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‘मोदी-विरोध’ की राजनीति के भेंट चढ़ा रजौली (नवादा) का परमाणु बिजली संयंत्र योजना !

जून 2017 में बिहार सरकार के मंत्री जय कुमार सिंह ने बयान दिया कि ‘अगर बिहार सरकार नरेंद्र मोदी के विकास योजना को आगे बढ़ाती है तो कोई कारण नहीं बचता है कि रजौली में परमाणु संयंत्र नहीं लगेगा।” एक महीने के भीतर जुलाई 2017 में बिहार में सत्ता परिवर्तन हुई और नीतीश कुमार RJD-INC की महगठबँधन को छोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार बना लेते हैं। लेकिन इसके बावजूद आज तक रजौली परमाणु संयंत्र का कार्य वहीं रुका हुआ है जहां वाह वर्ष 2013 में थी।

वर्ष 2013 में बिहार सरकार ने भारत सरकार को रजौली परमाणु बिजली संयंत्र के लिए ज़रूरी पानी आपूर्ति का वादा इस उम्मीद में किया था कि बहुत जल्दी रजौली में परमाणु संयंत्र का कार्य शुरू हो जाएगा। बिहार में बिजली उत्पादन की इन्हीं उम्मीदों के आधार पर नीतीश कुमार ने 2014 के लोकसभा और 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान अगले विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की जनता को बिजली में आत्मनिर्भर बनाने का वादा करते हुए चुनाव प्रचार किया था। 

रजौली परमाणु बिजली योजना: 

वर्ष 2006 में भारत सरकार ने 22,400 करोड़ की लागत से बिहार के नवादा ज़िले के रजौली में 1340 मेगावाट क्षमता वाली परमाणु बिजली सायंत्र लगाने की योजना बनाई। इस योजना में कुल चार यूनिट का निर्माण होना है जिससे लगभग 2800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा लेकिन योजना के पहले फ़ेज़ में सिर्फ़ दो यूनिट का निर्माण होना तय हुआ जिससे लगभग 1400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता। 

अगले वर्ष 2007 में भारत सरकार की केंद्रीय टीम (Nuclear Power Corporation of India Limited) ने रजौली का दौरा किया और योजना के लिए पर्याप्त भूमि का निरीक्षण किया। वर्ष 2013 केंद्रीय टीम (Atomic Energy Commission of India) ने रजौली का एक बार फिर से दौरा कर संयंत्र के लिए ज़रूरी जल की उपलब्धता की जाँच की और पाया कि क्षेत्र में परमाणु संयंत्र चलाने के लिए ज़रूरी पानी की कमी थी। पानी की कमी के कारण केंद्र सरकार की Site Selection Committee ने रजौली को परमाणु बिजली संयंत्र के लिए अयोग्य बता दिया। दूसरी तरफ़ BSEB ने भी परमाणु बिजली संयंत्र के लिए इतना अधिक पानी देने से मना कर दिया था। 

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बिहार सरकार (Bihar State Power Holding Company Ltd) ने इस मुद्दे पर त्वरित कार्यवाही करते हुए रजौली के पास ही स्थित फूलवारिया डैम से परमाणु बिजली संयंत्र चलाने के लिए ज़रूरी 160 cusecs पानी उपलब्ध करने का वाद किया। इसके अलावा बिहार सरकार ने पानी की कमी पड़ने पर स्थानीय धनार्जे नदी और यहाँ तक कि गंगा नदी से भी पानी की उपलब्धता का वादा किया। बिहार सरकार का जल संसाधन विभाग ने केंद्र सरकार को रजौली परमाणु संयंत्र के लिए प्रति घंटे 12,785 क्यूबिक मीटर पानी आपूर्ति करवाने का वाद किया। इस संयंत्र के लिय ज़रूरी 1275 हेक्टेयर ज़मीन बिहार सरकार ने पहले ही अधिसूचित कर चुकी थी।

इस सम्बंध में बिहार सरकार का जल संसाधन विभाग ने परमाणु संयंत्र के लिए ज़रूरी जल की उपलब्धता की सूचना केंद्रीय जल आयोग को भेज दी जिसे पानी के इस्तेमाल की अनुमति देने का अधिकार है। लेकिन केंद्रीय जल आयोग ने यह अनुमति आज तक नहीं दिया है। इस दौरान BSPHCL ने पानी आपूर्ति के लिए डैम से संयंत्र केंद्र तक पाइपलाइन भी बिछाना प्रारम्भ कर दिया। दूसरी तरफ़ बिहार सरकार ने भागीरथी प्रयास के तहत पटना से नवादा तक गंगा का पानी पहुँचाने के लिए कार्य भी प्रारम्भ कर दिया।

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राजनीति के भेंट चढ़ा विकास

इसी दौरान बिहार और देश की राजनीति में बड़े बदलाव हुए। वर्ष 2013 में पहले बिहार में JD(U) और भाजपा का NDA गठबंधन टूटा और उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का केंद्र में शासन प्रारम्भ हुआ। बिहार सरकार और केंद्र सरकार के आपसी सम्बंध समय के साथ ख़राब होते चले गए। अगले ही वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार ने केंद्र और राज्य सरकार के बीच सम्बंध और अधिक खट्टे कर दिए। बिहार और देश की राजनीति में हुए इन बदलावों ने रजौली के परमाणु बिजली संयंत्र योजना को संकट में डाल दिया। 

वर्ष 2014 से लेकर आज तक देश की संसद के दोनो सदनों में देश में परमाणु बिजली संयंत्र से सम्बंधित दर्जनों सवाल किए गए लेकिन किसी भी जवाब में रजौली परमाणु बिजली संयंत्र का नाम नहीं आया। 29 जुलाई 2015 में भाजपा की बिहार से सांसद राम देवी और जयप्रकाश नारायण ने प्रधानमंत्री से रजौली परमाणु बिजली संयंत्र के बारे में सवाल किया जिसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय ने सदन को सूचित किया कि पर्याप्त जल की उपलब्धता नहीं होने के कारण केंद्रीय Site Selection Committee ने योजना को निरस्त कर दिया है।

इस जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय ने Site Selection Committee के फ़ैसले के बाद जल की उपलब्धता का वादा किए जाने को संज्ञान में नहीं लिया और देश की संसद को गुमराह किया। इसके अलावा भाजपा के राज्य सभा सांसद सुशील मोदी ने राज्य सभा के मानसून सत्र के दौरान प्रधानमंत्री से 12 अगस्त 2021 को फिर से रजौली परमाणु बिजली संयंत्र योजना के बारे में सवाल किया लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ़ से इसका कोई जवाब नहीं आया। सुशील मोदी द्वारा द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब प्रधानमंत्री द्वारा 12 अगस्त 2021 का दिन निर्धारित किया गया लेकिन 11 अगस्त 2021 को संसद का सत्र ख़त्म कर दिया गया और संसद की कार्यपुस्तिका से यह सवाल हटा दिया गया।

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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