HomeHimalayasपहाड़ में 1951 का विधानसभा चुनाव: कांग्रेस के ख़िलाफ़ जनमत

पहाड़ में 1951 का विधानसभा चुनाव: कांग्रेस के ख़िलाफ़ जनमत

वर्ष 1951 में पहाड़ों में पहली बार चुनाव हुआ। उस समय पहाड़ उत्तर प्रदेश राज्य का हिस्सा था। उत्तर प्रदेश की 431 विधानसभा क्षेत्रों में से पहाड़ के पास मात्र 16 विधानसभा क्षेत्र थे। चुनाव के परिणाम कुछ इस तरह रहे कि 431 में से 388 सीटों पर कांग्रेस ने एकतरफ़ा जीत दर्ज किया, समाजवादी पार्टी को बीस और निर्दलीय के खाते में 15 सीट गई। कांग्रेस की जीत का प्रतिशत 90% था।

पर पहाड़ों में कांग्रेस को एकतरफ़ा जीत नहीं मिली। पहाड़ों की 16 सीटों में से कांग्रेस को मात्र 10 सीटों पर जीत मिली जबकि तीन सीटें समाजवादी पार्टी और तीन सीटें निर्दलीय के झोली में गई। पहाड़ में कांग्रेस का जीत का प्रतिशत मात्र 62.5% था जो राज्य में कांग्रेस के 90% जीत के अनुपात से कहीं कम था। 

विधानसभा क्षेत्र क्षेत्र ग्रामीण/शहरी विधायक का नाम विजयी पार्टी 
अल्मोडा उत्तर कुमाऊँ ग्रामीण भूपाल सिंह कांग्रेस 
अल्मोडा दक्षिण कुमाऊँ शहरी गोवर्धन कांग्रेस 
नैनीताल उत्तरी कुमाऊँ ग्रामीण नारायण दत्त समाजवादी पार्टी 
नैनीताल दक्षिण कुमाऊँ शहरी लक्ष्मण दत्त कांग्रेस 
पिथौरागढ़ कुमाऊँ ग्रामीण ख़ुशी राम कांग्रेस 
रानीखेत उत्तरी कुमाऊँ ग्रामीण मदन मोहन, समाजवादी पार्टी 
रानीखेत दक्षिण कुमाऊँ ग्रामीण हर गोविंद कांग्रेस 
चकराता गढ़वाल ग्रामीण शांति प्रापण शर्मा कांग्रेस 
चमोली पश्चिम गढ़वाल ग्रामीण गंगाधर मैठानी समाजवादी पार्टी 
टेहरी दक्षिण गढ़वाल ग्रामीण महाराजा कुमार बालेंदु शाह निर्दलीय 
दक्षिण दून गढ़वाल शहरी नर देव शास्त्री कांग्रेस 
देवप्रयाग गढ़वाल ग्रामीण सत्य सिंह निर्दलीय 
पौड़ी दक्षिण गढ़वाल शहरी बलदेव सिंह आर्य कांग्रेस 
रवाइन (टेहरी उत्तरी)गढ़वाल ग्रामीण जयंदर सिंह बिस्ट निर्दलीय 
लैंसडाउन पश्चिम गढ़वाल शहरी जगमोहन सिंह कांग्रेस 
लैंसडाउन पूर्व गढ़वाल ग्रामीण राम प्रसाद कांग्रेस 
1951 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पहाड़ के 16 सीटों का परिणाम।

वर्ष 1951 में सम्पन्न इस चुनाव में गढ़वाल क्षेत्र में कांग्रेस की जीत का अनुपात कुमाऊँ से कम था। गढ़वाल के 9 में से मात्र पाँच सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल किया और चार में हार गए। निर्दलीय जीते तीनो उम्मीदवार गढ़वाल क्षेत्र के ही थे जबकि चमोली से समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी। 

चमोली सीट से 1951 में समाजवादी पार्टी के गंगाधर मैठानी की जीत हुई थी। ये वही गंगाधार मैठानी थे जिनके द्वारा लम्बे भूख हड़ताल के बाद सरकार ने गौरीकुंड और बद्रीनाथ के बीच सड़क का निर्माण कर केदारनाथ और बद्रीनाथ को सड़क से जोड़ा था। चार धाम यात्रा के दौरान आज भी इस सड़क पर हड़ताल बस सेवा चलती है। 

9a3ce97e fb85 4325 b9bd b45921807a54
चित्र: गुप्तकशी स्थित गंगाधर मैठानी महाविद्यालय के भवन का उद्घाटन करते उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत।

इसे भी पढ़ें: किसने माँगी थी किसानों के लिए 50% आरक्षण?

1951 के चुनाव परिणाम को अगर ग्रामीण और शहरी बहुल क्षेत्रों की तुलना किया जाय तो सोलह में से पाँच सीट पर अच्छी ख़ासी शहरी आबादी थी जिसमें पौड़ी, दक्षिणी दून, दक्षिणी नैनीताल, दक्षिणी अल्मोडा और लैंसडाउन शामिल थे। इन पाँचों सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई जबकि चमोली, रवाइन, देवप्रयाग, दक्षिणी टेहरी, जैसी सर्वाधिक ग्रामीण बहुल और सर्वाधिक पिछड़े सभी सीटों पर कांग्रेस की हार हुई। 

कांग्रेस और दिल्ली की सत्ता को स्वीकार करने के ख़िलाफ़ इस कदर विद्रह था पहाड़ों में कि 1951 के इस चुनाव में 16 में से 7 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार उपविजेता रहे। अर्थात् पहाड़ के 16 में से 10 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार या तो चुनाव जीते या फिर उपविजेता रहे। दिल्ली दरबारके फ़रमानो के ख़िलाफ़ मुग़लों का नाक काटने वाले इस पहाड़ ने कब चुपके से दिल्ली की ग़ुलामी को ही अपनी तक़दीर बना लिया पाता ही नहीं चला। आज रोज़गार हो या राजनीति, शिक्षा हो या संस्कार पहाड़ दिल्ली की ग़ुलाम बन चुकी है। 

Hunt The Haunted के WhatsApp Group से  जुड़ने  के  लिए  यहाँ  क्लिक  करें (लिंक)

Hunt The Haunted के Facebook पेज  से  जुड़ने  के  लिए  यहाँ  क्लिक  करें (लिंक)

Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
RELATED ARTICLES

Most Popular

Current Affairs