द्वितीय विश्व युद्ध में हार के बाद इटली की कराहती अर्थव्यवस्था और आसमान छूती महंगाई से लड़ने के लिए कई कदम उठाए गए थे जिसमें से एक था स्कूटर का प्रचलन। वेस्पा स्कूटर इटली और दुनियाँ की पहली स्कूटर थी जिसका उत्पादन वर्ष 1946 में इटली में प्रारम्भ हुआ। आज दुनियाँ के सोलह देशों में इसका उत्पादन होता है और लगभग सभी देशों में बिक्री होती है। हालाँकि स्कूटर का इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सेना ने भी किया था लेकिन वो स्कूटर काफ़ी जटिल, भारी और आवाज़ करने वाली थी।
उस दौर में मोटरसायकल की तुलना में स्कूटर सस्ती भी थी और महिलाओं के पोशाक के अनुरूप भी थी। इंजन पीछे होने के कारण कपड़ों के गंदे होने की सम्भावना भी बहुत कम थी। इटली में स्कूटर का प्रचलन बढ़ने का एक मनोवैज्ञानिक कारण यह भी था कि मोटरसायकल के विपरीत स्कूटर बहुत कम आवाज़ करती थी और ख़ासकर मोटरसायकल की तरह इसकी आवाज़ किसी बंदूक़ की गोली की तरह नहीं थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में ऐसी सभी चीजों को लोग नापसंद करने लगे थे जिसकी आवाज़ युद्ध की याद दिलाती हो।
यह सिर्फ़ संयोग नहीं था कि इटली में स्कूटर उत्पादन को प्रतिस्पर्धा किसी अन्य देश से नहीं बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध में पराजित जर्मनी और जापान से मिली। आज भी हिंदुस्तान में बिकने वाली ज़्यादातर स्कूटर जापान निर्मित ही है। जापान में फ़ूजी स्कूटर का उत्पादन भी वर्ष 1946 में प्रारम्भ हुआ जबकि ब्रिटेन को पहला स्कूटर उत्पादन करने के लिए वर्ष 1958 का इंतज़ार करना पड़ा।

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हालाँकि ब्रिटेन द्वितीय विश्व युद्ध में जीता था लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध में जीत हासिल करने वाले देशों में से सर्वाधिक क्षति ब्रिटेन को ही हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व का सर्वोत्तम साम्राज्य ब्रिटेन एक मामूली देश रह गया था। उसके लगभग सभी उपनिवेश उससे छिन चुके थे और ब्रिटेन के लोग किसी भी तरह युद्ध से नफ़रत करने लगे थे। यही कारण है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और सोवियत संघ तो कई कोरिया, क्यूबा, वियतनाम जैसे युद्धों में संलग्न रहा लेकिन ब्रिटेन अपने आप को सभी युद्धों से अलग रखा। सम्भवतः यही कारण था कि उस दौर में इटली के बाद सार्वधिक स्कूटर ब्रिटेन में बिक रही थी।
स्कूटर की दुनियाँ में दूसरी क्रांति 1980 के दशक में आयी जब गीयर रहित स्कूटी का अविष्कार हुआ जिसे चलाना सायकल से अधिक आसान हो गया। इसका अविष्कार जापान के होंडा ने उस दौर में किया जब जापान घटती जनसंख्या और घटते मज़दूर से परेशान था और किसी भी तरह महिलाओं को घर से बाहर निकालकर उन्हें नौकरी देना चाहता था।

भारत में स्कूटर:
हालाँकि भारतीय बाज़ार की पहली स्कूटर भी वेस्पा ही थी जिसकी बिक्री भारत में वर्ष 1948 में ही प्रारम्भ हो चुकी थी लेकिन यहाँ स्कूटर का प्रचलन 1980 के दशक के बाद ही प्रारम्भ हो पाया जब देश में आर्थिक उदारीकरन प्रारम्भ हुआ। वर्ष 1972 में भारतीय बाज़ार में लुना मोपेड आया लेकिन वह भी छोटे व्यापारियों और निम्न मध्य वर्ग तक सीमित रहा। उस दौर में भारत में दो पहिया वाहन का महिला के साथ कोई सम्बंध नहीं था। इसके प्रचार में कहीं भी महिला को केंद्रित नहीं किया गया।
भारत में पहली गीयर रहित स्कूटी TVS ने वर्ष 1996 में बाज़ार में उतारा जिसका नाम था TVS स्कूटी। कुछ ही वर्षों में भारत में लोग सभी स्कूटर को स्कूटी बोलने लगे जबकि स्कूटी सिर्फ़ एक ब्रांड का नाम था जो TVS ने लॉंच किया था। गीयर रहित स्कूटी का भारतीय बाज़ार में आना स्कूटी का महिला के साथ गहरे सम्बंध की शुरुआत थी। दो दशक पहले हीरो-होंडा प्लेज़र के प्रचार में प्रियंका चोपड़ा द्वारा “Why Should Boys Always Have All The Fun” का ऐड्वर्टायज़्मेंट ने स्कूटी को महिला के साथ जोड़ने की महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुई जिसके बाद ऐसी कई ऐड बने जिसमें स्कूटी को महिला शासक्तिकारन के साथ जोड़ा गया।
अब पिछले कुछ वर्षों से हिंदुस्तान में बिजली से चलने वाली स्कूटी का दौर आ रहा है जिसे भी महिलाओं के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। देश ही नहीं दुनियाँ की पूर्णतः महिला मज़दूरों द्वारा संचालित होने पहली इलेक्ट्रॉनिक स्कूटी फ़ैक्टरी हिंदुस्तान में Ola ने प्रारम्भ वर्ष 2021 में किया है।

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