अंबेडकर देश के नाम भारत रखे या इंडिया (INDIA) रखे इसपर बहस करके संविधान सभा का क़ीमती वक़्त बर्बाद नहीं करना चाहते थे जिसपर शंकरराउ देव ने समर्थन ने किया लेकिन कामेथ के ज़िद पर राष्ट्रपति उन्हें यह संसोधन टेबल करने दिया गया। भारत बनाम इंडिया का बहस इससे भी अधिक ही पुराना है। नमस्कार आज के आहिन-गोहिन में India बनाम भारत के इस दूध-पानी वाले सम्बंध को थोड़ा घोटने का प्रयास करेंगे, इस बहस के धुँधलेपन को समझने का प्रयास करेंगे थोड़ा आहिन-गोहिन करेंगे।
20 जुलाई को हिंदुस्तान में विपक्षी एकता के नाम INDIA पर बवाल मचा। स्वयं प्रधानमंत्री तक यह बोल डाले कि INDIA नाम रख लेने से क्या होता है INDIA तो इंडीयन मुजाहिदीन में भी लगा हुआ है और ईस्ट इंडिया कम्पनी में भी लगा हुआ था। चचा सेक्सपियर भी बोल के चले गए हैं। “नाम में क्या रखा हुआ है।” सही बात है नाम में कुछ नहीं रखा हुआ है तभी तो जब संविधान सभा में आज़ाद हिंदुस्तान को नाम क्या दिया जाए उसपर बहस चल रही थी तो हिंदू महासभा या जनसंघ के किसी भी नेता ने इस बहस में हिस्सा नहीं लिया। क्या फ़र्क़ पड़ता है, India बोलो या हिंदुस्तान या फिर भारत या कुछ और।
लेकिन संविधान सभा में कई लोग थे जिन्हें सिर्फ़ इस बात पर आपत्ति नहीं थी कि India बोले या भारत बल्कि इस बात पर भी आपत्ति थी कि अगर India और भारत दोनो का इस्तेमाल हो तो फिर पहला शब्द India होगा या भारत। बाबा साहेब अम्बेडकर ने आज़ाद हिंदुस्तान के लिए संविधान में “India, that is Bharat” शब्द का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया जो कि अंततः संविधान सभा में स्वीकार भी किया गया लेकिन इस मुद्दे पर बहस के दौरान कई अन्य सुझाव भी आए जो काफ़ी रोचक है।
इन सुझावों में से एक नाम जो संविधान सभा की बहस के दौरान आया ही नहीं वो था ‘हिंदुस्तान”। ब्रिटिश हमारे देश के लिए हमेशा इंडिया शब्द का इस्तेमाल करते थे। लेकिन 1940 के दशक में जब देश के बँटवारे की बात शुरू हुई तो ब्रिटिश सरकार इंडिया को दो हिस्से में बाँट दिए: हिंदुस्तान और पाकिस्तान। महात्मा गांधी समेत अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने इसका विरोध किया। कहा, जिन्ना अपने देश को पाकिस्तान बोले या जो बोलना है बोले लेकिन हमारा देश इंडिया ही था भारत ही था और भारत ही रहेगा। यानी कि अरिजिनल हम हैं, जिन्ना अलग हो रहा है तो वो अपने देश को जो नाम रखना है, जो झंडा रखना है रखे। विभाजन के दौरान अरिजिनल नाम और चिन्ह पर कितना तीखा विवाद होता है उसे आप हाल ही में विभाजित हुए शिव सेना के उदाहरण से समझ सकते हैं।
फ़िलहाल वापस लौटते हैं 1940 के दशक में। महात्मा गांधी के विरोध के बाद यह तो तय हो गया था कि हमारे देश का नाम चाहे जो भी हो लेकिन हिंदुस्तान तो नहीं रहेगा। हालाँकि महात्मा गांधी हिंदी, उर्दू समेत उत्तर भारत में बोले जाने वाली अधिकतर भाषाओं को हिंदुस्तानी भाषा ही बोलते थे। इस भाषा के मुद्दे पर बहस कभी और कर लेंगे फ़िलहाल सवाल महत्वपूर्ण है INDIA का, राहुल गांधी वाला INDIA का नहीं, भारत वाले India का।
India और संविधान सभा:
18 सितम्बर 1948 को संविधान सभा में बाबा साहेब अम्बेडकर ने इस देश के नामकारण के लिए “India, that is Bharat” का सुझाव दिया। हरी विष्णु कामथ ने इसका विरोध किया। कामथ का सुझाव था कि कि हमारे देश के नाम के लिए “India That is भारत” की जगह “भारत, or, in the English language, India” का इस्तेमाल हो। लेकिन संविधान सभा में जब वोटिंग हुई तो कामथ का यह शंसोधन को 51 के मुक़ाबले मात्र 38 वोट मिले और संशोधन नहीं हुआ।
