HomeCurrent Affairsप्रधानमंत्री के भाषण के दस झूठ: आज़ादी महोत्सव 2023

प्रधानमंत्री के भाषण के दस झूठ: आज़ादी महोत्सव 2023

प्रधानमंत्री मोदी ने लाल क़िले से अपने दसवें स्वतंत्रता दिवस सम्बोधन में 90 मिनट 34 सेकंड का भाषण दिया और फिर झूठ बोला। मोदी जी 77 सालों के इतिहास में आज तक औसत रूप से सबसे ज़्यादा लम्बा स्वतंत्रता दिवस भाषण देने वाले भारत के प्रधानमंत्री हैं। इतिहास इसके लिए इन्हें हमेशा याद करेगा। लेकिन इतिहास इन्हें इस बात के लिए भी खूब याद करेगा कि जितना इन्होंने लाल क़िले की प्राचीर से खड़ा होकर लम्बा लम्बा भाषण दिया है उतना ही इन्होंने इस प्राचीर से लम्बा लम्बा झूठ भी बोला है।

इस लेख का यूटूब लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=3yNUdcplxBE

पहला झूठ। मोदी जी ने अपने भाषण की शुरुआत में ही दावा किया कि “दुनियाँ का कोई भी रेटिंग एजेन्सी होगी, भारत का गौरव कर रही है।” प्रेस फ़्रीडम रैंकिंग (RSF) में 2016 तक भारत का रैंक 133वाँ हुआ करता था और 2021 में भारत 150वें स्थान तक लुढ़क गया। कुछ और रैंकिंग जान लीजिए विश्व गुरु का। Economist Intelligence Unit Democracy Index में यानी की भारत कितना लोकतांत्रिक है उसमें भारत का रैंक 2014 में 27वाँ हुआ करता था जो 2020 में लुढ़ककर 53वाँ हो गया। इसी तरह हंगर इंडेक्स में तो भारत की स्थिति सिर्फ़ पिछले एक साल में ही 130वें स्थान से लुढ़कर 133वें स्थान तक चली गई। 

Freedom in the World Index; V-DEM indices, EIU Democracy Index यानी की स्वतंत्रता और लोकतंत्र से सम्बंधित सर्वाधिक प्रसिद्ध इन तीनो रैंकिंग में भारत की रैंकिंग पिछले कुछ सालों के दौरान बिगड़ी है। जब इन तीनो रैंकिंग में भारत की हालत ख़राब हुई तो मोदी सरकार  ने इन रैंकिंग बनाने वाले के मेथड पर ही सवाल खड़ा कर दिया था, और इसके लिए भारत सरकार ने एक लम्बा-चौड़ा पूरा रिपोर्ट तक जारी कर दिया। लेकिन जो अमनेस्टी इंटर्नैशनल मानव विकास से सम्बंधित ऐसी रैंकिंग बनाती थी मोदी सरकार ने उसे भारत से ही भगा दिया

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ऐसे रैंकिंग बनाने वालों को मोदी सरकार भारत से भगा तो देगी लेकिन इन आँकड़ों का क्या करेगी? सिवल लिबर्टी में भारत का स्कोर 2015 तक 43 हुआ करता था जो 2022 में घटकर 33 हो गया। इसी तरह राजनीतिक अधिकार के मामले में भारत का स्कोर 2015 तक 35 हुआ करता था जो अब 33 हो गया है। इन दोनो मनकों में भारत की इतनी ख़राब स्थिति इतिहास में सिर्फ़ दो बार हुआ था। एक 1975 के इंदिरा गांधी के आपातकाल के दौरान और दूसरा जब भारत की अर्थव्यवस्था का उदारिकारन हो रहा था, 1990 के दौरान तब भारत का स्कोर इतना नीचे गीरा था।

Human Development Index, Global Hunger Index, Freedom of Religion Report, Corruption Perception Index, Rule of Law Index, Education Expenditure, World Democracy Index, Economic Freedom Index, Global Peace Index, Global Right to Information Rating सबमें भारत की स्थिति पिछले कुछ वर्षों के दौरान ख़राब हुई है।

