उन्निसवी सदी तक तिब्बत के लामा और चीन के राजा मानते थे कि गंगा नदी की उत्पत्ति उनके तिब्बत में हुई है न कि गंगोत्री में। इसे सिद्ध करने के लिए तिब्बत के लामा ने कई खोजी अभियान चलवाई, मानचित्र बनवाए और दावे किए। तिब्बती खोज और हमारे पुराणों दोनो में मानसरोवर (मापामा) झील को ही गंगा की उत्पत्ति स्थान बताया गया था। उनके साथ-साथ यूरोपीय पादरी और खोजकर्ता भी विश्वास करते रहे कि गंगा (भागीरथी) नदी, मानसरोवर (मापामा) झील से जन्म लेकर गंगोत्री तक का सफ़र पश्चिम दिशा में तय करती है और उसके बाद दक्षिण की ओर मुड़ती है। अर्थात् गंगा नदी का उर्गम स्थल गंगोत्री नहीं बल्कि मानसरोवर झील था।

गंगा: दूसरा विवाद
उपरोक्त मान्यता 19वीं सदी के उत्तरार्ध तक धूमिल तो हो चुकी थी लेकिन कोई भी खोजी यात्री प्रत्यक्ष रूप से गंगा के उत्तपत्ति बिंदु तक नहीं पहुँच पाए थे। इस निष्कर्ष ने एक और मतभेद को जन्म दिया: अलखनंदा नदी, गंगा की जननी है या भागीरथी नदी? इसके बावजूद कि अलखनंदा ज़्यादा ऊँचाई से उत्तपन्न होती है, देवप्रयाग में मिलने से पहले अलखनंदा नदी, भागीरथी नदी से कहीं अधिक लम्बा रास्ता तय करती है और पानी का बहाव भी अलखनंदा का भागीरथी नदी की तुलना में कहीं ज़्यादा है, भागीरथी नदी को ही गंगा नदी का जननी माना गया।
भागीरथी की सुंदरता, शांत मिज़ाज, टेहरी राज्य से नज़दीकी, पुराणों में उल्लेख, कुछ प्रभावशाली अंग्रेजों का गंगोत्री क्षेत्र में जमावड़ा, शायद यही सब अंततः उन्निसवी सदी के अंत आते-आते भागीरथी नदी को गंगा का जनक के रूप में स्थापित कर गई। लेकिन किसी अंग्रेज को हिम्मत नहीं हुई की वो गंगोत्री से आगे हिमालय को चीरते हुए दूसरी तरफ़ जा सके और भागीरथी के गर्भ-गृह की खोज कर सके।
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गंगा का उद्ग़म स्थल:
इन खोजी अभियानो के दौरान चीनी, तिब्बती और अंग्रेज खोजकर्ता बद्रीनाथ, केदारनाथ और गरटोक (तिब्बत) से ऊपर जाने की हिम्मत नहीं कर पाते थे। वर्ष 1711 में जब चीन के राजा कँगी ने दो लामा को गंगा की उत्तपत्ति स्थान खोजने भेजा तो वे लासा और ग़रग़ोट में रहने वाले लामा से पूछ कर मानचित्र बना दिए पर गंगोत्री तक आने का हिम्मत नहीं कर पाए। एक ईसाई पादरी ने तो मानसरोवर झील को सरयू नदी का उत्पत्ति केंद्र बता दिया।
जब गंगोत्री, अर्थात् गंगा नदी का उद्ग़म स्थल का खोज हो गया तो फिर से एक बार गढ़वाल और तिब्बत के बिच गंगोत्री क्षेत्र पर अधिकार को लेकर दावे होने लगे। इतिहास में इस सीमा विवाद को टेहरी-तिब्बत सीमा विवाद भी बोला जाता है जिसे बाद में अंग्रेजों की मध्यस्थता से 1920 के दशक के दौरान आंशिक रूप से दुर किया गया पर इसी विवाद में भारत-चीन सीमा विवाद भी अपनी उर्गम देखती है।
ऐसा नहीं है कि मानसरोवर झील का हिंदुस्तान की नदियों और गंगा से कोई रिश्ता नहीं है। मानसरोवर से निकलकर हिंदुस्तान में बहने वाली नदियों में सतलुज, सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदी प्रमुख है। करनाली नदी भी मानसरोवर से ही उत्पन्न होकर चलती है और ब्रह्मघाट नामक स्थान पर शारदा नदी में मिलकर घघर नदी बन जती है जो बिहार के रेवेलगंज में गंगा के साथ मिल जाती है। घघर नदी, यमुना के बाद गंगा की दूसरी सर्वाधिक बड़ी (लम्बी) सहायक नदी है।
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