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चौखम्भा कोल के रास्ते बद्रीनाथ से गंगोत्री यात्रा की खोज, जो आज तक अधूरी रही !

जिस तरह पन्पटिया कोल बद्रीनाथ को केदारनाथ से जोड़ने का सर्वाधिक छोटा ट्रेक रास्ता है उसी तरह चौखम्भा कोल बद्रीनाथ को गंगोत्री से जोड़ने वाला सर्वाधिक छोटा और प्राचीनतम ट्रेक रास्ता है। इस चौखम्भा कोल के सहारे बद्रीनाथ से गंगोत्री तक जाने का प्रयास सर्वप्रथम C F Meade ने वर्ष 1912 में किया था पर कोल के पास पहुँचकर Meade हार मान लिए और यात्रा को कभी पूरा नहीं कर पाए। वर्ष 1934 में Shipton व Tilman ने और 1997 में हरीश कपड़िया ने भी इस कोल के सहारे सफ़र करने का असफल प्रयास किया। यह प्रयास आज भी जारी है।

चौखम्भा कोल:

चौखम्भा उत्तराखंड के विभिन्न भागों से दिखने वाले पर्वत शिखरों में से एक प्रमुख शिखर है। हालाँकि चार चोटियों के समूह के कारण इसका नाम चौखम्भा पड़ा है लेकिन वास्तविक में इस पर्वत शिखर समूह में छह शिखर हैं। इस शिखर की पाँचवीं और छठी चोटी चौथी चोटी से क्रमशः मात्र 184 और 91 मीटर छोटी है। चौखम्भा कोल, चौखम्भा की पहली चोटी से प्रारम्भ होकर जनहुकुट (जानूहुत) शिखर और कालिन्दी खाल तक फैला हुआ है। चौखम्भा ग्लेसियर भगीरथ, अलखनंदा और मंदाकिनी नदी का मुख्य स्त्रोत है।

चौखम्भा कोल चौखम्भा के सर्वाधिक ऊँचे शिखर (चौखम्भा-1) के उत्तर-पूर्व से प्रारम्भ होता है और गंगोत्री के उत्तरी हिस्से तक जाता है। चौखम्भा-1 की ऊँचाई 7,138 मीटर (23,419 फ़ीट) है और इसे कनलिंग के नाम से भी जाना जाता है। 1912 में C F Meade इसी चौखम्भा-1 की तलहटी से वापस लौट गए थे जबकि 1934 में Shipton व Tilman चौखम्भा-1 से आगे भगीरथ खरक से वापस लौट गए थे। Frank Smythe ने भी अपनी किताब “Kamet conquered” में इसका वर्णन किया है लेकिन कभी चढ़ाई का प्रयास नहीं किया।

चौखम्भा-1 से होने वाली हिमस्खलन इतना अधिक अप्रत्याशित और भयावह होता था कि सभी पर्वतारोही यहाँ से आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं कर पाते थे। चौखम्भा-1 तक की चढ़ाई तो वर्ष 1952 में Lucien George and Victor Russenberger के द्वारा पूरी कर ली गई थी लेकिन अगले पचास वर्षों तक कोई चौखम्भा-1 की चोटी से आगे नहीं बढ़ पाया था। वर्ष 1997 में हरीश कपड़िया ने तो चौखम्भा कोल होते हुए गंगोत्री तक के इस यात्रा का पूरा होना असम्भव करार दे दिया था। केदारनाथ से गंगोत्री तक जाने का यह एकमात्र ट्रेक नहीं है लेकिन बद्रीनाथ से केदारनाथ होते हुए गंगोत्री तक जाने का यह एकमात्र ट्रेक है।

बद्रीनाथ से चौखम्भा होते हुए गंगोत्री तक का ट्रेक का पहला सफल प्रयास वर्ष 2013 में हो पाया। बिप्लोब वैद्य, बीमन बिस्वास, पार्था सारथी मौलिक, देबब्रत मुखर्जी और रितोब्रत साहा पहले ट्रेकेर थे जिन्होंने इस सफ़र को सफलता के साथ पूरा किया। माणा गाँव से शुरू होकर भगत (भागीरथी) खरक, और चौखम्भा कोल होते हुए पंद्रह दिनों में यह सफ़र पूरा किया। इसके पहले वर्ष 2009 में ये लोग बद्रीनाथ से पन्पटिया कोल होते हुए केदारनाथ तक का ट्रेक कर चुके थे।

अन्य रास्ते:

Auden’s Col और Mayali Pass होते हुए भी केदारनाथ से गंगोत्री तक का ट्रेक किया जा सकता है जो तुलनात्मक रूप से आसान है लेकिन उतना रोमांचक और खूबसूरत नहीं जितना चौखम्भा के रास्ते सफ़र है। चौखम्भा कोल ट्रेक के विपरीत Auden कोल ट्रेक वर्ष 1935 में ही खोजा जा चुका था और 1938 में ही John Bicknell Auden द्वारा फ़तह किया जा चुका था।

इसी तरह केदारनाथ से बद्रीनाथ ट्रेक करने का एक अन्य रास्ता था जिसे पन्पटिया ट्रेक भी बोला जाता है। यह ट्रेक काफ़ी ऐतिहासिक है। माना जाता है कि इस रास्ते का इस्तेमाल केदारनाथ और बद्रीनाथ के पुजारी केदारनाथ से बद्रीनाथ का सफ़र एक दिन में पूरा करने के लिए करते थे।

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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