विजय की तो गाथा सब लिखते हैं, सब देखते हैं, सब सुनते हैं, आज आप हार की भी गाथा सुनिए, मज़ेदार है और ज्ञानवर्धक भी। देश के नाम को बदलने का सुझाव देने के पीछे हरी विष्णु कामथ का तर्क था कि चुकी आइरिश संविधान में भी इसी तरह का संसोधन किया गया था देश के नाम पर इसलिए हिंदुस्तान में भी होना चाहिए। आइरिश संविधान में आयरलैंड को “Eire, or, in the English language, Ireland” रखा गया था। इसी आधार पर अपने देश का भी नाम “भारत, or, in the English language, India” होना चाहिए। आयरलैंड भी ब्रिटिश की ग़ुलामी से आज़ाद हुआ था और हमारा देश भी।
कामथ का यह भी तर्क था कि चुकी सिर्फ़ इंग्लिश देशों में ही भारत को इंडिया बोला जाता है जबकि दुनियाँ में और भी तो देश हैं। जैसे यूरोप के ही इटली, फ़िनलंड, तुर्की, रोमानिया, फ़्रांस जैसे कई ग़ैर-अंग्रेज़ी देशों में हमारे देश को हिंदुस्तान ही बोलते थे, और कुछ में तो सिर्फ़ हिंदू बोलते थे।
वैसे आगे बढ़ने से पहले ये जानना अच्छा रहेगा कि ये वही कामथ थे जो संविधान सभा में सभी भारतीयों को बंदूक़ रखने का अधिकार देने के लिए अम्बेडकर और कांग्रेस से लड़ रहे थे, बहस कर रहे थे, कांग्रेस और महात्मा गांधी को ——अधिवेशन की याद दिला रहे थे जिसमें कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार से सभी भर्तियों को बंदूक़ रखने के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में माँग किया था। बंदूक़बाज़ी, और गनमस्ती पर हमने एक अलग विडीओ बनाया है जिसका लिंक इस विडीओ के दिस्च्रिप्तीयोन बॉक्स में आपको मिल जाएगा।
फ़िलहाल ये भी आपके लिए जानना ज़रूरी है कि चुकी हरी विष्णु कामथ गनमस्ती से लेकर देश के नाम के सवाल पर कांग्रेस, गांधी के साथ साथ अम्बेडकर का भी का विरोध कर रहे थे तो इसका ये बिल्कुल मतलब नहीं निकाल लीजिएगा कि कामथ RSS या हिंदू महासभा या जनसंघ से थे। कामथ प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के नेता थे, जयप्रकाश नारायण वाली प्रजा सोशलिस्ट पार्टी। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से पहले वो फ़ॉर्वर्ड ब्लॉक के भी नेता थे।
कामथ देश का नाम बदलने का सुझाव देने वाले अकेले नेता नहीं थे। कमलपति त्रिपाठी ने कामथ का समर्थन भी किया और बोला कि कम से कम इतना संशोधन तो होना ही चाहिए कि अम्बेडकर के “India, that is, Bharat” की जगह “Bharat, that is India” होना चाहिए। इसी तरह सेठ गोविंद दास जी ने संविधान सभा को सुझाव दिया कि देश का नाम “Bharat known as India also in foreign countries.” होना चाहिए। उत्तराखंड के हरगोविंद पंत ने भारत की जगह ‘भारतवर्ष’ नाम का सुझाव दिया। इन्होंने इंडिया शब्द के इस्तेमाल को ग़ुलामी की मानसिकता से जोड़ा।
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चौकिएगा नहीं, कामथ को छोड़ दे तो इस पूरे बहस में अम्बेडकर और कांग्रेस का विरोध करने वाले सारे नेता कांग्रेस के सदस्य थे। ये सब कांग्रेस के नेता थे और कभी कल्टी भी नहीं मारे थे, कभी दल-बदलूँ भी नहीं बने थे, कभी कांग्रेस भी नहीं छोड़े, और कभी कांग्रेस ने इन्हें पार्टी के निर्णय के विरोध में बोलने के लिए फटकार तक नहीं लगाई थी पार्टी से निकलना तो बहुत दूर की बात थी। वो 1940 और 1950 का कांग्रेस था, वो गांधी और नेहरू का कांग्रेस था।
