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क्यूँ डरते थे विश्वनाथ घाट (अल्मोडा) के भूत-प्रेत अन्यारिया कोट गाँव के ग्रामीणों से ?

क्या भूत भी डरता है मनुष्यों से? अल्मोडा ज़िले के इस गाँव के सभी ग्रामीणों से डरते थे विश्वनाथ घाट के सारे भूत। क्या है इस गाँव का रहस्य?

“गया बजाया अन्यारिया कणी औणो चितया” (Sing and beat drums but be warned of the approach of Anyariya)

जब भी कोई अल्मोडा ज़िले के अन्यारिया कोट गाँव का ग्रामीण गुजरता था तो विश्वनाथ घाट (अल्मोडा) के भूत-प्रेत उपरोक्त कहावत बोलकर अपने साथियों को सचेत किया करते थे।

स्वनला (स्वाल) नदी के तट पर स्थित अन्यारिया कोट नाम का गाँव और यहाँ के ग्रामीण भूतों के इलाज के लिए जाने जाते थे। इसी नदी पर स्थिति है बिश्वनाथ घाट जो बनारस के मणिकर्णिका और हरिसहचंद्र घाट के अलावा, हिंदुस्तान का तीसरा घाट माना जाता है जहां रात में भी मर्दों का दाह-संस्कार होता है। ये घाट उसी सड़क पर स्थित है जो अल्मोडा से अन्यारिया कोट गाँव जाती है। पर इस घाट में ऐसी क्या ख़ासियत है जिसके कारण यहाँ रात में दाह-संस्कार हो सकता है और अन्य घाटों पर नहीं?

हिंदू कर्मकांड संस्कृति के अनुसार शमशान गृह में मुर्दे रात को ज़िंदा होते हैं और इसलिए रात को मुर्दे नहीं जलाया जाना चाहिए। अल्मोडा का ये विश्वनाथ घाट कोई अपवाद नहीं था। माना जाता था कि इस घाट के मुर्दे अमावस्या की रात को ज़िंदा होते थे और आधि रात को ढोल बजाते व पूरी रात नाचा करते थे।

“भूत डरते हैं अल्मोडा के इस गाँव के लोगों से”

एक दफ़ा संयोग से उसी रात को अन्यारिया कोट गाँव का एक निवासी जिसका नाम किर्थू अनेरिया (किर्थू अनेरी) रात को अल्मोडा से अपने गाँव वापस जा रहा था। भूतों का क़ाफ़िला देख कर वह ग्रामीण डर तो गया लेकिन उसके पास बचने का कोई उपाय नहीं दिखा तो वो डोली में बैठे भूतों के राजा की तरफ़ लपका और उसे अपने क़ब्ज़े में कर लिया। सभी भूत अपने राजा को उस ग्रामीण के क़ब्ज़े में देख कर डर गए।

अंततः भूतों के राजा ने उस ग्रामीण से उसे मुक्त करने की क़ीमत पूछी। ग्रामीण डरा हुआ तो था पर उसने भूतों के राजा से कहा, “अल्मोडा के पास बसे खटयाढ़ी गाँव के सभी गोबर-उर्वरक उसके गाँव तक पहुँचा दिया जाय और उसके गाँव के सारे मांडवा के फसल की निराई व गुड़ाई कर दी जाय।” भूतों के राजा ने उस ग्रामीण को वचन दिया जिसके बाद ग्रामीण ने भूतों के राजा को आज़ाद कर दिया।

अल्मोडा

अगले दिन सुबह वह ग्रामीण (किर्थू अनेरिया) ने देखा कि उसके गाँव में चारों तरफ़ गोबर-खाद फैला हुआ था जबकि गाँव के सभी मडुवा का फसल तहस-नहस किया हुआ था। अगली रात ग्रामीण फिर भूतों के राजा के पास पहुँचा और उससे फसल बर्बाद करने की शिकायत की। इसपर भूतों के राजा ने कहा कि चुकी भूतों को फसल की निराई या गुड़ाई नहीं आती थी इसलिए उन्हें जैसा आया उन्होंने वैसा कर दिया।

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चूंकि जहां पौधे कम होते हैं गुड़ाई में वहां पौधे लगाये जाते हैं। यह भी माना जाता भूत उलटा काम करते हैं इसलिए उन्हौंने मडुवा के पौधे उल्टे लगा दिए: जड़ ऊपर व पत्ते जमीन में। इसके बाद उस ग्रामीण ने सभी भूतों को फसल निराई व गुड़ाई करना सिखाया और भूतों के राजा ने ग्रामीण को वो मंत्र सिखाया जिससे वो न सिर्फ़ किसी भी व्यक्ति को भूत के चंगुल से चुटकी में बचा सकेगा बल्कि वो भूत सदा के लिए उसका ग़ुलाम बन जाएगा। अगली सुबह ग्रामीण ने देखा कि उसके सारे फसल की निराई की जा चुकी थी।

इस घटना के बाद अन्यारिया कोट गाँव के ग्रामीण भूतों का इलाज करने के लिए प्रसिद्ध हो गए और क्षेत्र के भूत इस गाँव के ग्रामीणों से डरने लगे। इतना डरने लगे कि अगर इनके नेतृत्व में कोई घाट पे शवदाह करे तो भूतों कि हिम्मत नहीं होती थी कि वो शवदाह में किसी तरह का कोई ख़लल पैदा करे। माना जाता था कि जब भी कोई भूत अन्यारिया कोट गाँव के ग्रामीण को देखता था तो अपने लोगों से ये कहावत बोलकर उन्हें अन्यारिया कोट गाँव के ग्रामीणों से बचाता था।

स्त्रोत: स्त्रोत: पंडित गंगा दत्त उप्रेती (कुमाऊँ के अतिरिक्त असिस्टेंट कमिशनर) द्वारा संग्रहित “प्रोवर्बस एंड फ़ोक्लॉर ओफ़ कुमाऊँ एंड गढ़वाल”, वर्ष 1867 में संग्रहित और वर्ष 1894 में लुधियाना मिशन प्रेस द्वारा प्रकाशित पुस्तक।

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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2 COMMENTS

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