राहुल गांधी को गुजरात की स्थानीय न्यायालय द्वारा दो वर्ष की जेल की सजा सुनाने के 24 घंटे के भीतर उनकी सांसद सदस्यता समाप्त कर दी गई। गुजरात में ही कांग्रेस के एक अन्य नेता को भी बम ब्लास्ट केस में 20 वर्षों की जेल की सजा सुनाई गई थी लेकिन पाँच वर्ष जेल में रहने के बाद उन्हें देश की सर्वोच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था।
मोहम्मद सुरती गुजरात के सूरत क्षेत्र से कांग्रेस नेता हुआ करते थे। वर्ष 1993 में सूरत में दो बम ब्लास्ट हुआ। इस ब्लास्ट केस में मोहम्मद सुरती और उनके बेटे फारूक सुरती को अभियुक्त बनाया गया। वर्ष 2002 में मोहम्मद सुरती को गिरफ़्तार कर लिया गया लेकिन ज़्यादातर समय वो बेल पर रहे। अंततः 4 अक्तूबर 2008 को TADA कोर्ट ने मोहम्मद सुरती को बीस वर्षों की जेल की सजा सुनाई और उसके बाद वो लगातार जेल में रहे लेकिन जुलाई 2014 में भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने मोहम्मद सुरती समेत 11 अन्य सजयफट अभियुक्तों को निर्दोष करार दिया।
सूरत बम ब्लास्ट: निर्दोष को जेल
12 जनवरी 1993 में गुजरात के सूरत शहर के मिनी बाज़ार का साधना स्कूल के पास एक बम ब्लास्ट हुआ जिसमें एक छात्रा की मृत्यु हुई और लगभग 11 लोग घायल हुए। अगले दिन सूरत रेल्वे स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म संख्या एक पर एक अन्य ब्लास्ट हुआ जिसमें 38 यात्री घायल हुए। आरोप लगाया गया कि यह ब्लास्ट गुजरात इक्स्प्रेस में जा रहे साधु संतो के क़ाफ़िले को रोकने के लिए किया गया था।
इस केस में 5 मार्च 1995 को गुजरात पुलिस ने मुस्ताक पटेल को अरेस्ट किया इसके बाद स्कूल ब्लास्ट केस में 13 और रेल्वे स्टेशन ब्लास्ट केस में 11 अन्य लोगों को गिरफ़्तार किया गया। मोहम्मद सुरती को 19 अप्रिल को गिरफ़्तार किया गया जबकि उनके बेटे फ़रार रहे। वर्ष 2002 में स्थानीय न्यायालय ने अपना अंतिम फ़ैसला दिया। मोहम्मद सुरती को स्कूल ब्लास्ट केस में 20 वर्ष के साथ दो लाख जुर्माना और रेल्वे स्टेशन ब्लास्ट केस में 10 वर्ष जेल के साथ एक लाख जुर्माना की सजा सुनाई गई।
मोहम्मद सुरती का जीवन:
मोहम्मद सुरती अपने जीवन के प्रारम्भिक वर्षों में सब्ज़ी का ठेला लगाते थे और धीरे धीरे गुजरात सरकार के मंत्री तक बन गए थे। वर्ष 1995 में सुरती पहली बार सूरत में स्थानीय निकाय के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर चुना लड़े लेकिन हार गए। 1980 के दशक के दौरान पश्चिम सूरत से विधायक निर्वाचित हुए और गुजरात सरकार में मत्स्य और बंदरगाह मंत्री बने।
वर्ष 1990 में जब चिमनभाई पटेल ने कांग्रेस को छोड़कर जनता दल (गुजरात) की स्थापना की तब सुरती ने भी कांग्रेस छोड़कर चिमनभाई के साथ हो गए थे। गुजरात में वर्ष 1990 से 1995 तक जनता दल (गुजरात) की सरकार रही और उसमें मोहम्मद सुरती को मत्स्य बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। वर्ष 1994 में चिमनभाई पटेल की मृत्यु और उसके बाद जनता दल (गुजरात) का पतन हो गया।
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जनता दल (गुजरात) के पतन के दौरान इस पार्टी के ज़्यादातर सदस्य भाजपा में शामिल हो गए जबकि चिमनभाई की मृत्यु के बाद मुख्यमंत्री बने छबीलदस मेहता कांग्रेस में शामिल हो गए। मोहम्मद सुरती भी कांग्रेस में शामिल हो गए। वर्ष 1995 में गुजरात में भाजपा की सरकार बनी और कांग्रेस के नेताओं के ख़िलाफ़ कई केस दर्ज किए गए। इन्हीं में से एक केस था मोहम्मद सुरती पर बम ब्लास्ट का केस। जब ब्लास्ट केस में मोहम्मद सुरती की गिरफ़्तारी हुई तो प्रबोध रावल को छोड़कर कांग्रेस के एक भी नेता उनके समर्थन में नहीं आए।

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