HomeEnvironmentWild-Lifeप्राचीन ग्रीक में कविताएँ लिखी गई है भारतीय भोटिया कुत्तों की याद...

प्राचीन ग्रीक में कविताएँ लिखी गई है भारतीय भोटिया कुत्तों की याद में !!

भारतीय भोटिया कुत्तों की प्रसिद्धि जितनी आज है, इतिहास में इनकी प्रसिद्धि आज से कम नहीं है। ग्रीक-रोमन साम्राज्य में भारतीय कुत्तों के नाम पर क़सीदे तक लिखे और पढ़े गए हैं।

भोटिया कुत्तों की तुलना इतिहास में विकराल आकार के तिब्बती कुत्तों से की गई है। इतिहासकार ए एल बाशम अपनी प्रसिद्ध किताब ‘ए वंडर दैट वाज इंडिया‘ में लिखते हैं कि भोटिया कुत्तों की प्रसिद्धि हिंदुस्तान से बाहर हिंदुस्तान से भी ज़्यादा थी। इतिहास के पिता हेरोडोटुस के अनुसार पर्सीयन शासक Artaxerxes I (465-424 BC) ने चार बैबॉलोनीयन गाँव को कर मुक्त कर दिया था क्यूँकि उन्होंने राजा को भारतीय भूटिया कुत्ते दिए थे। महान इतिहासकार स्ट्रबो और प्लिनी ने भी भोटिया कुत्तों को सोना खोदने वाली चिटियाँ कहकर सम्बोधित किया।

ग्रीक पपायरस के अनुसार तीसरी सदी में ग्रीक का एक निवासी ज़ीनॉन ने अपने भारतीय भोटिया कुत्ते की मौत की याद में दो मार्मिक कविताएँ लिखी थी। इस भोटिया कुत्ते ने ज़ीनॉन को एक बार एक जंगली भालू द्वारा किए गए हमले में उसे मौत के मुँह से बचाया था। 

बाघ और तेंदुआ भी डरते हैं भोटिया कुत्तों से !!

Bhotiya Dog Me
चित्र: हिमालय की गोद में भोटिया कुत्ता

इस भी पढ़े: क्या ढोल और दमाउ पहाड़ी सामाजिक भेदभाव की संस्कृति का प्रतीक है ?

काले रंग के भारी भरकम शरीर के ख़ूँख़ार दिखने वाले ये कुत्ते बहुत शांत स्वभाव के होते हैं लेकिन किसी भी प्रकार का ख़तरा महसूस करने पर बिना हल्ला मचाए जानलेवा हो जाते हैं। इन भोटिया कुत्तों में इतनी ताक़त होती है कि अगर इनके गले में एक लोहे का पट्टा पहना दिया जाता है तो फिर ये बाघ और तेंदुआ (गुलदार) पर भी भारी पड़ते हैं। और यहीं कारण है कि अपने भेड़-बकरियों की सुरक्षा के लिए इन भोटिया समाज के लोग इन कुत्तों को अपने साथ रखते हैं। 

भोटिया कुत्ते उत्तराखंड और नेपाल के उच्च हिमालय के ठंढे क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये गर्म क्षेत्रों में नहीं रह पाते हैं। भोटिया कुत्तों का सर्वाधिक उपयोग हमेशा से एक प्रहरी के रूप में होता रहा है। भोटिया समाज के लोग अपनी भेड़, बकरी, याक, आदि जानवरों यात्रा के दौरान व्यवस्थित रखने के साथ साथ जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए भी रखते थे। सुरक्षा की दृष्टि से भोटिया कुत्तों की अहमियत का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इनके लिए पहाड़ी कहावतें भी बनी:

‘कुकुरले दौड़नूछ मरनो कांकडलेछ’ (The Dog has only to hunt, it is the wild sheep that is killed)

इन भोटिया कुत्तों को ज़्यादातर भोटिया जनजाति के लोग रखते हैं और इसी कारण इसका नाम ‘भोटिया कुत्ता’ रखा गया है। लेकिन पहाड़ों में आजकल ज़्यादातर लोग इस कुत्ते को अपने परिवार का हिस्सा बनाना चाहते हैं। आजकल भोटिया कुत्तों की कई अपभ्रंश प्रजातियाँ भी आ गई है दिखने में भोटिया कुत्तों का अहसास देते हैं लेकिन काम और ज़िम्मेदारी में अन्य सामान्य शहरी पालतू कुत्तों की तरह ही हैं।

photo 2021 09 17 11.44.32
चित्र 2: औली के बर्फीले पहाड़ों में भोटिया कुत्ता

उत्तराखंड और पहाड़ के इतिहास में भी कुत्तों और ख़ासकर भोटिया कुत्तों का विशेष वर्णन है। उत्तराखंड के पहाड़ों में मिलने वाले पन्द्रहवीं और सोलहवीं सदी के कई ताम्रपत्रों में ‘घोडालो’ नमक एक कर का ज़िक्र किया गया है। पहाड़ों में राज्य (रजवाड़ों) द्वारा घोड़ों और कुत्तों के ख़रीद-फ़रोख़्त पर लगाया जाता था जिसका नाम ‘घडोला’ कर था। पहाड़ों में किसी अन्य पालतू घरेलू जानवर के ख़रीद फ़रोख़्त पर कर नहीं लगाया जाता था। नैन सिंह रावत ने इन भूटिया कुत्तों का ज़िक्र करते हुए कहते हैं कि तिब्बत में सोने की खान में ये कुत्ते रखवाली किया करते थे।

इतिहास में उच्च हिमालय क्षेत्र से कुमाऊँ के थल, बगेश्वर और जौलगीबी के मेले में भोटिया कुत्तों को बेचने के लिए लाया जाता था। आज भी इन कुत्तों की बगेश्वर में लगने वाले उत्तरायनी मेले में बेचने के लिए लाया जाता है। पिछले वर्ष लगे उत्तरायनी मेले में इन कुत्तों की सर्वाधिक क़ीमत बीस हज़ार तक रही।  

कब और क्यूँ पहाड़ों पर नज़र थी हिट्लर की ?

Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
RELATED ARTICLES

1 COMMENT

  1. I have read your article carefully and I agree with you very much. This has provided a great help for my thesis writing, and I will seriously improve it. However, I don’t know much about a certain place. Can you help me?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Current Affairs