हेनरी रेम्जे कैथ्लिक ईसाई धर्म के मेथोडिस्ट पंथ में आस्था रखते थे। रेम्जे की धार्मिकता का अंदाज़ा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि जब हिंदुस्तान के गवर्नर जेनरल लॉर्ड मायो जब यात्रा पर कुमाऊँ आए तो उन्हें रेम्जे से एकमात्र शिकायत यह थी कि रेम्जे उनके साथ सुबह का नाश्ता नहीं करते थे क्यूँकि रेम्जे महाशय रोज़ सुबह प्रार्थना के लिए गिरजाघर किसी भी क़ीमत पर नहीं छोड़ते थे।

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कुमाऊँ प्रशासक के रूप में अपने शुरुआती वर्षों में रेम्जे महाशय ने क्षेत्र में ईसाईयत को बढ़ाने के लिए हेनरी और जॉन लॉरेन्स का अनुकरण किया। हेनरी रेम्जे ने अलमोडा में लंदन मिशनेरी सोसाइटी के बडन महाशय को हर सम्भव मदद किया। रेम्जे महाशय ने उत्तर भारत में ईसाई धर्म का प्रचार करने आए अमेरिका स्थित Episcopal Methodist Church के पादरी डॉक्टर डफ़ को पौड़ी (गढ़वाल) शहर में अपना मुख्यालय और चर्च बनाने के लिए 300 पाउंड और उसके वार्षिक क्रियान्वयन के लिए 70 पाउंड का दान दिया। इसके अलावा रेम्जे महाशय मदद से वर्ष 1858 में नैनीताल में हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च भी बनवाया।

“हेनरी रेम्जे: ईसाई पादरियों के नेता”
कुमाऊँ में अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूर्व वर्ष 1882 में हेनरी रेम्जे को कोलकाता में हुए पूरे हिंदुस्तान के ईसाई पादरियों के Decennial Conference (सम्मेलन) का चेयरमेन बनाया गया। सम्मेलन के अपने भाषण में रेम्जे महाशय हिंदुस्तान के ईसाई पादरियों द्वारा दिए गए इस सम्मान को अपने जीवन का सर्वोत्तम सम्मान के रूप में याद करते रहे। सम्मेलन के अभिभाषण में हेनरी रेम्जे महाशय कहते हैं:
“इस सम्मेलन का असली मुखिया स्वयं इशा मसीह खुद हैं, और इस सम्मेलन में उनकी उपस्थिति ही हैं जिनके कारण हमें सफलता मिली।”

अपने अभिभाषण में हिंदुस्तान में पिछले कुछ दशकों से ईसाईयत और पश्चिमी शिक्षा के ज़रिए हो रहे प्रचार पर प्रकाश डालते हुए हेनरी रेम्जे महाशय कहते हैं,
“There is now more life in the Christian Church than there ever was before. Forget all differences of Opinion; look to Him (Jesus Christ) who is the light of the world. God has sent us to India for the all-important work of saving souls—that is the essence of mission work. By God’s Spirit alone that work can be done well.”
हेनरी रेम्जे के कार्यकाल के दौरान कुमाऊँ में American Methodist Episcopal Society काफ़ी सक्रिय रही। इस दौरान 1871 में द्वाराहाट और 1873 लोहाघाट में एक स्वास्थ्य योजना व मिशनेरी स्वास्थ्य केंद्र शुरू किया गया। अलमोडा के अलावा पिथौरागढ़ मेथोडिस्ट संस्था का दूसरा सक्रिय मिशनेरी केंद्र था जहां उन्होंने एक मिशन स्कूल की स्थापना वर्ष 1871 में किया। वर्ष 1877 में पिथौरागढ़ में एक बाल और एक बालिका विध्यालय के साथ एक विधवा केंद्र की भी स्थापना किया गया।
कुमाऊँ का कमिशनर रहते हुए हेनरी रेम्जे द्वारा किए गए प्रमुख कार्यों में से एक था वर्ष 1971 में ईसाई धर्म-प्रचारकों की सहायता से अलमोडा में मिशनेरी हाई स्कूल का निर्माण जिसे आज हेनरी रेम्जे इंटर कॉलेज के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा रेम्जे महाशय ने चर्म रोगियों के लिए हॉस्पिटल बनवाया और तराई-भाबर क्षेत्र को हरा-भरा किया और अनेक सड़कों का निर्माण करवाया।
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“कौन थे हेनरी रेम्जे?”
‘कुमाऊँ के नवाब’ ‘कुमाऊँ के राजा’ व ‘कुमाऊँ के दत्तक’ के नाम से इतिहास में अपना नाम दर्ज करा चुके हेनरी रेम्जे वो ब्रिटिश अधिकारी थे जिन्होंने अपने 77 वर्ष के जीवन में से 55 वर्ष कुमाऊँ में गुज़ारा। वर्ष से तक वो कुमाऊँ के कमिशनर समेत विभिन्न पदाधिकारी पदों पर 47 वर्षों के लिए ब्रिटिश अधिकारी के रूप में कार्य किया। हेनरी रेम्जे हिंदुस्तान में ब्रिटिश शासन के दौरान सर्वाधिक सफल प्रशासनिक अधिकारियों में से एक थे। स्थानिय पहाड़ी लोगों के साथ स्नेह और प्रेम से रहते और कुमाऊँनी भाषा में संवाद भी करते थे। इनके द्वारा बसाया गया चमोली का रमनी गाँव आज भी अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है।

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