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देहरादून के Hennessey बेधशाला से ब्रिटिश रोज़ सूर्य की 2 फ़ोटो खींचकर ब्रिटेन क्यूँ भेजते थे?

वर्ष 1878 से 1925 तक लगातार प्रत्येक दिन देहरादून स्थित सर्वे ओफ़ इंडिया के ऑफ़िस में स्थित वॉकर बेधशाला (Observatory) और Hennessey बेधशाला की गोथिक शिल्पकला में बनी एक गोल इमारत से प्रत्येक दिन सूर्य 2 फ़ोटोग्राफ़ खिंचा जाता था और उसे साफ़ करके के 30 सेंटीमीटर के आकार में हर हफ़्ते ब्रिटेन भेजा जाता था। वर्ष 1883-84 में निर्मित Hennessey बेधशाला आज खंडर बना हुआ है। शोध के लिए सूर्य के चित्र लेने की प्रक्रिया का हिंदुस्तान के इतिहास में यह पहला उदाहरण है। ब्रिटेन में यह प्रक्रिया वर्ष 1845 में प्रारम्भ हुई थी ताकि सूर्या ग्रहण के प्रभावों की बेहतर समझ बनाई जाए। विज्ञान की इस नयी शाखा का नाम सोलर फ़िज़िक्स रखा गया था।  

सर्वे ओफ़ इंडिया, देहरादून:

देहरादून का केनाल रोड ऐतिहासिक है। इसी सड़क पर स्थित है सर्वे चौराहा। सर्वे चौराहा का यह नाम वहीं स्थित सर्वे ओफ़ इंडिया के मुख्य कार्यालय के कारण पड़ा। सर्वे ओफ़ इंडिया की स्थापना वर्ष वर्ष 1767 में हुई और प्रारम्भ में उसका मुख्य कार्यालय कलकत्ता में थी। इसकी स्थापना के पीछे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी का मुख्य उद्देश्य था हिंदुस्तान का एक विस्तृत मानचित्र तैयार करवाना जिससे पूरे हिंदुस्तान पर ब्रिटिश राज स्थापित हो सके। 19वीं सदी में इसका मुख्य कार्यालय को देहरादून स्थानांतरित कर दिया गया। इसी कार्यालय में JBN Hennessey नामक वैज्ञानिक कार्य करते थे जिनके नाम पर Hennessey बेधशाला का नामकरण किया गया था। 

वर्ष 1857 तक हिंदुस्तान के लगभग सभी हिस्सों पर ब्रिटिश शासन स्थापित हो चुका था और 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार यह फ़ैसला कर चुकी थी बचे हुए राजा-रजवाड़ों के क्षेत्रों पर ब्रिटिश सरकार क़ब्ज़ा नहीं करेगी। इसी के साथ सर्वे ओफ़ इंडिया का मक़सद भी बदला। अब सर्वे ओफ़ इंडिया के अलग अलग शाखाओं ने हिंदुस्तान के लोगों और उनके जीवन की समस्याओं, प्रथाओं, दिनचर्या, से जुड़े विषयों की जानकारी इकट्ठा करना प्रारम्भ कर दी ताकि उनपर बेहतर ढंग से शासन किया जा सके और दुबारा विद्रोह की किसी भी सम्भावना को ख़त्म किया जा सके। 

Observatory Dehradun
चित्र: देहरादून स्थित सर्वे ओफ़ इंडिया के प्रांगण में हेनेसी बेधशाला (क्रेडिट: R.C. Kapoor, February 2013).

