HomeCurrent Affairsकेरल की शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल

केरल की शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल

केरल, हिंदुस्तान में शत प्रतिशत साक्षरता हासिल करने वाला एकमात्र राज्य है। पिछले 75 वर्षों के दौरान इस राज्य में सर्वाधिक समय के लिए कॉम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता रही है। राज्य की कॉम्युनिस्ट सरकार राज्य में शिक्षा सम्बंधी सभी उपलब्धियों का श्रेय राज्य सरकार और कॉम्युनिस्ट विचारधारा को देती है। लेकिन सच्चाई यह है कि केरल की पूरी शिक्षा व्यवस्था में सरकारी शिक्षा व्यवस्था का योगदान एक तिहाई से भी कम है। 

कॉम्युनिस्ट विचारधारा के अनुसार जनता को मुफ़्त शिक्षा, स्वास्थ्य, आदि महत्वपूर्ण सुविधाएँ उपलब्ध करवाना सरकार की ज़िम्मेदारी है। वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार केरल राज्य में कुल 16,481 विद्यालय हैं जिसमें से मात्र 5020 विद्यालय ही राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा संचालित है। इसमें से भी उच्च माध्यमिक विद्यालयों की संख्या मात्रा 424 ही है। अर्थात् केरल में सरकारी विद्यालयों का अनुपात मात्र 30.46% है।(स्त्रोत)

केरल में निजी विद्यालय:

केरल की सरकारी शिक्षा व्यवस्था की आड़ में निजी विद्यालयों का कैसा जाल बिछा हुआ है इसका अंदाज़ा सिर्फ़ इस बात से लगाया जाता है कि राज्य में गवर्न्मेंट ऐडेड (सरकार समर्थित) विद्यालयों की संख्या सरकारी विद्यालयों की संख्या से कहीं अधिक है। राज्य में कुल 7191 विद्यालय गवर्न्मेंट ऐडेड है वहीं पूर्णतः निजी विद्यालयों की संख्या 3241 है। अर्थात् इस राज्य में सरकार समर्थित (गवर्न्मेंट ऐडेड) निजी विद्यालयों का अनुपात 43.62% है जबकि प्रदेश में 19.71% विद्यालय पूर्णतः निजी हैं। (स्त्रोत)

पिछले कुछ वर्षों में केरल में लगातार सरकार समर्थित निजी विद्यालयों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2015-16 के दौरान राज्य में सरकार समर्थित निजी विद्यालयों का अनुपात 42.16% था जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 43.62 हो गया। दरअसल राज्य सरकार लगातार निजी विद्यालयों को सरकारी मदद और सुविधाएँ बढ़ा रही है। अर्थात् राज्य सरकारी ख़ज़ाने पर निजी विद्यालय और उनके मालिक फल-फूल रहे हैं। (स्त्रोत)

हाल ही में जारी 14वीं वार्षिक EducationWorld India School Ranking 2020-21 में हिंदुस्तान के बीस सर्वोच्च स्थान पर रहने वाले विद्यालयों में से चार विद्यालय केरल से सम्बंध रखते हैं। लेकिन इन चारो विद्यालयों में सभी निजी या सरकार समर्थित निजी विद्यालय हैं। अगर यहाँ की राज्य सरकार की सरकारी शिक्षा व्यवस्था इतनी ही बेहतर होती तो इस रैंकिंग में कम से कम एक सरकारी विद्यालय को तो स्थान मिलना चाहिए थे। (स्त्रोत)

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केरल
चित्र: Education World India School Rankings cover page.

अन्य राज्यों से तुलना:

अगर हिंदुस्तान के अन्य राज्यों में स्थित सरकारी विद्यालयों से केरल के सरकारी विद्यालयों की तुलना करें तो यह पता चलता है कि देश के सभी केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में सरकारी विद्यालयों का अनुपात सर्वाधिक कम इसी राज्य में ही है। पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, झारखंड, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में सरकारी विद्यालयों का अनुपात 80% से भी अधिक है जबकि केरल में इसका आधा भी नहीं है।

बिहार जैसे पिछड़े राज्य में भी सरकारी विद्यालयों का अनुपात 80.82% है। जहाँ केरल में सरकारी विद्यालयों की संख्या मात्र 5020 है वहीं बिहार में सरकारी विद्यालयों की संख्या 75555 है जो की केरल की तुलना में पंद्रह गुना से भी अधिक है जबकि बिहार की जनसंख्या केरल की तुलना में मात्र तीन गुना है। (स्त्रोत)

केरल में सरकारी विद्यालयों का अनुपात 30.46% है लेकिन सरकारी शिक्षकों का अनुपात मात्र 28.02% ही है। अर्थात् प्रदेश की सरकार शिक्षक उपलब्ध करवाने के मामले में भी प्रदेश के निजी और सरकार समर्थित निजी विद्यालयों से भी पीछे है। सरकारी विद्यालयों में शौचालय, पानी, स्वास्थ्य शिविर, आदि सुविधा उपलब्ध करवाने के मामले में भी तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य केरल से आगे हैं। (स्त्रोत)

ऐसा नहीं है कि शत प्रतिशत साक्षरता दर या बेहतर शिक्षा व्यवस्था हासिल करने के लिए निजी विद्यालयों या सरकार समर्थित निजी विद्यालयों को प्रोत्साहन देना आवश्यक है। देश में केरल के बाद सर्वाधिक साक्षरता दर और शिक्षा व्यवस्था हिमाचल प्रदेश की मानी जाती है लेकिन हिमाचल प्रदेश में सरकारी विद्यालयों का अनुपात 84.82% है।(स्त्रोत)

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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