किताब का शीर्षक: गढ़वाली पेंटिंग
लेखक: डबल्यू जी आर्चर
वर्ष: 1954
किताब डाउनलोड करने में कोई समस्या हो तो कमेंट बॉक्स में अपना ईमेल आईडी लिखें
यह पुस्तक गढ़वाली चित्रों का संकलन हैं। इन चित्रों को W G आर्चर ने नहीं बनाया है बल्कि सिर्फ़ विश्लेषण किया है, अर्थात् गढ़वाली चित्रकला का एक छोटा आधुनिक इतिहास का वर्णन किया है। इस किताब में आपको दस गढ़वाली चित्र मिलेंगे जो आठारहवीं और उन्निसवी सदी में बनाए गए थे। इन चित्रों में राधा-कृष्ण, और राम-सीता आदि और उनके प्रेम सम्बन्धों को केंद्र में रखा गया हैं। आर्चर महोदय ने इस किताब के अलावा एक लेख (रोमैन्स एंड पोयट्री इन इंदीयन पेंटिंग) भी वर्ष 1957 में लिखा था जिसमें उनके गढ़वाल और कांगरा चित्रकारी पर लिखे दो किताबों का प्रतिबिम्ब दिखता है।
W G आर्चर भारत में वर्ष 1931 से 1947 तक प्रशासनिक सेवा अधिकारी थे जिन्होंने केम्ब्रिज कॉलेज से हिंदी और भारतीय इतिहास का अध्यन किया था। ये कभी पहाड़ों में नहीं अधिकारी के रूप में कार्य नहीं किया पर गढ़वाल चित्रकारी के अलवा कांगरा चित्रकारी का भी गहन अध्यन किया था।
इस किताब में आपको लेखक का पहाड़ों से व्यक्तिगत जुड़ाव की कमी साफ़ साफ़ दिखेगी। लेखक ने सिर्फ़ उन चित्रों को किताब में शामिल किया जो राजा के दरबार से उन्हें मिली थी। इस किताब में गढ़वाल के के लोक चित्रकारी, अर्थात् पहाड़ के आम लोगों की चित्रकला के बारे कोई वर्णन नहीं मिलेगा। इस किताब में गढ़वाल चित्रकारी पर मुग़ल और कांगरा (हिमांचल प्रदेश) चित्रकला के प्रभावों को बहुत अधिक दिखाया गया है।
इसे भी पढ़े: चित्रों के माध्यम से कहानी सुनाने की कला – गढ़वाली पेंटिंग
गढ़वाली चित्रकला के पहाड़ीपन को समझने के लिए और भी कई किताबें हैं जिनके बारे में आपको बहुत जल्दी जानकारी दी जाएगी। इसमें कार्ल खंडलवाला द्वारा लिखित ‘पहाड़ी मिनीयचर पेंटिंग’, मुकुंद लाल द्वारा लिखित ‘गढ़वाली पेंटिंग’, और जे सी फ़्रेंच द्वारा लिखित ‘हिमालयन आर्ट’ शामिल है।