HomeCurrent AffairsNDA (एनडीए) के 25 साल: भूल गए प्रधानमंत्री मोदी NDA की वर्षगाँठ

NDA (एनडीए) के 25 साल: भूल गए प्रधानमंत्री मोदी NDA की वर्षगाँठ

28 मई 2023 को भाजपा मुख्यमंत्रियों की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने झूठ बोला कि NDA की 25वीं वर्षगाँठ आने वाला है। NDA की स्थापना 15 मई 1998 को हुई थी और इसके हिसाब से 15 मई 2023 को एन॰डी॰ए॰ पच्चीस वर्ष का हो चुका है। मोदी की दूसरी झूठ यह थी कि उन्होंने दावा किया कि हिंदुस्तान का कोई अन्य गठबंधन NDA की तरह अक्षुण्ण नहीं रहा जबकि 1998 के NDA में भाजपा को छोड़कर अन्य सभी पार्टियाँ जो NDA का हिस्सा थी उनका या तो अस्तित्व ही ख़त्म कर दिया गया या फिर NDA से बाहर हो गई है। 

15 मई 1998 को NDA (एन.डी.ए.) अर्थात् राष्ट्रीय जनतंत्रिक गठबंधन का जन्म हुआ था। आश्चर्य नहीं है कि भाजपा या इस गठबंधन के किसी घटक दल ने इस अवसर पर किसी तरह का कोई कार्यक्रम नहीं किया।कारण सम्भवतः स्पष्ट है: फ़िलहाल न तो भाजपा को इस गठबंधन की ज़रूरत है और न ही अन्य घटक दलों के अंदर इतनी ताक़त या हिम्मत कि भाजपा को एन.डी.ए. की 25वीं वर्षगाँठ मानने के लिए आग्रह कर सके। पिछले पाँच वर्षों से एन.डी.ए. के कन्वेनर का पद ख़ाली है जबकि देश के मात्र 44 प्रतिशत क्षेत्रफल और 43 प्रतिशत जनसंख्या पर एन॰डी॰ए॰ का शासन है। 

NDA का घटता घटक:

वर्ष 1998 में एन॰डी॰ए॰ ने पहली बार गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा। उस समय एन॰डी॰ए॰ में कुल 16 पार्टियाँ थी जिसमें से 15 दलों को कम से कम एक लोकसभा सीट पर विजय ज़रूर मिली थी। 13 महीने की वाजपेयी जी की सरकार अंततः जब 1999 में अल्पमत में आकर गिर गई और देश में मध्यवती चुनाव हुए तो इस बार 1999 के चुनाव के दौरान एन॰डी॰ए॰ में कुल 21 घटक दल थे।

वर्ष 2014 के चुनाव में भी 23 राजनीतिक दल एन॰डी॰ए॰ का हिस्सा थी हालाँकि इन 23 में से मात्र 11 दलों को एक भी सीट पर विजय नहीं मिली थी। 2019 के चुनाव में भी NDA में 20 राजनीतिक दल थे जिसमें से मात्र 10 दलों को एक भी सीट पर विजय नहीं मिली थी। 1999 के चुनाव में NDA के कुल सीट का 60.06 प्रतिशत हिस्सा भाजपा का था जबकि वर्तमान में NDA के कुल लोकसभा सीट में से 91.79 प्रतिशत हिस्सा अकेले भाजपा का है। 

गठबंधन का इतिहास:

हिंदुस्तान में गठबंधन की राजनीति का इतिहास जे॰पी॰ आंदोलन तक जाता है जब देश में पहली बार इंदिरा गांधी के नेतृत्व की कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर करने के इरादे से सभी विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाते हुए आपसी चुनावी गठबंधन किया था। इस गठबंधन को वर्ष 1971 के चुनाव में बुरी तरह हार मिली। लेकिन इस गठबंधन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष था इसके घटक दल थे जिसमें सुदूर वामदल भारतीय कॉम्युनिस्ट पार्टी से लेकर सुदूर दक्षिणपंथी ‘जन संघ’ इसका हिस्सा थे।

1971 के चुनाव में करारी हार के बाद इस गठबंधन के सभी घटक दलों को जे॰पी॰ के दवाव और देश में लगे आपातकाल के कारण उत्पन्न परिस्थितियों में एक होकर एक दल, जनता पार्टी, की स्थापना करना पड़ा। वर्ष 1977 के चुनाव में जनता पार्टी की सरकार बनी लेकिन 1980 में अल्पमत में आकर यह सरकार गिर गई। वर्ष 1980 में हिंदुस्तान में फिर से कांग्रेस की इसके साथ ही जनता पार्टी भी बिखर गई जिसके बाद अप्रैल 1980 में भाजपा की स्थापना हुई।  

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कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के प्रयास में हिंदुस्तान में लगातार विपक्षी एकता की आवाज़ आगे बढ़ती रही। वर्ष 1996 के चुनाव में दो सबसे बड़ी राजनीतिक दल के रूप में उभरी भाजपा और कांग्रेस दोनो सरकार बनाने में असक्षम थी। इस परिस्थिति में चंद्रबाबु नायडू के नेतृत्व में बनी तीसरे मोर्चे (थर्ड फ़्रंट) ने कांग्रेस की मदद से सरकार बनाई लेकिन दो वर्ष के भीतर सरकार गिर गई। गठबंधन की राजनीति के इन प्रयासों के बीच भाजपा लगातार मज़बूत हो रही थी।

जिस भाजपा को 1984 के चुनाव में मात्र दो सीटों पर सफलता मिली थी उसी भाजपा को वर्ष 1996 के लोक सभा चुनाव में 161 सीटों पर सफलता मिली और हिंदुस्तान की सर्वाधिक बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। सर्वाधिक बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद भाजपा ने वर्ष 1998 में NDA की स्थापना किया और घटक दलों की संख्या में कुछ वर्ष पूर्व तक लगातार वृद्धि हो रही थी।

वर्ष 1971 या 1977 या 1999 के चुनाव में जन संघ या भाजपा को छोड़कर वो सभी दल जो कभी कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्षी एकता का नारे देते थे उनमें से लगभग सभी दल आज भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं और कांग्रेस को इस विपक्षी एकता का अभिन्न हिस्सा बता रहे हैं। राष्ट्रीय राजनीतिक दलों का यह इतिहास है कि जब भी वे चुनावी राजनीति में कमजोर होते हैं तो क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर विपक्षी एकता की बात करते हैं और जैसे ही उनकी स्थिति मज़बूत होती है, क्षेत्रीय दलों को कमजोर करने या ख़त्म करने का हर सम्भव प्रयास करते है।

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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