तीन मामलों में तो भारत की रैंकिंग सर्वाधिक ख़राब हुई है जिसमें से एक है Global Gender Gap Report, दूसरा है Human Freedom Index, और तीसरा है World Press Freedom Index. यानी की महिला न्याय, मानव विकास और मीडिया की स्वतंत्रता के मामले में भारत की स्थिति सर्वाधिक ख़राब हुई है। Global Hunger Index (GHI) यानी की भुखमरी के रैंकिंग में तो भारत की स्थिति पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे गरीब देशों से भी ज़्यादा ख़राब है। 

झूठ नम्बर दो

मोदी जी अपने भाषण के दौरान देश में कुल महिला SHG की संख्या बताने में पहले तो कन्फ़्यूज़्ड होकर तीन लाख बोल दिए फिर दो करोड़ पर पहुँच गए, जबकि भारत सरकार की सरकारी डेटा बताती है कि देश में दो करोड़ नहीं बल्कि कुल 1.2 करोड़ महिला SHG है।

मोदी जी का दावा था कि देश के दो करोड़ SHG से दस करोड़ महिलाएँ जुड़ी हुई है। अब ये झूठ था या मोदी जी का गणित में थोड़ा ढीलापन, ये मोदी जी तय करे लेकिन सब जानते हैं कि एक महिला SHG बनाने के लिए कम से कम दस सदस्य होते हैं और अगर एक SHG में दस महिला होती है तो दो करोड़ SHG में तो कम से कम बीस करोड़ महिला जुड़ी होनी चाहिए। लेकिन मोदी जी के गणित के अनुसार भारत में सिर्फ़ दस करोड़ महिलाएँ ही SHG से जुड़ी हुई है। इस हिसाब से मोदी जी के एक SHG में अधिकतम सिर्फ़ पाँच सदस्य ही हैं। 

झूठ नम्बर तीन

मोदी जी ने कहा कि पूरी दुनियाँ में यूरिया तीन हज़ार रुपए प्रति पैकेट बिक रहा है और हिंदुस्तान में तीन सौ रुपए का बिक रहा है। पहला झूठ कि दुनियाँ में सबसे सस्ता यूरिया बोलेविया देश में मिलता है हिंदुस्तान में नहीं । दूसरी बात ये कि ये बात मोदी जी सेम बात 28 जुलाई को भी बोल चुके थे। उस समय उन्होंने दुनियाँ में इस यूरिया का रेट दो हज़ार बोला था, पंद्रह दिन के भीतर यानी कि 15 अगस्त आते आते मोदी जी के लिए दुनियाँ में यूरिया का दाम दो हज़ार से बढ़कर तीन हज़ार हो गया। हालाँकि पिछले कुछ हफ़्ते के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में यूरिया का थोक मूल्य कम हुआ है।  

भारत में 2014-15 में यूरिया का दाम 276 रुपए हुआ करता था जो 2023 में घटकर 268 रुपए रह गया है। यानी कि 8 रुपए की गिरावट। जिसके लिए मोदी जी को क्रेडिट तो ज़रूर मिलना चाहिए, देश के किसानों को सस्ता यूरिया उपलब्ध करवाने के लिए। थोड़ा दूसरे उर्वरकों के दाम भी देख लीजिए।

जो पोटास का दाम 2014-15 में 15 रुपए 50 पैसे प्रति किलो था वो 2022 में बढ़कर 23 रुपए 65 पैसे प्रति किलो हो गया। 2010 में पोटास का दाम 24 रुपए .49 पैसे था। यानी कि यूपीए के कार्यकाल में पोटास का दाम घटा था और मोदी जे कार्यकाल के दौरान बढ़ा है। ऐसे ही सल्फ़र का दाम 2014-15 में 1 रुपए .68 पैसे प्रति किलोग्राम था वो 2022 में बढ़कर 6 रुपए .12 पैसे प्रति किलोग्राम हो गया। 2010 में सल्फ़र का दाम 1 रुपए .78 पैसे था। ऐसे ही phosphate का दाम 2014-15 में 18 रुपए .68 पैसे प्रति किलोग्राम था वो 2022 में 66 रुपए .93 पैसे प्रति किलोग्राम हो गया। 2010 में phosphate का दाम 26 रुपए .28 पैसे था। ऐसे ही Nitrogen का दाम 2014-15 में 20 रुपए .87 पैसे प्रति किलोग्राम हुआ से 2022 में बढ़कर 98 रुपए .02 पैसे प्रति किलोग्राम हो गया। 2010 में phosphate का दाम 23.23 था। कहने का मतलब ये है कि यूरिया को छोड़ दे तो बाक़ी सारे खाद-उर्वरक के दाम मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान बढ़े हैं। 

