शीर्षक: Garhwal Himalaya: Expedition Suisse 1939
लेखक: Andre Roch
प्रकाशन वर्ष: 1947
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वर्ष 1939 में दूनागिरी पर्वत की पहली चढ़ाई करने वाले शक्स आंद्रे रोच (Andre Roch: 21 Aug 1906 to 19 Nov 2002) द्वारा अपनी यात्रा वृतांत के रूप में लिखित यह किताब फ़्रेंच भाषा में है। दुर्भाग्य से आज तक इस किताब का अंग्रेज़ी या हिंदी में अनुवाद नहीं हो पाया है। 1947 में प्रकाशित यह किताब यात्रा के दौरान खिंचे गए कई चित्रों के साथ एक यात्रा जीवन के साथ साथ स्थानिये गढ़वाली जन-जीवन का भी जीवंत अहसास देता है।
दुर्भाग्य से इस यात्रा में चौखम्भा शिखर चढ़ने के दौरान इनके साथ पर्वतारोहण कर रहे दो स्थानिये पर्वतारोही की भूस्खलन के कारण मृत्यु हो गई। लेखक इस तरह जीवन में कई बार मौत को छूकर निकले। एक पर्वतारोहण के दौरान इनकी बेटी की मृत्यु भी हो गई और एक दफ़ा इनका बेटा 45 मिनट तक बर्फ़ ने नीचे दबा रहा जिसे इन्होंने अपने हाथों से खोदकर निकला। बेटी की मृत्यु के बाद इनकी पत्नी ने इनको तलाक़ दे दिया लेकिन अपने आंद्रे अपनी उम्र के 86वें वर्ष तक पर्वतारोहण करते रहे और अपने जीवन का 96 वर्ष पूरा करने के बाद ही मौत की शैया पर लेटे।

अल्प पर्वत माला की 25 और हिमालय की 27 नई चोटीयों पर चढ़ाई करने वाले Andre Roch पहले शक्स थे।
वर्ष 1939 में ही इन्होंने प्रसिद्ध चौखम्भा चोटीयों की चढ़ाई का भी प्रयास किया। वर्ष 1934 की इनकी काराकोरम की चढ़ाई इनकी पहली हिमालय यात्रा थी। वर्ष 1947 में इन्होंने गंगोत्री ग्लेशर होते हुए केदारनाथ और सतोपंथ चोटी की भी चढ़ाई की। इसी वर्ष इन्होंने नंदा घूँटी पर्वत शिखर का भी पहला सफल चढ़ाई किया।

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ये वही Andre Roch हैं जिन्होंने वर्ष 1952 में एवेरेस्ट चोटी पर चढ़ने के असफल प्रयास के दौरान एक नया रास्ता ढूँढा जिसके कारण अगले वर्ष ब्रिटिश पर्वतारोहियों के द्वारा एवेरेस्ट की सफल चढ़ाई हो पाई। ये रास्ता ‘सूयसायड पैसिज’ के नाम से जाना जाता है।
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इस किताब के अलावा Andre Roch द्वारा अपने जीवन के शुरुआती दौर में किए गए पर्वतारोहण का वृतांत वर्ष 1943 में छपी उनके आत्मकथा ‘Les Conqutes De Ma Jeunesse’ में मिल सकता है। लेखक के द्वारा चौखम्भा पर्वत शिखर की चढ़ाई का वर्णन इसी किताब में है। पर दुर्भाग्य से यह किताब भी फ़्रेंच भाषा में ही उपलब्ध है। लेखक द्वारा वर्ष 1939 में लिखा एक लेख जिसमें उन्होंने हिमालय में उनके द्वारा किए गए कुछ पर्वतारोहण का वृतांत है और सौभाग्य से इसका अंग्रेज़ी अनुवाद उपलब्ध है।

स्वीटज़रलैंड के स्थानिये निवासी थे लेखक Andre Roch
हिमस्खलन पर शोध के साथ साथ उसके हिमस्खलन से लड़ने में अपनी विशेषता का लोहा मनवा चुके इस पर्वतारोही के साथ इतिहास ने अन्याय किया है। अगर आपको फ़्रेंच भाषा नहीं आती है तो इस महान शक्स के बार में जानना किसी के लिए भी मुसकिल है। वर्ष 1929 से लेकर अगले कई दशकों तक 84 वर्ष की उम्र तक पर्वतारोहण के क्षेत्र में कई योगदान देने के बावजूद आज तक इन्हें वो सम्मान नहीं मिला है जिसके ये हक़दार हैं।
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Andre Roch नामक इस शक्स को पहाड़ों से इतनी मोहब्बत थी कि जब ये वृद्ध हो गए तो अपने बिस्तर पर लेटे लेटे भी अपने घर से बाहर दिखने वाले पहाड़ों का चित्र बनाते रहे। अपनी यात्रा के दौरान भी ये फ़ोटोग्राफ़ के अलावा अपने हाथों से यात्रा और यात्रा में इनके साथ चल रहे लोगों का स्केच बनाते रहते थे।
लेखक के पर्वतारोही जीवन पर आधारित वर्ष 1935 में जर्मन भाषा में Demon of the Himalayas नामक एक फ़िल्म भी बनी जिसे हॉलीवुड ने दुबारा वर्ष 1952 में अंग्रेज़ी भाषा में बनाया।
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