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क्यूँ नहीं लगा गांधी जी पर 1929 में एक पहाड़ी की मृत्यु का आरोप ?

महात्मा गांधी ने वर्ष 1915 और 1946 के बीच तक़रीबन छः बार उत्तराखंड की यात्रा कि। वर्ष 1929 की महात्मा जी की कुमाऊँ की यात्रा स्मरणीय इसलिए भी है क्योंकि इस यात्रा के दौरान उनकी कार के नीचे आने के कारण पदम सिंह नामक एक उत्तराखंडी युवक की मृत्यु हो गई थी। पदम सिंह को याद करते हुए गांधीजी ने यंग इंडिया पत्रिका में ‘ए ट्रेज्ड़ी’ शीर्षक से एक लेख भी लिखा था।

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चित्र 1: वर्ष 1929 में अलमोडा शहर में खचाखच भीड़ के बीच कार से सफ़र करते महात्मा गांधी।

“आत्म-ग्लानि से कभी उभर नहीं पाए गांधी जी”

27 जून 1929 को छपे इस लेख में बापू लिखते हैं,

“पिछले तीस वर्ष के जनसंपर्क अभियानों के दौरन छोटी मोटी कई दुर्घटनाएँ होती रही। अक्सर ग्रामीण लोग मेरी कार देखकर कार की तरफ़ अव्यवस्थित रूप से भागते थे। लेकिन 18 जून, जिस दिन मैं अलमोडा पहुँचा उसी दिन एक मीटिंग से वापस अपने गंतव्य स्थान की ओर आने के दौरान मेरी कार के नीचे आकर एक ग्रामीण दुर्घटना में घायल हो गया। दो दिन के बाद पदम सिंह की हॉस्पिटल में मृत्यु हो गई। अक्सर मैं मृत्यु को विधाता की मर्ज़ी मानकर स्वीकार कर लेता हूँ लेकिन पदम सिंह के देहांत से होने वाली आत्म-ग्लानि से मैं आज तक नहीं उभर पाया हूँ।”

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चित्र 2: वर्ष 1929 में मसूरी के Sylverton मैदान में प्रार्थना करते महात्मा जी। साभार: ग्लैमर स्टूडीओ मसूरी

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20 जून 1929 को पदम सिंह की याद में अलमोडा शहर में एक शोक सभा रखी गई जिसमें गांधी जी भी शामिल हुए थे। इस शोक सभा के बाद महात्मा जी बगेश्वर के कसौनि आश्रम प्रवास पर चले गए थे। अगले एक हफ़्ते तक उन्होंने अकेले समय बिताया और गीता पाठ एवं उसका गुजराती भाषा में अनुवाद किया। इस दौरान गांधी बहुत पीड़ित थे।

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चित्र 3: वर्ष 1929 में अपनी यात्रा के दौरान अलमोडा ज़िले के मोती भवन (तालुक़ा) से बाहर निकलते महात्मा गांधी। फ़ोटो साभार: राजीव लोचन शाह (नैनीताल)

“गांधी जी ने मृतक के परिवार को आर्थिक मदद की पेशकश की पर…”

बापू ने गोविंद वल्लभ पंत और विक्टर मोहन जोशी समेत कांग्रेस के स्थानिय आंदोलनकारियों से मृतक के परिवार के लिए आर्थिक सहायता का इंतज़ाम करने का निर्देश दिया। मृतक के 12 वर्षीय नाबालिग पुत्र को गांधीजी ने अपने साथ रखने का फ़ैसला लिया। लेकिन मृतक की विधवा ने बापू से किसी प्रकार की कोई आर्थिक मदद लेने से मना कर दिया और अपने पुत्र के लिए सिर्फ़ गांधी जी का आशीर्वाद माँगा। मृत्यु से एक दिन पहले गांधी जी स्वयं मृतक से मिलने हॉस्पिटल गए जहां मृतक ने महात्मा जी से अपने पुत्र को आशीर्वाद देने का वादा माँगा था।

क्या इतिहास और महात्मा जी से यह सवाल नहीं किया जाना चाहिए कि दुर्घटना (सड़क) से सम्बंधित भारतीय दंडसंहिता की धारा 304A (लापरवाही से किसी व्यक्ति मौत) के तहत कार्यवाही नहीं होनी चाहिए थी?

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Sweety Tindde
Sweety Tinddehttp://huntthehaunted.com
Sweety Tindde works with Azim Premji Foundation as a 'Resource Person' in Srinagar Garhwal.
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