झूठ नम्बर चार: मोदी जी ने दावा किया कि उनके पाँच साल के कार्यकाल के दौरान हिंदुस्तान में 13.5 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा से ऊपर आए हैं। ये 13.5 करोड़ का मोदी जी का डेटा 2011 से 2019 के बीच का है, पिछले पाँच साल का नहीं है। 2011 में हिंदुस्तान में ग़रीबी दर 22.5 प्रतिशत हुआ करता था, जो 2019 में ये घटकर 10.2 प्रतिशत हो गया। यानी की 11.7 प्रतिशत की गिरावट आयी जो कुल ग़रीबों की संख्या के मामले में 13.5 करोड़ होता है। यही ग़रीबी दर 2004 में 37.2 प्रतिशत हुआ करता था जो अगले आठ सालों में यानी कि 2012 में घटकर 21.9 प्रतिशत रह गया।

यानी कि UPA के आठ सालों के कार्यकाल में 15.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी और अगले आठ सालों के मोदी जी के कार्यकाल के दौरान 11.7 प्रतिशत की गिरावट आयी है। UNDP यानी की यूनाइटेड नेशन डिवेलप्मेंट फंड के रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2005-06 से 2015-16 के दौरान 27.1 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा से बाहर आए थे जो की मोदी जी के झूठे आँकड़े यानी की अगर मोदी जी का 13.5 करोड़ वाला आँकड़ा को भी सच मन ले तो भी उससे ज़्यादा है UPA के कार्यकाल के दौरान ग़रीबी कम करने का आँकड़ा।

झूठ नंबर पाँच:  

मोदी जी दावा किया कि उनके कार्यकाल के दौरान मोबाइल इस्तेमाल करना, मोबाइल का डेटा इस्तेमाल करना सस्ता हो गया है हिंदुस्तान में। 2014 से पहले का टाइम थोड़ा याद कीजिए, इंकमिंग फ़्री हुआ करती थी हिंदुस्तान में, गरीब बिना कोई पैसा खर्च किए हुए मोबाइल रख सकता था, आज क्या हाल है? किसी भी मोबाइल वाले गरीब से पूछ लीजिए, कम से कम दो सौ रुपए का  रिचार्ज तो करना ही पड़ता है। सिर्फ़ अपने मोबाइल पर इंकमिंग पाने के लिए।

भारत में कितने प्रतिशत लोग आज भी स्मार्ट फ़ोन नहीं यूज़ करते हैं? भारत में मात्र एक तिहाई लोग लोग स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल करते हैं जबकि आज भी भारत में दो तिहाई लोग  लोग फ़ीचर फ़ोन का इस्तेमाल करते हैं। स्मार्ट फ़ोन उसे बोलते हैं जिसमें इंटर्नेट चलता है, फ़ेस्बुक चलता है, whatsapp यूनिवर्सिटी चलता है, इन्स्टग्रैम चलता है और फ़ीचर फ़ोन कीपैड वाले फ़ोन को बोलते हैं यानी कि छोटा वाला फ़ोन। कहने का मतलब ये है कि जिस सस्ता डेटा का बात मोदी जी बात कर रहे थे उसे 66 प्रतिशत भारतीय तो इस्तेमाल करते ही नहीं है। इन 66 प्रतिशत गरीब भारतीयों का इंकमिंग महँगा करके मोदी जी 33 प्रतिशत स्मार्ट फ़ोन इस्तेमाल करने वाले अमीरों की बात कर रहे थे। याद रखिएगा 2014 से पहले इंकमिंग फ़्री हुआ करती थी। 

वैसे एक बात तो है अब सबको ज़बरदस्ती डेटा तो दिया जा रहा है, मोदी जी के दोस्त JIO फ़ोन वाले अम्बानी जी सबको ज़बरदस्ती स्मार्ट फ़ोन भी दे रहे है।

Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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