उत्तराखंड और हिमालय :
वर्ष 1901 और 1951 के बिच उत्तराखंड (तब NWFP) की जनसंख्या में 157.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी जबकि इसी कालखंड के दौरन पूरे हिमालय क्षेत्र (नेपाल सहित, कश्मीर से अरुणाचल तक) की जनसंख्या में मात्र 63.78 प्रतिशत की ही वृद्धि हो पाई थी। दूसरी तरफ़ पूरे हिंदुस्तान की जनसंख्या इसी कालखंड के दौरन मात्र 51.43 प्रतिशत बढ़ी थी। वहीं दूसरी तरफ़ वर्ष 1951 से 1981 के दौरन जहाँ उत्तराखंड की जनसंख्या में मात्र 55.01 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई वहीं पूरे हिमालय क्षेत्र की जनसंख्या में 81.05% की वृद्धि दर्ज की गई।

उत्तराखंड और हिमांचल :
उत्तराखंड के ठीक विपरीत वर्ष 1901 और 1951 के दौरन हिमांचल (तब पंजाब का हिस्सा) की आबादी में 24.25 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी जो कि वर्ष 1951 से 1981 के दौरन यह तीन गुना से अधिक बढ़कर 77.60 प्रतिशत हो गई। अर्थात् पहले पचास वर्षों (1901 और 1951) में हिमांचल की आबादी 24.25 प्रतिशत बढ़ी और उसके अगले तीस वर्षों (1951 से 1981) में 77.60 प्रतिशत।
यानी की जिस दौर (1901 और 1951) में उत्तराखंड की आबादी 157.35 प्रतिशत बढ़ी उसी दौर में हिमांचल प्रदेश ये वृद्धि मात्र 24.25 प्रतिशत की रही। और जिस दौर (1951 से 1981) में उत्तराखंड की आबादी 55.01 प्रतिशत बढ़ी उसी दौर में हिमांचल प्रदेश ये वृद्धि मात्र 77.60 प्रतिशत की रही।
उत्तराखंड और सिक्किम :
आँकड़ों की गुत्थी का तीसरा पक्ष सिक्किम की आबादी में वर्ष 1901 और 1951 के दौरान 352.18 प्रतिशत और वर्ष 1951 से 1981 के दौरन 129.21 प्रतिशत की अप्रत्याशित वृद्धि है। आख़िर ऐसा क्या हुआ था सिक्किम में कि प्रदेश की आबादी पूरे हिमालय ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनसंख्या के अनुपात में 5-7 गुना अधिक बढ़ा? सिक्किम के सवाल को हम कभी और समझने का प्रयास करेंगे। फ़िलहाल उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश और हिंदुस्तान के बिच आँकड़ों की इस गुत्थी को समझने का प्रयास करते हैं।
इसे भी पढे: क्या सम्बंध है, पहाड़, पलायन और जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के बिच?

जनसंख्या की ये गुत्थी क्यूँ?
आख़िर ऐसा क्या हुआ था वर्ष 1901 और 1951 के दौरन जिसके कारण उत्तराखंड की जनसंख्या वृद्धि दर पूरे हिमालयी क्षेत्र की जनसंख्या वृद्धि दर का ढाई गुना से भी अधिक थी जबकि वर्ष 1951 और 1981 के दौरन यह स्थिति पलट गई और उत्तराखंड की जनसंख्या वृद्धि दर पूरे हिमालय की जनसंख्या वृद्धि दर लगभग आधी रह गई। कोई प्राकृतिक विपिदा? कोई महामारी या फिर पलायन ज़िम्मेदार था आँकड़ों में हुए इस अप्रत्याशित उलटफेर के लिए?
उत्तराखंड में वर्ष 1951 और 1981 के दौरन न तो कोई प्राकृतिक आपदा आइ और न ही कोई महमारी। विपरीत इसके वर्ष 1901 और 1951 के दौरन उत्तराखंड समेत पुरा देश इनफ़्लुएंज़ा महामारी के साथ साथ 1940 के दशक के दौरन भयानक अकाल के दौर से गुजरा। बचा तीसरा विकल्प ‘पलायन’। आज़ादी के बाद उत्तराखंड के पहाड़ों से मैदानों ख़ासकर उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक राजधानी लखनऊ और शैक्षणिक राजधानी इलाहाबाद के साथ देश की राजधानी दिल्ली की तरफ़ तेज़ी से हुए हुए पलायन ही शायद हिमांचल प्रदेश की तुलना में उत्तराखंड की आबादी बढ़ने के लिए ज़िम्मेदार थी।
इसे भी पढ़ें: पलायन, पहाड़ और ‘मोती बाग’ से ‘यकुलांस’ तक: फ़िल्मों की ज़ुबानी
उत्तराखंड की तरह शायद हिमांचल प्रदेश में भी पलायन का दौर आया था जब आज़ादी से पूर्व हिमांचल प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि दर पूरे हिमालय और देश की जनसंख्या वृद्धि दर से आधा से भी कम था। पर बिना आँकड़ो के ऐसे निष्कर्ष पर पहुँचना बचकाना होगा। इस विषय पर और अधिक गहन अध्ययन हमें उत्तराखंड से होने वाले पलायन की गुत्थी को भी समझने में मदद कर सकती है। जबकि सिक्किम में हुए अप्रत्याशित जनसंख्या वृद्धि को भी समझना अति-आवश्यक है।
Hunt The Haunted के WhatsApp Group से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें (लिंक)
Hunt The Haunted के Facebook पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें (लिंक)
[…] इसे भी पढ़े: कब और कैसे हुआ था पहाड़ों में जनसंख्या… […]