गेहूँ, वर्षा, अकाल और सूर्य:

19वीं सदी के दौरान William Herschel ने एक सिद्धांत दिया जिसके तहत सूर्य में गतिविधि और गेहूं की खेती के बीच गहरे सम्बंध को स्थापित किया गया। इस विषय को आगे चलकर Norman Lockyer ने प्रचारित किया जिनके सुझाव पर देहरादून में वर्ष 1877 में सोलर फ़िज़िक्स और सोलर फ़ोटोग्राफ़ी केंद्र की स्थापना हुई। उस समय कर्नल वॉकर हिंदुस्तान के सर्वेअर जेनरल थे।

इसी दौरान दुनियाँ में कई वैज्ञानिक सूर्य के धब्बों का मौसम, वर्षा, नदी-नहरों के जल स्तर, और अकाल के बीच सम्बंध स्थापित करने का प्रयास कर रहे थे जिसमें हिंदुस्तान का उत्कृष्ट गज़ेटियर लिखने वाले W W Hunter भी शामिल थे। हिंदुस्तान में उनके कार्यकाल के दौरान वर्ष 1866 में ओड़िसा में और 1877 में मद्रास में भयंकर अकाल आया था और वो इसका हल ढूँढना चाहते थे। 

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JBN Hennessey:

ब्रिटिश संसद तक इस बेधशाला स्थापित करने की माँग पहुँची और अंततः स्वीकृति मिल गई। JBN Hennessey पहले से ही कलकत्ता स्थित सर्वे इंडिया के कार्यालय में कार्यरत थे और वर्ष 1965 में ग्रेट आर्क की गणना के लिए देहरादून आ गए थे। इसी बीच उन्होंने नीलगिरी पहाड़ी के डोडाबेत्ता से वर्ष 1871 में सूर्यग्रहण का फ़ोटो भी खिचा था। और अंततः वर्ष 1877 में रूढ़की में James Tennant द्वारा शुक्र ग्रह का अध्ययन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला यंत्र देहरादून स्थित वॉकर बेधशाला में भेजा गया और कार्य प्रारम्भ हुआ। ऐसा माना जाता है कि JBN Hennessey ने  (या राधानाथ सिक्दर) ही सबसे पहले एवरेस्ट शिखर की ऊँचाई मापी थी। 

देहरादून के इस बेधशाला से खिंचे हुए सूर्य के धब्बों की तस्वीरों को जब वर्ष 1883-84 के दौरान कलकत्ता में प्रदर्शित किया गया तो तो भारतीय मूल के ब्रिटिश ने इसका विरोध किया और पैसे की बर्बादी बताया। हालाँकि इन्हीं चित्रों को विश्व के अन्य प्रदर्शनियों में रजत पदक तक का ख़िताब मिला। दुर्भाग्य यह रहा कि इस संस्थान में आग्रह के बावजूद एक भी भारतीय फ़ोटोग्राफ़र को नौकरी नहीं दी गई।

Hennessey
John Babonau Nickterlein Hennessey, F.R.S. (after Phillimore, 1945-1968: V, Plate 23).

लेकिन सवाल उठता है कि अगर हिंदुस्तान में बाढ़ और अकाल ज़्यादातर ओड़िसा, बिहार और मद्रास में हो रहे थे तो फिर देहरादून को क्यूँ ऐसे बेधशाला के लिए चुना गया? तर्क यह दिया गया कि चुकी देहरादून हिमालय की ऊँचाई पर स्थित है तो वहाँ से सूर्य की बेहतर तस्वीर ली जा सकती है। हालाँकि JBN Hennessey स्वयं मसूरी में स्थित अपने घर मैरी विला से टेलिस्कोप से शोध करना ज़्यादा पसंद करते थे जहां से शुक्र ग्रह की बेहतर तस्वीर मिलती थी। Hennessey सूर्या से अधिक शुक्र ग्रह पर शोध करने में रुचि रखते थे। आज मेरी विला को वीनस स्टेशन भी बोला जाता है।

बाद में वर्ष 1925 में Hennessey बेधशाला को तमिलनाडु के डिंडीगल ज़िले के कोडैकानल नामक हिल स्टेशन पर स्थान्तरित कर दिया गया जहां आज भी यह शोध जारी है। 

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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