कामथ संविधान सभा में बाल की खाल निकलने के लिए प्रसिद्ध थे। उँगली करना उनकी आदत हो गई थी संविधान सभा में। 18 सितम्बर 1948 को फिर उन्होंने उँगली कर दिया था। उनके उँगली करने के बाद भारत के साथ union of State शब्द का इस्तेमाल हो या नहीं इसपर ब्रजेश्वर प्रसाद ने बहस छेड़ दिया। देश के लिए इंडिया शब्द का समर्थन करने वालों ने यहाँ तक तर्क दे डाला कि ऋग्वेद में जो “Idyam”, और “Idanyah(Fire)” और यजुर्वेद में जो “Ida(voice)” शब्द का इस्तेमाल हुआ है उसका मतलब इंडिया ही है। बदले में कुछ लोगों ने विष्णु पुराण और ब्रह्म पुराण में भारत शब्द ढूँढ लाया।
उधर कल्लूर सब्बा राउ ने तो पाकिस्तान का भी नामकरन करने का प्रयास किया और वो भी भारतीय संविधान सभा में ही। इनके अनुसार पाकिस्तान का नाम हिंदुस्तान होना चाहिए क्यूँकि हिंदुस्तान का नाम हिंदुस्तान सिंधु नदी के कारण पड़ा था और अब सिंधु नदी पाकिस्तान में है इसलिए अब पाकिस्तान काम नाम हिंदुस्तान होना चाहिए। इन्होंने हिंदुस्तानी भाषा के लिए भारती भाषा शब्द का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। राम सहाय को जब कुछ नहीं मिला बोलने को तो खुद अपनी पीठ थपथपाने लगे कि उनका राज्य देश का पहला राज्य हैं जिसने अपने राज्य का नाम भारत के नाम पर रखा था। राम सहाय मध्य प्रदेश से थे और मध्य प्रदेश का नाम 1948 में मध्य भारत घोषित किया गया था। (राम सहाय)
संविधान सभा में दी जा रही तर्कों की इन पराकाष्ठा से सभापति महोदय राजेंद्र प्रसाद से लेकर अम्बेडकर समेत कई लोग चट रहे थे और कई लोग मज़े भी ले रहे थे। एक समय के बाद अम्बेडकर तो इतना चट गए कि उन्होंने बोल दिया कि उनके पास और संविधान सभा के पास इतना फ़ालतू समय नहीं है कि इस तरह के फ़ालतू सवालों पर बहस किया जाए, वो ये सब नहीं सुन सकते हैं। इसपर P S देशमुख ने उन्हें सदन से बाहर जाने का ही सुझाव दे दिया। देशमुख ने कहा कि अगर आप नहीं सुन सकते हैं तो सदन से बाहर चले जाइए।
इस पूरे बहस में हिंदुस्तान शब्द पहले ही बाहर हो चुका था, महात्मा गांधी ने ही आज़ादी से पहले ही इसे बाहर कर चुके थे, और जिस दौर में यह संविधान लिखा जा रहा था उस दौर में हिंदू और हिंदुस्तान के नाम पर सरहद के दोनो तरफ़ क़त्लेआम मचा हुआ था। ऐसे में हिंदुस्तान शब्द पर बहस नहीं किया गया। लेकिन हिंदुस्तान तो इस देश के आम लोगों के ज़ुबान पर था, दिनचर्या में था, व्यवहार में था। संभवतः यही कारण है कि आज़ाद हिंदुस्तान में जब अलग अलग उद्योगों में कम्पनियों का नामकरण होने लगा तो ज़्यादातर का नाम हिंदुस्तान शब्द से ही शुरू होता था, भारत या इंडिया से नहीं। उदाहरण के लिए अंबेसडर कर हिंदुस्तान मोटर की थी, घड़ी जो पहनते थे HMT वाली उसका नाम हिंदुस्तान मशीन टूल्स (HMT) थी।
दवाई बनाने के लिए पिंपरी की पेनिसिलिन फ़ैक्टरी का नाम हिंदुस्तान ऐंटीबायआटिक लिमिटेड रखा गया। हिंदुस्तान का पहला स्वनिर्मित एयर-क्राफ़्ट का नाम हिंदुस्तान ट्रेनर-२ रखा गया, हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड 1961 में बना, हिंदुस्तान ऐल्यूमिनीयम को 1958 में स्थापित किया गया, उसी साल बिरला ग्रूप का हिंदुस्तान ऐल्यूमिनीयम भी स्थापित हुआ और हिंदुस्तान सॉल्ट कम्पनी प्राइवट लिमिटेड भी। 1960 में हिंदुस्तान फ़ोटो फ़िल्म और हिंदुस्तान टेलीप्रिंटर। 1961 में जब पहला फ़ाइटर प्लेन बना तो उसका भी नाम हिंदुस्तान फ़ाइटर (HF-24) रखा गया, जिसे हिंदुस्तान एरनॉटिक्स ने बनाया था,
इसी तरह इंदिरा के दौर में भी यह जारी रहा और सरकारी कोंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलीयम लिमिटेड ने देश में सभी तरह के पेट्रोल का काम करने लगा, प्राइवट कोंपनी का भी नाम हिंदुस्तान के नाम पर रखा गया। जैसे कि हिंदुस्तान लीवर, हिंदुस्तान टाइम्स (Gopa Sabarwal)

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