जनसंख्या नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण, पिछले पचास वर्षों में विश्व के दस सर्वाधिक देशों में जहाँ प्रजनन दर में सर्वाधिक गिरावट आइ, उनमें बांग्लादेश, एक अन्य मुस्लिम बहुल राष्ट्र कुवैत के बाद दूसरे स्थान पर है। वर्ष 1970 और 2020 के दौरान बांग्लादेश के प्रजनन दर में 4.96 बच्चों की गिरावट दर्ज की गई जो कुवैत द्वारा इसी दौरान दर्ज की गई 5.1 बच्चों की गिरावट से मात्र 0.14 बच्चे कम है।
बांग्लादेश में जनसंख्या नियंत्रण:
वर्ष 1970 में बांग्लादेश में एक औरत औसतन 6.95 बच्चे पैदा करती थी जो वर्ष 2020 में घटकर मात्र 1.99 बच्चे तक आकर सिमट गई। दूसरी तरफ़ कुवैत में वर्ष 1970 में एक औरत पर 7.17 बच्चे पैदा होते थे जो वर्ष 2020 में घटकर 2.07 बच्चे तक सिमट गई।

बांग्लादेश और कुवैत दोनो देशों ने इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए चीन या ब्राज़ील की तरह किसी जनसंख्या नियंत्रण क़ानून का सहारा नहीं लिया। बल्कि एक तरह जहां कुवैत ने देश में महिलाओं के स्वास्थ्य सेवाओं की त्वरित उपलब्धता और सामाजिक बदलाव का सहारा लिया तो वहीं दूसरी तरफ़ बांग्लादेश ने इस उपलब्धि को पाने के लिए देश में गर्भ-निरोधक उपायों और छोटा परिवार के फ़ायदे के प्रति लोगों में जागरूकता के साथ साथ ग़रीबी उन्मूलन, गर्भवती महिला व बच्चों के लिए उचित स्वास्थ्य सुविधा और महिला साक्षरता दर बढ़ाने को मुख्य हथियार बनाया।

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बांग्लादेश की जनसंख्या नियंत्रण नीती के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा देश की धार्मिक आस्था थी जिसका निदान बांग्लादेश ने धर्म के रास्ते से ही निकला। हाल के वर्षों तक बांग्लादेश के मस्जिदों में इसके लिए का भी इस्तेमाल किया गया जहाँ रोज़ जनसंख्या वृद्धि के घाटे और परिवार नियोजन के फ़ायदों पर तक़रीरें दी जाती थी और अजान के समय भी इस सम्बंध में इश्तहारों का ऐलान किया जाता था।
मुस्लिम और जनसंख्या नियंत्रण:
इतना ही नहीं विश्व के दस प्रमुख देश जहाँ के प्रजनन दर में पिछले पचास वर्षों के दौरान सर्वाधिक गिरावट दर्ज की गई उनमें से छः देश मुस्लिम बहुल आबादी वाले देश हैं। ये देश हैं: कुवैत, बांग्लादेश, अल्जीरिया, ट्यूनिशिया, मोरोक्को, और ईरान जहां के प्रजनन दर में क्रमशः 5.1, 4.98, 4.7, 4.56, 4.3 और 4.3 बच्चों की गिरावट दर्ज की गई। विश्व के सर्वाधिक प्रजनन दर में गिरावट दर्ज करने वाले दस प्रमुख अन्य देशों में केन्या, मेक्सिको, वियतनाम, और मंगोलिया है जहां के प्रजनन दर में क्रमशः 4.71, 4.53, 4.41 और 4.34 बच्चों की गिरावट दर्ज की गई। (टेबल-1)

जनसंख्या नियंत्रण की तुग़लकी नीती:
दूसरी तरफ़ जनसंख्या नियंत्रण तुग़लकी तानाशाही क़ानून बनाकर जनसंख्या नियंत्रण का प्रयास करने वाले प्रमुख देशों में चीन और ब्राज़ील के प्रजनन दर में मात्र 4.02 और 3.26 अंक की ही गिरावट दर्ज की गई। इन तुग़लकी तानाशाही क़ानून के सहारे जनसंख्या नियंत्रण नीती की सफलता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन ने भी इस ग़ैर-प्राकृतिक नीती के नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए इस नीती को वर्ष 2016 में बंद कर दिया है और आज जनसंख्या में बढ़ते वृद्ध व्यक्तियों के अनुपात की विसंगति से परेशान है।

हिंदुस्तान और जनसंख्या नियंत्रण:
हिंदुस्तान के लिए यह आँकड़े आज के दौर में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है जब देश में एक ख़ास विचारधारा में विश्वास करने वाला वर्ग लगातार चीन की तर्ज़ पर जनसंख्या नियंत्रण क़ानून की माँग कर रहा है। भारतीय समाज का यह वही वर्ग है जो देश में अप्रत्याशित जनसंख्या वृद्धि दर के लिए मुस्लिम समाज और इस्लाम को ज़िम्मेदार ठहराने पर उतारू है।
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