HomeHimalayasगढ़वाल के ये सड़क कैसे इतिहास में दफ़न हो गए ?

गढ़वाल के ये सड़क कैसे इतिहास में दफ़न हो गए ?

उत्तराखंड की कई सड़कें जो इतिहास में सर्वाधिक महत्वपूर्ण और अधिक सुगम और सुंदर थी वो आज विलुप्त हो चुकी है। इनमे से कुछ सड़कों का पुनः निर्माण करने का प्रयास जारी है।

चमोली ज़िले के थराली प्रखंड के ग्वाल्दम शहर से दो सड़क गुज़ारा करती थी। एक सड़क पिंडर नदी के सहारे ग्वाल्दम से थराली—डूँगरी—घाट (नंदनगर) होते हुए नंदाकनी नदी के सहारे नंदप्रयाग में आकर हरिद्वार—कर्णप्रयाग—बद्रीनाथ सड़क में मिल जाती थी। दूसरी सड़क ग्वाल्दम से होते हुए देवाल—लोहाजंग—वाण होते हुए रामणी तक जाती थी जहाँ यह सड़क एक अन्य सड़क को लोभा घाटी से चलकर नारायणबगड—रामणी होते हुए तपोवन—नीती की तरफ़ जाती थी उसमें मिल जाती थी। ग्वाल्दम से रमणी की दूरी 38 मील हुआ करती थी।

Gwaldam Bridge
ग्वाल्दम से नीचे वाण गाँव की तरफ़ बढ़ेंगे तो रास्ते में ये पुल आज भी आपको टूटी हुई हालत में नज़र आ जाएगी। अंग्रेजों के दौर में ग्वाल्दम से वाण गाँव जाने का रास्ता समय के अनुसार बहुत अच्छा था। देवाल होते हुए वाण गाँव को जाने वाली इस सड़क की हालत आज भी बहुत ख़राब है और कई जगहों पर कच्ची हालत में है।

आज अगर आपको कुमाऊँ से ग्वाल्दम होते हुए रामणी गाँव जाना है तो पहले आपको कर्णप्रयाग आना पड़ेगा और फिर वहाँ से नंदप्रयाग—घाट होते हुए रामणी जाना पड़ेगा। कुमाऊँ को गढ़वाल से जोड़ने वाला दूसरा मार्ग लेने पर भी आपको लोभा घाटी के गैरसैन से पहले कर्णप्रयाग ही आना पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्यूँकि ग्वाल्दम से वाण होते हुए रामणी गाँव को जोड़ने वाला मार्ग इतिहास के पन्नों में दफ़न हो चुका है। और यही हाल हुआ है लोभा घाटी से चलकर नारायणबगड—रामणी होते हुए तपोवन—नीती की तरफ़ जाने वाले मार्ग का और ग्वाल्दम से होते हुए देवाल—लोहाजंग—वाण होते हुए रामणी की तरफ़ जाने वाले मार्ग का भी।

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चित्र: ग्वाल्दम से वाण की तरफ़ जाने वाली सड़क की जर्जर हालत।

सड़क ज़िंदा है:  

हालाँकि वाण, रामणी आदि गाँव के लोगों की कहानियों और यादों में इन मार्गों का ज़िक्र बार बार मिलता है। आज भी वाण गाँव के लोग ख़ासकर गर्मी के मौसम के दौरान पहाड़ की चोटी के दूसरी तरफ़ स्थित रामणी गाँव ट्रेक करके ही जाना पसंद करते हैं। वहीं डूँगरी गाँव के लोग आज भी उस पहाड़ी की तरफ़ इशारा बड़े आत्मविश्वास के साथ करते हैं जिसे पार करके वो सीधे घाट ज़ाया करते थे। आज इन ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण सड़कों में का कुछ हिस्सा ही ज़िंदा है जिसमें लोहाजंग से वाण तक का जर्जर सड़क और रामणी से घाट की तरफ़ जाने वाले सड़क का कुछ हिस्सा आज भी इतिहास को समेटे हुए है।

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रमणी गाँव की तरफ़ आता सड़क, वर्ष 1934
रमणी गाँव की तरफ़ आता सड़क, वर्ष 1934, स्त्रोत: Kamet Conquered by Smythe

ग्वाल्दम कुमाऊँ और गढ़वाल को जोड़ने वाला शहर था। हल्द्वानी—लाल कुआँ—नैनीताल से अल्मोडा होते हुए आएँ या बगेश्वर या फिर रामनगर—काशीपुर—लोभा घाटी होते हुए, कुमाऊँ से गढ़वाल में प्रवेश करने के लिए पहला पड़ाव ग्वाल्दम ही था। ग्वाल्दम ब्रिटिश गढ़वाल ज़िले के भदान परगना का द्वार भी समझा जाता था। ग्वाल्दम से रामणी—तपोवन होते हुए बद्रीनाथ, नीती और माणा का सफ़र आज के चारधाम यात्रा मार्ग से कहीं अधिक छोटा और सुगम भी हुआ करता था। 

रमणी गाँव की तरफ़ आता सड़क
रमणी गाँव की तरफ़ आता सड़क

ग्वाल्दम—रामणी—तपोवन के इस मार्ग पर कई सुंदर, मनमोहक और सफ़र की थकान को खत्म कर देने वाले बुग्याल, खरक और हिमालय का विहंगम दृश्य भी दिखता था। यह मार्ग इतना अधिक महत्वपूर्ण था कि रामणी गाँव में कुमाऊँ के कमिशनर हेनरी रेम्जे ने चर्च, विद्यालय और अस्पताल समेत दिवानी व फ़ौजदारी अदालत का भी निर्माण गाँव में ही करवाया था और गर्मियों में वो स्वयं यहाँ रहने आते थे। प्रसिद्ध लॉर्ड कर्ज़न ट्रेक भी इसी मार्ग के समानांतर में चलता था जबकि नंदा देवी राज जात यात्रा का मार्ग आज भी इन्हीं मार्गों के इर्द-गिर्द घूमता है।

इन ऐतिहासिक सड़क मार्गों के पुनःउद्धार करने का प्रयास वर्षों से सरकार की काग़ज़ों में लटका हुआ है। इन सड़कों के पुनःनिर्माण से उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैन (लोभा घाटी) और ग्वाल्दम समेत घाट, रामणी, वाण, बेदनी बुग्याल, आली बुग्याल, सप्तकुंड आदि के बीच की दूरी काफ़ी कम हो जाएगी। और अगर ऐसा होता है तो इन स्थानो पर पर्यटन बढ़ने के पूरी सम्भावना है।

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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