HomeVisual Artsगढ़वाली पेंटिंग: चित्रों के माध्यम से कहानी सुनाने की कला

गढ़वाली पेंटिंग: चित्रों के माध्यम से कहानी सुनाने की कला

गढ़वाल की लोक पेंटिंग (चित्रकारी) के माध्यम से लोक-कथाओं का चित्रण किया जाता था जो गढ़वाल के राजशाही पेंटिंग से भिन्न थी।

मुख्यतः दो तरह की पेंटिंग (चित्र) बनाए जाते थे पहाड़ों में: एक का मक़सद सिर्फ़ चित्र के सहारे कहानी सुनना होता था और दूसरे का मक़सद चित्र के सहारे लकड़ी पे होने वाली नक्काशी में मदद करना होता था। पहले में राम-सीता से लेकर कृष्ण-राधा की कहानियां होती थी तो दूसरे पे फूल-पत्ती, पेड़-पौधे और जंगल-जानवर हुआ करते थे। पहले पर राजपूत और मुगल पेंटिंग का प्रभाव साफ दिखता है तो दूसरा पूरी तरह स्वतंत्र उत्तराखंडी था और आज भी गाँव-गाँव के घर से लेकर मंदिर तक के चौखट-दरवाजे पर उकेरे हुए हैं।

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पहला पहाड़ी राजा और उनकी राजधानी श्रीनगर तक सीमित है तो दूसरा आराकोट से लेकर असकोट (मुंसियारी) तक फैला है। पहला संभ्रांत वर्ग की काला थी तो दूसरी लोक कला थी जो संभ्रांत को आम-जन से जोड़ती थी। संभ्रांत राजपूत वर्ग अपने दरवाज़ों के साथ-साथ अपने तलवारों पर भी ये चित्र रूपी नक्कासियाँ बनवाते थे। पहले को गढ़वाली पेंटिंग कहा जाता है और दूसरे को गढ़वाली लिखाई हालांकि चित्रकारी दोनों में होती है। पहले में सीधे कपड़े या कागज पर चित्र बनता था और दूसरे में लकड़ी पर नक्काशी होने के बाद कपड़े या कागज पर छपाई होती थी।

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WoodCraft Painting by Mangat Ram (1)

गढ़वाली पेंटिंग का इतिहास:

जब औरंगजेब के भाई दारा शिकोह के साथ उसका भतीजा भी औरंगजेब का विरोध किया तो हारकर वो श्रीनगर-गढ़वाल के राजा के यहाँ शरण लेने आए। औरंगजेब के भतीजे को तो निराश होकर वापस जाना पड़ा और मारा गया, पर उसके साथ जो राजपूत चित्रकार श्रीनगर आए वो यहीं बस गए और उन्होंने गढ़वाली चित्रकला की नींव रखी। उनकी अगली आठ पुश्तें पहाड़ी पेंटिंग करती रही। जब गढ़वाल राजा श्रीनगर से टिहरी चले गए तब भी ये चित्रकार श्रीनगर में रह गए। शुरू में गोरखो का आश्रय पाया और बाद में पेंटिंग छोड़ दिया।

ये श्रीनगर के मोला राम का परिवार था। ये मंगत राम, बालक राम, ज्वाला राम सबके पूर्वज थे। इनका चित्रकारी से मोह ऐसा भंग हुआ कि आगे चलकर इनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग इनके पास नहीं बल्कि मुकुंदी लाल के परिवार द्वारा संजोया गया। उनके परिवार द्वारा पेंटिंग छोड़े जाने के पीछे एक अजीब ही मान्यता है कि उनके सभी पीढ़ियों से उसके घर का कम से कम एक सदस्य पागल हो जाता था। जैसा कि लगभग सभी मध्यकालीन कलाकार सूफी विचारों से प्रभावित होता था उसी तरह इस परिवार के सदस्य भि सूफी विचार से प्रभावित थे। सूफ़ियों को कई दफ़ा पागल भी कहा जाता था।

पेंटिंग
WoodCraft Painting by Mangat Ram (2)

चित्र १ व २ ) श्रीनगर के मंगत राम द्वारा 1790 के दशक में बनाई गई पेंटिंग जिसका इस्तेमाल लकड़ी नक्काशी के लिए भी किया जाता था।
३) श्रीनगर के मोला राम द्वारा 1770 के दशक में बनाई गई कृष्ण और राधा का चित्र।

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Radha & Krishna by Molla Ram (3)
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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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