में अपराध आरोपित प्रवासियों के मुक़ाबले अपराध साबित हो चुके प्रवासियों का अनुपात लगभग बराबर था।

एनसीआरबी के आँकड़े यह दर्शाता है कि वर्ष 2006 तक जब महाराष्ट्र में देश के अन्य हिस्सों से आने वाले प्रवासियों के प्रति कोई राजनीतिक पार्टी या संस्था दुष्प्रचार नहीं करती थी तब तक उन प्रवासियों का महाराष्ट्र में कुल अंडर-ट्राइयल (परीक्षणाधीन) अपराधियों और अपराध साबित हो चुके अपराध आरोपियों के बिच कोई विशेष असंगत अनुपात नहीं था। लेकिन वर्ष 2008 में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के द्वारा प्रवासियों, ख़ासकर बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाले प्रवासियों के ख़िलाफ़ हिंसा और दुष्प्रचार करना प्रारम्भ किया जिसके बाद प्रदेश के अपराध में यह असंगति लगातार आज तक बढ़ती जा रही है। हालाँकि वर्ष 2008 के बाद महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के ख़िलाफ़ कोई विशेष हिंसा नहीं हुई है।

दल अपने चुनाव के दौरान चुनावगत लाभ के लिए देश के लोगों के बिच नफ़रत के बीज बो देते हैं जो समय के साथ राजनीतिक पार्टियों के नियंत्रण से भी बाहर हो जाता है। इसके बाद अगर राजनीतिक पार्टियाँ प्रवासियों के ख़िलाफ़ प्रचार करें या रोक दें लेकिन समाज में फैला वैमनस्य व द्वेष अक्सर बढ़ते रहता है। महाराष्ट्र में कुछ इसी तरह का व्यवहार 1960 और 1970 के दशक के दौरान दक्षिण भारतीयों के ख़िलाफ़ हुआ था जब बाला साहेब ठाकरे ने अपनी राजनीति दक्षिण भारत से महाराष्ट्र आने वाले प्रवासियों के ख़िलाफ़ नफ़रत से प्रारम्भ किया था। (Source)
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