HomeCurrent Affairsकैसे 1931 में मुस्लिम की साक्षरता हिंदुओं से बेहतर थी?

कैसे 1931 में मुस्लिम की साक्षरता हिंदुओं से बेहतर थी?

वर्ष 1931 की जनगणना के अनुसार बिहार में प्रति दस हज़ार हिंदुओं में से 532 हिंदू साक्षर थे। अर्थात् हिंदुओं की साक्षरता दर 5.32 प्रतिशत थी। लेकिन इसी जनगणना में यह बात भी सामने आइ कि प्रति दस हज़ार मुस्लिम में से 554 मुस्लिम साक्षर थे। अर्थात् मुस्लिम के भीतर साक्षरता दर 5.54 प्रतिशत था। यानी कि मुस्लिम की साक्षरता दर हिंदुओं की साक्षरता दर से 0.22 अंक या 4.13 प्रतिशत अधिक थी। 

1931 में महिला साक्षरता:

इससे भी अधिक चौकाने वाली बात तो यह थी कि हिंदू महिलाओं की तुलना में मुस्लिम महिलाओं की साक्षरता दर से 0.31 अंक अर्थात् 32.25 प्रतिशत कम था। हिंदू समाज में प्रत्येक दस हज़ार महिलाओं में से मात्र 69 महिलाएँ साक्षर थी जबकि मुस्लिम समाज के दस हज़ार महिलाओं में से 100 महिलाएँ साक्षर थी। अर्थात् हिंदू महिलाओं की तुलना में मुस्लिम महिलाएँ कहीं अधिक साक्षर थी। क्या इसका यह अर्थ लगाया जा सकता है कि उस दौर में बिहार के मुस्लिम समाज के लोग हिंदू समाज के लोगों से कम दक़ियानूसी थे?

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Census of India 1931

ईसाई:

उस दौर के बिहार में धर्म आधारित साक्षरता दर में सर्वाधिक आगे हिंदुस्तानी ईसाई थे जिनके भीतर साक्षरता दर 9.48 प्रतिशत थी जो कि हिंदुओं के 5.53 प्रतिशत से कहीं अधिक थी। हिंदुस्तानी ईसाई धर्म के लोगों में इतनी अधिक साक्षरता दर सिर्फ़ मर्दों तक सीमित नहीं थी। वर्ष 1931 में हिंदुस्तानी ईसाई पुरुषों की साक्षरता दर 13.10 प्रतिशत थी जबकि हिंदुस्तान ईसाई महिलाओं की साक्षरता दर मात्र 6.07 प्रतिशत थी जबकि हिंदू महिलाओं की साक्षरता दर 0.69 और मुस्लिम महिलाओं की साक्षरता दर 1.0 प्रतिशत थी। 

स्त्रोत: Census of India, 1931, Vol. VII, ‘Bihar and Orissa’, Part I—Report by W. G. Lacey, 1933. 

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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