जाति व्यवस्था और अम्बेडकर

यह कार्टून तेलगु पत्रिका ‘कृष्ण पत्रिका’ में 4 मार्च 1933 को पुनः प्रकाशित होती है। इस कार्टून में गांधी वर्ण व्यवस्था को साफ़-सुथरा रखने का प्रयास कर रहे हैं जबकि अम्बेडकर उसे हथौड़े से तोड़ने का प्रयास प्रयास कर रहे हैं। ये वही दौर था जिसमें दलितों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली व आरक्षण की माँग की जा रही थी।

अम्बेडकर के दौर के कई कार्टूनों में ब्रिटिश वायसराय को ब्राह्मण के रूप में दर्शाया गया है। ऐसा इसलिए किया जाता था क्यूँकि ज़्यादातर आंदोलनकारी उच्च जाति से सम्बंध रखते थे और ब्रिटिश वायसराय को अपना निर्णय इनके दवाब में लेना पड़ता था। लेकिन वर्ष 1942 में ब्रिटिश वायसराय Linlithgow अम्बेडकर को Executive Council का सदस्या बनाने में सफल होते हैं और इस कार्टून में यही दर्शाया गया है। Executive Council को मंदिर के रूप में दर्शाया गया है।

इस कार्टून में हिंदू समाज को बीमार दिखाया गया है जिसका इलाज करने अम्बेडकर चिकित्सक के रूप में दर्शाए गए हैं। लेकिन बीमार भारतीय समाज उल्टा अम्बेडकर पर हमला करता हुआ दर्शाया गया है क्यूँकि जिस प्रकार के सुधार अम्बेडकर संविधानिक रूप से करना चाह रहे थे उसका अधिकतर रूढ़िवादी हिंदू समाज विरोध कर रहा था।
संविधान और अम्बेडकर

मरकंड्य काटजू के पिता K N Katju ने संसद में ‘Untouchability Offences Bill’ पेश किया जिसका अम्बेडकर ने विरोध किया और बिल का नाम ‘Civil Rights (Untouchables) Protection Act’ रखने पर ज़ोर दिया। इस दौरन दोनो के बिच तीखी बहस हुई।

जब कैबिनेट मिशन से डेप्रेसड़ क्लास की माँगों को हटा दिया गया तब 15 जुलाई 1946 को अम्बेडकर इस सम्बंध में सरदार पटेल से मिलने गए लेकिन सरदार पटेल ने अम्बेडकर की माँगों को ठुकरा दिया। दूसरी तरफ़ Scheduled Caste Federation ने इसके ख़िलाफ़ आंदोलन छेड़ दिया। (कार्टून)


भारतीय संविधान के जन्म की पूर्व-संध्या पर छपे इस कार्टून में नए गणतंत्र के जन्म को दर्शाया गया है।

हिंदू कोड बिल और अम्बेडकर


अम्बेडकर का यह कार्टून हिट्लर के उस कार्टून से मिलता-जुलता है जिसमें हिट्लर अपने ‘favourite girl’ के साथ दिखते हैं। इस कार्टून में हिंदू कोड बिल को अम्बेडकर के ‘favourite little girl’ के रूप में दिखाया गया है जबकि ब्राह्मण/ब्राह्मणवाद को महिला के अधिकारो को कुचलने का प्रयास करता हुआ दिखाया है।




यह कार्टून एक आलोचनात्मक व्यंग है अम्बेडकर द्वारा हिंदू कोड बिल को लागू करवाने के प्रयास पर। इस कार्टून में अम्बेडकर को हिंदू कोड बिल लागू हो जाने से उत्तपन्न परिस्थिति पर मुक़दर्शक के रूप में दिखाया गया है और यह व्यक्त करने का प्रयास किया गया है कि हिंदू कोड बिल लागू हो जाने पर समाज में अराजकता फैल सकती है।

अंततः हिंदू कोड बिल संसद में पास नहीं हुआ। इस कार्टून में अम्बेडकर के प्रयासों की हार और रूढ़िवादी हिंदुओं की जीत को दर्शाया गया है।

संसद में हिंदू कोड बिल पास नहीं होने के विरोध में अम्बेडकर ने क़ानून मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया जिसका कई स्थानो पर विरोध हुआ। कुछ लोगों का मानना था कि अम्बेडकर का त्यागपत्र देना उनके द्वारा दलित समाज के प्रति ज़िम्मेदारियों से पीछे हटना था। इस कार्टून में अम्बेडकर को पत्नी रूपी क़ानून मंत्रालय और बच्चा रूपी हिंदू कोड बिल को छोड़कर वैराग्य के लिए जाते हुए दिखाया गया है।

इसे भी पढ़े: महात्मा की हत्या कार्टूनों की ज़ुबानी: गांधी विशेष

इस कार्टून में संविधान सभा के दो विरोधी विचारों और नेहरु को उन दोनो के बिच सामंजस्य बैठाने का प्रयास करते हुए दिखाया गया है। ‘जन-गन-मन अधिनायक’ वाला समूह प्रजातांत्रिक और समाजवादी मूल्यों को अधिक महत्व देता था जबकि ‘वन्दे मातरम’ समूह हिंदुवादी मूल्यों को अधिक महत्व देता था।


अम्बेडकर से सम्बंधित ऐतिहासिक कार्टूनों के इतिहास को गहराई से समझने के लिए JNU के छात्र उन्नमती स्यमा सुंदर द्वारा लिखी गई किताब ‘No Laughing Matter: The Ambedkar Cartoons 1932-1956’ को पढ़ा जाना चाहिए। किताब ख़रीद भी सकते हैं और मुफ़्त में इस लिंक से download भी कर सकते हैं।
Hunt The Haunted के WhatsApp Group से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें (लिंक)
Hunt The Haunted के Facebook पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें (लिंक)
Very informative
[…] […]